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प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

देश भर में खारी झील के नाम से मशहूर सांभर झील इन दिनों विदेशी पक्षियों की कब्रगाह बनी हुई है. इस झील में एकाएक परिंदों की मौत का सिलसिला क्यों शुरू हुआ ये अब तक जांच का विषय है. वहीं, प्रवासी परिंदों की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनी इस झील की क्या है ग्राउंड जीरो रिपोर्ट आइए जानते हैं.

सांभर झील में पक्षियों की मौत, Birds die in sambhar lake
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Published : Nov 19, 2019, 11:39 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 11:48 PM IST

जयपुर. देशभर में अपने नमक के लिए मशहूर सांभर झील अब परिंदों की कब्रगाह के लिए दुनिया भर में कुख्यात होने लगी है. पिछले 10 दिनों से यह झील विदेशी परिंदों के जीवन पर ग्रहण बनकर उभरी है. हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां आने वाले विदेशी परिंदे लगातार काल का ग्रास बन रहे हैं. बावजूद इसके अब तक इनके मौत के सही कारणों की जानकारी प्रशासन नहीं जुटा सका है.

प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील

वहीं, मृत परिंदों को निकालने का काम झील के एक छोटे से क्षेत्र में चल रहा है. जबकि, पूरी झील में इस त्रासदी से कितने परिंदे मारे गए इसकी जानकारी अब तक प्रशासन नहीं जुटा पाया है. प्रवासी परिंदों की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनी इस झील की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट लेने के लिए पहुंची ईटीवी भारत की टीम.

पढ़ें- 'बोटूलिज्म' से हुई हजारों विदेशी पक्षियों की मौत, उपचार के लिए बनाए जा रहे चार रेस्क्यू सेंटर

देश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील यह वही झील है जिसके तटों पर कभी देसी विदेशी परिंदों की चेहचाहट सबको रोमांचित करती थी और इन नजारों को निहारने देश विदेश के हजारों सैलानी यहां पहुंचते थे. लेकिन अब यहां पसरा है मौत का सन्नाटा और ये झील बन चुकी है प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह. इस झील में एकाएक परिंदों की मौत का सिलसिला क्यों शुरू हुआ ये अब तक जांच का विषय है.

प्रशासन और वन पर्यावरण विभाग अब तक केवल इस त्रासदी के कारणों का अंदाजा ही लगा रहा है. वहीं, जांच के लिए कुछ परिंदों के शव राजस्थान के बाहर लेबोरेटरी में भी भेजे गए. फिलहाल, अब तक की जांच में ये साफ हो चुका है कि यहां वहीं पक्षी काल का ग्रास बन रहे हैं जो नॉन वेजिटेरियन है.

पढ़ें- सांभर झील में पक्षियों की मौत का आंकड़ा 10 हजार के पार, पक्षी प्रेमियों ने उच्च स्तरीय जांच के लिए की मांग

पिछले 10 दिनों में झील से करीब 25 हजार प्रवासी पक्षियों के शव निकाले जा चुके हैं. जबकि, यह आंकड़ा इसके 2 गुना तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. प्रशासन झील से पक्षियों के शव को निकालकर पास में ही जमींदोज कर रहा है, जिससे संक्रमण न फैले. हालांकि, यहां प्रशासन की एक बड़ी चूक भी सामने आई है. मृतक पक्षियों को निकालने का काम केवल झील के एक छोटे से एरिया में किया जा रहा है और एनडीआरएफ के जवान भी यहां पानी से बीमार और मृतक पक्षी निकाल रहे हैं.

लेकिन 90 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील के अधिकतर इलाकों तक ना तो प्रशासन पहुंचा है और ना ही ड्रोन या अन्य किसी उपकरण से वहां की स्थिति की जानकारी जुटाई गई है. आलम यह है कि 8 दिन पहले तक सिविल डिफेंस के जवानों को यहां रेस्क्यू के लिए लगाया गया था. लेकिन अब उनकी संख्या भी 15 कर दी गई है.

पढ़ें- भाजपा तैयार करेगी रिपोर्ट प्रदेश और केंद्र सरकार को भी कराएगी अवगत: सतीश पूनिया

मामला गंभीर है लिहाजा पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के साथ ही विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तक यहां दौरा कर चुके हैं. लेकिन परिंदों की मौत के क्या कारण हैं और इसका स्थाई समाधान क्या हो सकता है. इसे लेकर सिर्फ बयानबाजी ही की जा रही है.

जयपुर. देशभर में अपने नमक के लिए मशहूर सांभर झील अब परिंदों की कब्रगाह के लिए दुनिया भर में कुख्यात होने लगी है. पिछले 10 दिनों से यह झील विदेशी परिंदों के जीवन पर ग्रहण बनकर उभरी है. हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां आने वाले विदेशी परिंदे लगातार काल का ग्रास बन रहे हैं. बावजूद इसके अब तक इनके मौत के सही कारणों की जानकारी प्रशासन नहीं जुटा सका है.

प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह बनी सांभर झील

वहीं, मृत परिंदों को निकालने का काम झील के एक छोटे से क्षेत्र में चल रहा है. जबकि, पूरी झील में इस त्रासदी से कितने परिंदे मारे गए इसकी जानकारी अब तक प्रशासन नहीं जुटा पाया है. प्रवासी परिंदों की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनी इस झील की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट लेने के लिए पहुंची ईटीवी भारत की टीम.

पढ़ें- 'बोटूलिज्म' से हुई हजारों विदेशी पक्षियों की मौत, उपचार के लिए बनाए जा रहे चार रेस्क्यू सेंटर

देश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील यह वही झील है जिसके तटों पर कभी देसी विदेशी परिंदों की चेहचाहट सबको रोमांचित करती थी और इन नजारों को निहारने देश विदेश के हजारों सैलानी यहां पहुंचते थे. लेकिन अब यहां पसरा है मौत का सन्नाटा और ये झील बन चुकी है प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह. इस झील में एकाएक परिंदों की मौत का सिलसिला क्यों शुरू हुआ ये अब तक जांच का विषय है.

प्रशासन और वन पर्यावरण विभाग अब तक केवल इस त्रासदी के कारणों का अंदाजा ही लगा रहा है. वहीं, जांच के लिए कुछ परिंदों के शव राजस्थान के बाहर लेबोरेटरी में भी भेजे गए. फिलहाल, अब तक की जांच में ये साफ हो चुका है कि यहां वहीं पक्षी काल का ग्रास बन रहे हैं जो नॉन वेजिटेरियन है.

पढ़ें- सांभर झील में पक्षियों की मौत का आंकड़ा 10 हजार के पार, पक्षी प्रेमियों ने उच्च स्तरीय जांच के लिए की मांग

पिछले 10 दिनों में झील से करीब 25 हजार प्रवासी पक्षियों के शव निकाले जा चुके हैं. जबकि, यह आंकड़ा इसके 2 गुना तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. प्रशासन झील से पक्षियों के शव को निकालकर पास में ही जमींदोज कर रहा है, जिससे संक्रमण न फैले. हालांकि, यहां प्रशासन की एक बड़ी चूक भी सामने आई है. मृतक पक्षियों को निकालने का काम केवल झील के एक छोटे से एरिया में किया जा रहा है और एनडीआरएफ के जवान भी यहां पानी से बीमार और मृतक पक्षी निकाल रहे हैं.

लेकिन 90 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील के अधिकतर इलाकों तक ना तो प्रशासन पहुंचा है और ना ही ड्रोन या अन्य किसी उपकरण से वहां की स्थिति की जानकारी जुटाई गई है. आलम यह है कि 8 दिन पहले तक सिविल डिफेंस के जवानों को यहां रेस्क्यू के लिए लगाया गया था. लेकिन अब उनकी संख्या भी 15 कर दी गई है.

पढ़ें- भाजपा तैयार करेगी रिपोर्ट प्रदेश और केंद्र सरकार को भी कराएगी अवगत: सतीश पूनिया

मामला गंभीर है लिहाजा पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के साथ ही विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तक यहां दौरा कर चुके हैं. लेकिन परिंदों की मौत के क्या कारण हैं और इसका स्थाई समाधान क्या हो सकता है. इसे लेकर सिर्फ बयानबाजी ही की जा रही है.

Intro:(Special Report)
प्रवासी पक्षियों का कब्रगाह बनी सांभर झील, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

परिंदों की कब्र कहां है पूरी झील लेकिन रेस्क्यू एक छोटे से इलाके तक सीमित

अब तक 25 हजार परिंदे पहुंचे मौत के मुंह में, आंकड़ा दो गुना तक पहुँचने की संभावना

सांभर झील में अधिकतर वही परिंदे काल का ग्रास बने जो नॉन वेजिटेरियन थे- चिकित्सक

जयपुर (इंट्रो)
देशभर में अपने नमक के लिए मशहूर सांभर झील अब परिंदों की कब्रगाह के लिए दुनिया भर में कुख्यात होने लगी है। पिछले 10 दिनों से यह झील विदेशी मेहमान परिंदों के जीवन पर ग्रहण बनकर उभरी है। हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां आने वाले विदेशी परिंदे यहां लगातार काल का ग्रास बन रहे हैं बावजूद इसके अब तक इनके मौत के सही कारणों जानकारी प्रशासन नहीं जुटा सकी है। वही मृत परिंदों को निकालने का काम जीते एक छोटे से क्षेत्र में चल रहा है जबकि पूरी झील में इस त्रासदी से कितने परिंदे मारे गए इसकी जानकारी अब तक प्रशासन तक नहीं जुटाई । प्रवासी परिंदों की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनी इस झील की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट लेने के लिए यहां पहुंची ईटीवी भारत की टीम।

(Vo1)
देश में खारे पानी की सबसे बड़ी झील.. सांभर झील... यह वही झील है जिसके तटों पर कभी देशी विदेशी परिंदों की चेहचाहट सबको रोमांचित करती थी और इन नजरों को निहारने देश विदेश के हजारों सैलानी यहाँ पहुंचते थे लेकिन अब यहां पसरा है मौत का सन्नाटा..और ये झील बन चुकी है प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह। इस झील में एकाएक परिंदों की मौत का सिलसिला क्यों शुरू हुआ अब तक जांच का विषय है। प्रशासन और वन पर्यावरण विभाग अब तक केवल इस त्रासदी के कारणों का अंदाजा ही लगा रहा है,जांच के लिए कुछ परिंदों के शव राजस्थान के बाहर लेबोरेट्री में भी भेजे गए। हां जी अब तक की जांच में यह तो तय हो चुका है यहां वही पक्षी काल का ग्रास बन रहे हैं जो नॉन वेजिटेरियन है।

(मिड रिपोर्टर पीटीसी विथ बाईट-डॉ सुनील कुमावत, पशु चिकित्सक)

(Vo2)
पिछले 10 दिनों में झील में करीब 25 हजार प्रवासी पक्षियों के शव निकाले जा चुके हैं जबकि यह आंकड़ा इसके 2 गुना तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। प्रशासन झील से पक्षियों के शव को निकालकर पास में ही जमींदोज कर रहा है ताकि संक्रमण न फैले। हालांकि यह प्रशासन से एक बड़ी चूक भी सामने आई है। मृतक पक्षियों को निकालने का काम केवल झील के एक छोटे से एरिया में किया जा रहा है और एनडीआरएफ के जवान भी यहां ही पानी से बीमार और मृतक पक्षी निकाल रहे हैं लेकिन 90 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील के अधिकतर इलाकों तक ना तो प्रशासन पहुंचा है और ना ही ग्रोन या अन्य किसी उपकरण से वहां की स्थिति की जानकारी जुटाई गई है। आलम यह है कि 8 दिन पहले तक सिविल डिफेंस के जवानों को यह रेस्क्यू के लिए लगाया गया था उनकी संख्या भी अब 15 कर दी गई है।

बाईट- भीम सिंह,जवान,सिविल डिफेंस
बाईट- संतोष ,जवान,सिविल डिफेंस

(Vo3)
मामला गंभीर है लिहाजा पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के साथ ही विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तक यहां दौरा कर चुके हैं लेकिन परिंदों की मौत के का कारण क्या है और इसका स्थाई समाधान क्या हो सकता है इसको लेकर केवल बयानबाजी की जा रही है।

(रिपोर्टर क्लोज़िंग पीटीसी-पीयूष शर्मा,सीनियर रिपोर्टर जयपुर)

Note- यह स्पेशल स्टोरी है इसलिए इसका वॉइस ओवर डेस्क से ही करवाया जाए और एडिटिंग भी उसी तरह से करवाएं।




Body:Note- यह स्पेशल स्टोरी है इसलिए इसका वॉइस ओवर डेस्क से ही करवाया जाए और एडिटिंग भी उसी तरह से करवाएं, संबंधित बाइट p2c और विजुअल खबर के साथ भेज रहा हूं।




Conclusion:
Last Updated : Nov 19, 2019, 11:48 PM IST
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