जयपुर. केंद्र की मोदी सरकार के बजट के बाद अब सब की निगाहें प्रदेश की गहलोत सरकार पर टीकी हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री वित्त विभाग का जिम्मा अपने पास होने के चलते 10 जुलाई अपना बजट पेश करेंगे. ऐसे में जीत दर्ज करने के बाद पहला बजट पेश कर रही नई सरकार से हर वर्ग के लोगों को सरकार से उम्मीदें हैं.
केंद्र सरकार के बजट के ठीक बाद से महंगाई की मार झेल रहे आम उपभोक्ता को पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोत्तरी होने से करारा झटका लगा है. केंद्र से सेस बढ़ाया गया, तो आर्थिक कमी झेल रही प्रदेश की कोंग्रेस सरकार ने बहती गंगा में हाथ धो- लिया और यहां भी पेट्रोल और डीजल में वैट बढ़ा दिया. जिसके चलते प्रदेश में पेट्रोल और डीजल के दामों में वर्द्धि हो गई. लेकिन, अब उसके बाद प्रदेश की गहलोत सरकार अपना 10 जुलाई को पहला बजट पेश करने जा रही है.
बजट से सबसे ज्यादा उम्मीद चुनाव में बढ़ चढ़ कर भूमिका निभाने वाले युवा वर्ग को है. चुनाव में वोट प्रतिशत भी युवा वर्ग था. युवा वर्ग को आस है कि प्रदेश में जिस उम्मीद के साथ उन्होंने सत्ता बदली है, वो उम्मीदों को भी पूरा करेगी. युवा और बेरोजगार सरकार से रोजगार की उम्मीद लगाए बैठे हैं. राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के बाद कोंग्रेस सरकार विधानसभा में 13 फरवरी को अंतरिम बजट यानी लेखाअनुदान पेश किया था. लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह संभव नहीं था कि बजट प्रस्तावों पर चर्चा कर 31 मार्च से पहले बजट पास करा लिया जाए. ऐसे में लेखानुदान पेश किया गया.
राजस्थान सरकार बुधवार को सदन में पेश करेगी बजट
सरकार के पूर्ण बजट से हर वर्ग ने उम्मीद लगा रखी है. बजट में सामाजिक क्षेत्र को खास तवज्जो मिलने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है. आम लोगों को उम्मीद है शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं पर सरकार ध्यान देगी. वहीं, उद्ययोग जगत भी मंदी के दौर में राहत की उम्मीद कर रहा है. प्रदेश में महिला सुरक्षा सरकार के सामने बड़ी चुनौती मुंह बाए खड़ी है. वहीं, इस बार 2018 के चुनाव में बढ़ चढ़ कर भागीदारी निभाने वाले युवा भी सरकार के सामने रोजगार की उम्मीद लिए देख रहा है, तो 70 फीसदी से अधिक आबादी वाला अन्नदाता भी आस लगाए बैठा है. लेखा अनुदान के बाद ये गहलोत सरकार का पहला बजट है, स्वाभाविक है उम्मीद भी ज्यादा होगी.
वहीं, पिछली सरकार से हर मोर्चे पर दो दो हाथ करने वाला कर्मचारी भी सरकार की तरफ तिरछी नजर जामाये हुए है. कर्मचारी, सरकार से इस बजट में अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगा रहे हैं. सचिवालय अधिकारी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शंकर सिंह मनोहर ने मांग कि की पूर्ववर्ती सरकार ने सीनियर डीएस के पद 8 प्रतिशत से घटा कर 3 फीसदी कर दिया था, अब गहलोत सरकार जो कमर्चारियों के हितों की बात करती है, वो इन पदों को पुनः 3 से बढ़ा कर 8 प्रतिशत करे. वहीं, सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष पंकज वर्मा ने कहा कि कर्मचारी संघ सरकार से लंबे समय से पे ग्रेड सहित 11 सूत्री मांगों का मांग पत्र दिया हुआ है, सरकार उन मांगों की ओर इस बजट में देखे.
दरअसल, गहलोत सरकार ने अपने तीसरे शासन के कार्यकाल के लेखा अनुदान में कई घोषणा की थी. उन्ही घोषणा को आगे बढ़ना सरकार कि जिम्मेदार होगी. लेखा अनुदान में प्रदेश के 3 लाख करोड़ से अधिक के कर्ज को कम करने का प्लान बनाएगी, जबकि पिछले दिनों ही सरकार ने 2700 लाख रुपए का कर्जा लिया था. गहलोत सरकार, 75 साल से अधिक उम्र वालों को एक हजार रुपये पेंशन, BPL परिवारों को एक रुपए किलो गेंहू, शिक्षित बेरोजगारों को 3000 से 35000 बेरोजगारी भत्ता सहित करीब 30 घोषणा अपने लेखा अनुदान में किया था. ऐसे में अब देखना होगा कि लेखाअनुदान के बाद अब सरकार अपना पूर्ण बजट पेश कर रही है, इस बजट में क्या कुछ लोगों, कर्मचारियों, किसानों, बेरोजगारों, व्यापारियों को मिलता है.