दूदू (जयपुर). जिले के दूदू में चना खरीद के लक्ष्य को बढ़ाने की मांग को लेकर किसानों के धरने का शुक्रवार को छठा दिन है. वहीं, किसानों के काफिले को राजधानी की सीमा की ओर आगे बढ़ने से रोकने के विरोध में किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के उपवास का तीसरा दिन है. लगातार सरकार के प्रति किसानों का रोष बढ़ता जा रहा है. शुक्रवार को मेडिकल टीम की ओर से रामपालजाट के स्वास्थ्य की जांच की गई तो उनके शरीर में कमजोरी और बीपी हाई होना बताया गया.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने महलां सभा स्थल पर किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार विदेशों से दलहन और चना का आयात तो बहुतायत में कर रही है. लेकिन देश के किसानों का चना नहीं खरीद कर उन्हें कोरोना काल में भटकने को छोड़ रही है.
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पिछले 11 वर्षों में सरकार ने 1,55,000 करोड़ रुपये से 446.1 लाख टन दालों को विदेशों से मंगाने के लिए खर्च किये है. इसी प्रकार इन्हीं 11 वर्षों में विदेशों से 28.7 लाख टन चना भी मंगाया गया है. इससे देश में चने सहित अन्य दलहनों का भाव निचे गिर गया. फिर सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद बंद कर किसानों को घाटे की ओर धकेल रही है.
सरकार के आंकलन के अनुसार देश में दालों का उपभोग लगभग 23 मिलियन टन है. वर्ष 2016-17, 2017-18, 2018-19 में तो दलहनों का उत्पादन 23 मिलियन टन से अधिक हुआ, तब भी सरकार ने तीन वर्षों में दालों के आयात की अनुमति प्रदान की है. चने की दाल के विकल्प के रूप में विदेशों से पीली दाल का तीन वर्षों 2016-17, 2017-18, 2018-19 में 69 लाख टन का आयात किया है.
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एक तरफ केंद्र सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है. वहीं, दूसरी ओर विदेशों से दाल का आयात कर किसानों को उनकी उपजों के दाम से वंचित कर उन्हें घाटे की ओर धकेल रही है. यह स्थिति तो तब है जब सरकार ने 2016-17 की बजट में किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का संकल्प व्यक्त किया था.
कई किसनों ने आरोप लगया कि सरकार ट्रैक्टरों को आंदोलन से हटाने के लिए बहकाने में लगी है. पटवारी और व्यवस्थापक घर-घर पहुंच कर जो ट्रैक्टर आंदोलन में महलां में खड़े हैं, उनके परिवार वालों से कह रहे हैं कि तुम्हारे ट्रैक्टर कहां हैं. उनको तुलाने की व्यवस्था कर रहे हैं और महलां से वापस बुलाओ तब सरकार चना खरीदेगी.
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किसानों का संकल्प है कि चने की खरीद शुरू होने तक पीछे नहीं हटेंगे. साथ ही किसानों ने कहा कि रात्रि के समय किसानों को फसल चोरी होने का डर भी सताने लगा है. अगर सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी तो सभी किसान अनशन पर बैठेंगे.