जयपुर. देशभर में अपने नमक के लिए मशहूर सांभर झील अब परिंदों की कब्रगाह के लिए दुनिया भर में कुख्यात होने लगी है. पिछले 10 दिनों से यह झील विदेशी परिंदों के जीवन पर ग्रहण बनकर उभरी है. हजारों किलोमीटर की यात्रा करके यहां आने वाले विदेशी परिंदे लगातार काल का ग्रास बन रहे हैं. बावजूद इसके अब तक इनके मौत के सही कारणों की जानकारी प्रशासन नहीं जुटा सका है.
वहीं, मृत परिंदों को निकालने का काम झील के एक छोटे से क्षेत्र में चल रहा है. जबकि, पूरी झील में इस त्रासदी से कितने परिंदे मारे गए इसकी जानकारी अब तक प्रशासन नहीं जुटा पाया है. प्रवासी परिंदों की सबसे बड़ी त्रासदी की गवाह बनी इस झील की ग्राउंड जीरो रिपोर्ट लेने के लिए पहुंची ईटीवी भारत की टीम.
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देश में खारे पानी की सबसे बड़ी सांभर झील यह वही झील है जिसके तटों पर कभी देसी विदेशी परिंदों की चेहचाहट सबको रोमांचित करती थी और इन नजारों को निहारने देश विदेश के हजारों सैलानी यहां पहुंचते थे. लेकिन अब यहां पसरा है मौत का सन्नाटा और ये झील बन चुकी है प्रवासी पक्षियों की कब्रगाह. इस झील में एकाएक परिंदों की मौत का सिलसिला क्यों शुरू हुआ ये अब तक जांच का विषय है.
प्रशासन और वन पर्यावरण विभाग अब तक केवल इस त्रासदी के कारणों का अंदाजा ही लगा रहा है. वहीं, जांच के लिए कुछ परिंदों के शव राजस्थान के बाहर लेबोरेटरी में भी भेजे गए. फिलहाल, अब तक की जांच में ये साफ हो चुका है कि यहां वहीं पक्षी काल का ग्रास बन रहे हैं जो नॉन वेजिटेरियन है.
पिछले 10 दिनों में झील से करीब 25 हजार प्रवासी पक्षियों के शव निकाले जा चुके हैं. जबकि, यह आंकड़ा इसके 2 गुना तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. प्रशासन झील से पक्षियों के शव को निकालकर पास में ही जमींदोज कर रहा है, जिससे संक्रमण न फैले. हालांकि, यहां प्रशासन की एक बड़ी चूक भी सामने आई है. मृतक पक्षियों को निकालने का काम केवल झील के एक छोटे से एरिया में किया जा रहा है और एनडीआरएफ के जवान भी यहां पानी से बीमार और मृतक पक्षी निकाल रहे हैं.
लेकिन 90 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैली झील के अधिकतर इलाकों तक ना तो प्रशासन पहुंचा है और ना ही ड्रोन या अन्य किसी उपकरण से वहां की स्थिति की जानकारी जुटाई गई है. आलम यह है कि 8 दिन पहले तक सिविल डिफेंस के जवानों को यहां रेस्क्यू के लिए लगाया गया था. लेकिन अब उनकी संख्या भी 15 कर दी गई है.
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मामला गंभीर है लिहाजा पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के साथ ही विपक्षी दल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया तक यहां दौरा कर चुके हैं. लेकिन परिंदों की मौत के क्या कारण हैं और इसका स्थाई समाधान क्या हो सकता है. इसे लेकर सिर्फ बयानबाजी ही की जा रही है.