ETV Bharat / state

Skand Shashti Aaj: स्कंद षष्ठी आज, संतान रहे स्वस्थ इसलिए माताएं करती हैं व्रत

शिवपुत्र कार्तिकेय को समर्पित दिवस है आज. हर माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को स्कंद षष्ठी के तौर पर मनाया जाता है. मान्यतानुसार इसी दिन शंकर गौरी के पुत्र कार्तिकेय ने जन्म लिया था. आज माताएं अपनी संतान की सलामती के लिए व्रत रखती हैं.

Skand Shashti Aaj
Skand Shashti Aaj
author img

By

Published : Feb 25, 2023, 8:31 AM IST

जयपुर. दक्षिण भारत में मुरुगन नाम से पूजे जाने वाले कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है. भारत के साथ ही मुरुगन की श्रीलंका, सिंगापुर आदि में भी आराधना होती है. कहते हैं इस दिन जो भी संतान प्राप्ति की इच्छा से व्रत करता है उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है और औलाद को किसी संकट से जूझना भी नहीं पड़ता है. शारीरिक कष्ट भी दूर होता है.

स्कंद षष्ठी व्रत पर का शुभ योग
आज फाल्गुनी स्कंद षष्ठी खास है. षष्ठी व्रत चार शुभ योगों में है. आज के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, रवि योग और त्रिपुष्कर योग बताया जा रहा है. इसमें से सबसे पहले रवि योग प्रातः 06 बजकर 51 मिनट से 26 फरवरी को प्रातः 03.59 मिनट तक है. वहीं ब्रह्म योग सुबह से लेकर आज सायं 5 बजकर 18 मिनट तक है. उसके बाद से इंद्र योग आरंभ हो जाएगा है. त्रिपुष्कर योग की बात करें तो ये 26 फरवरी की सुबह 03.59 मिनट से सुबह 06.50 मिनट तक ही रहेगा.

स्कंद षष्ठी व्रत कथा संक्षेप में
स्कंद पुराण के मुताबिक, इस व्रत को करने से प्रियव्रत का मृत बच्चा फिर से जीवित हो गया था और च्यवन ऋषि की आंखों की रोशनी लौट आई थी. धार्मिक मान्यतानुसार जो भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखकर भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की पूजा करता है, उसे संतान सुख अवश्य मिलता है और संतान भी शारीरिक तौर पर सुदृढ़ रहती है.

पढ़ें-Aaj ka Panchang: जानिए आज का शुभ मुहुर्त और तिथि, कैसी है ग्रह नक्षत्रों की चाल

Skanda Shashti पूजा विधि
कार्तिकेय जी संग भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें. अपना मुंह दक्षिण दिशा की ओर करें. घी, दही, जल, फूलों से पूजा करें और कलावा, हल्दी, अक्षत, चंदन, इत्र कार्तिकेय जी को चढ़ाएं.

जयपुर. दक्षिण भारत में मुरुगन नाम से पूजे जाने वाले कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है. भारत के साथ ही मुरुगन की श्रीलंका, सिंगापुर आदि में भी आराधना होती है. कहते हैं इस दिन जो भी संतान प्राप्ति की इच्छा से व्रत करता है उसकी मनोकामना शीघ्र पूरी होती है और औलाद को किसी संकट से जूझना भी नहीं पड़ता है. शारीरिक कष्ट भी दूर होता है.

स्कंद षष्ठी व्रत पर का शुभ योग
आज फाल्गुनी स्कंद षष्ठी खास है. षष्ठी व्रत चार शुभ योगों में है. आज के दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग, रवि योग और त्रिपुष्कर योग बताया जा रहा है. इसमें से सबसे पहले रवि योग प्रातः 06 बजकर 51 मिनट से 26 फरवरी को प्रातः 03.59 मिनट तक है. वहीं ब्रह्म योग सुबह से लेकर आज सायं 5 बजकर 18 मिनट तक है. उसके बाद से इंद्र योग आरंभ हो जाएगा है. त्रिपुष्कर योग की बात करें तो ये 26 फरवरी की सुबह 03.59 मिनट से सुबह 06.50 मिनट तक ही रहेगा.

स्कंद षष्ठी व्रत कथा संक्षेप में
स्कंद पुराण के मुताबिक, इस व्रत को करने से प्रियव्रत का मृत बच्चा फिर से जीवित हो गया था और च्यवन ऋषि की आंखों की रोशनी लौट आई थी. धार्मिक मान्यतानुसार जो भी स्कंद षष्ठी का व्रत रखकर भगवान स्कंद यानि कार्तिकेय की पूजा करता है, उसे संतान सुख अवश्य मिलता है और संतान भी शारीरिक तौर पर सुदृढ़ रहती है.

पढ़ें-Aaj ka Panchang: जानिए आज का शुभ मुहुर्त और तिथि, कैसी है ग्रह नक्षत्रों की चाल

Skanda Shashti पूजा विधि
कार्तिकेय जी संग भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा को स्थापित करें. अपना मुंह दक्षिण दिशा की ओर करें. घी, दही, जल, फूलों से पूजा करें और कलावा, हल्दी, अक्षत, चंदन, इत्र कार्तिकेय जी को चढ़ाएं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.