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2018 में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति एक्ट बना, लेकिन 5 साल में भी नहीं हुआ बोर्ड का गठन

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 17, 2023, 7:15 AM IST

Updated : Sep 17, 2023, 7:26 AM IST

इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा बोर्ड के गठन का इंतजार कर रहे चिकित्सकों का सरकार के खिलाफ फूटा गुस्सा. उन्होंने कहा कि साल 2018 में राज्य सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की जांच के बाद एक्ट तो लागू कर दिया, लेकिन रेगुलेट करने के लिए अभी तक बोर्ड नहीं बनाई है.

Doctors protest for electropathy medical board
इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों का सरकार के खिलाफ मोर्चा
इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

जयपुर. बीते 5 साल से इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा बोर्ड के गठन का इंतजार कर रहे चिकित्सकों के सब्र का बांध अब टूट गया है. साल 2018 में राज्य सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की जांच के बाद एक्ट तो लागू कर दिया, लेकिन इसे रेगुलेट करने के लिए अब तक बोर्ड नहीं बना पाई. जिसकी मांग को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.

इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड गठन करने, बोर्ड के रजिस्ट्रार की नियुक्ति दोबारा करने, सरकार की ओर से आवंटित बोर्ड कार्यालय का सुचारू संचालन करने और चिकित्सकों का पंजीयन शुरू करने जैसी मांगों को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टर्स आंदोलन की राह पर उतरे. साथ ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि यदि बोर्ड नहीं बनाया गया तो कांग्रेस सरकार को वोट नहीं दिया जाएगा. इस संबंध में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष हेमंत सेठिया ने बताया कि 2018 में एक्ट बना. उससे पहले 15 वर्ष तक राजस्थान की सरकार ने इलेक्ट्रोपैथी की विभिन्न जांच की.

शिक्षा, मेडिसिन इफेक्ट, डॉक्टर्स क्लिनिक और शिक्षण केंद्र की जांच करते हुए सरकार की समिति ने रिपोर्ट बनाकर इस पद्धति को अप्रूवल दी. इसको ध्यान में रखते हुए 2018 में एक एक्ट बना था. लेकिन उसको रेगुलेट करने के लिए बोर्ड का गठन आज तक भी नहीं किया गया. इसी मांग को लेकर बीते 5 साल से लगातार हर स्तर पर अपनी बात रखी गई. अधिकारियों और मंत्री तक को ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. यही नहीं विधानसभा में भी विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने प्रश्न भी उठाए और सरकार का ध्यान भी आकर्षित कराया. फिर भी सरकार ने उदासीन रवैया अपनाया हुआ है. ऐसे में अब आंदोलन की राह पर उतरना पड़ा है. उन्होंने सवाल उठाया कि विभिन्न समाज के बोर्ड का गठन कर दिया, लेकिन जो सस्ती, सरल, हर्बल पद्धति लोगों के हित में है, उसका बोर्ड क्यों नहीं?

पढ़ें कलेक्टर बने डॉक्टर : बूंदी DM ने अस्पताल में जाकर मरीजों को दिया परामर्श, CM गहलोत ने की तारीफ

वहीं इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक डॉ पूजा कसेरा ने बताया कि इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड बनने से आमजन को फायदा होगा. जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग दूसरी चिकित्सा पद्धति अपना नहीं पाते, वो इस पद्धति को आसानी से अपना सकते हैं. ये नेचुरोपैथी से रिलेटेड पद्धति है. इसमें किसी तरह की केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता. किसी को कोई साइड इफेक्ट होने के चांस नहीं रहते हैं. इस पद्धति के इस्तेमाल से क्रॉनिक डिजीज में भी सफलता अर्जित की है. उन्होंने कहा कि बोर्ड बनने से आम जनता के बीच इलेक्ट्रोपैथी की जानकारी पहुंचेगी और लोग इस चिकित्सा पद्धति का फायदा ले सकेंगे.

पढ़ें प्रदेश में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा पद्धति लागू करें मत्री जी, नहीं तो सोनिया गांधी से शिकायत कर दूंगाः अशोक लाहोटी

इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

जयपुर. बीते 5 साल से इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा बोर्ड के गठन का इंतजार कर रहे चिकित्सकों के सब्र का बांध अब टूट गया है. साल 2018 में राज्य सरकार ने इस चिकित्सा पद्धति की जांच के बाद एक्ट तो लागू कर दिया, लेकिन इसे रेगुलेट करने के लिए अब तक बोर्ड नहीं बना पाई. जिसकी मांग को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टरों ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला.

इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड गठन करने, बोर्ड के रजिस्ट्रार की नियुक्ति दोबारा करने, सरकार की ओर से आवंटित बोर्ड कार्यालय का सुचारू संचालन करने और चिकित्सकों का पंजीयन शुरू करने जैसी मांगों को लेकर इलेक्ट्रोपैथी डॉक्टर्स आंदोलन की राह पर उतरे. साथ ही सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि यदि बोर्ड नहीं बनाया गया तो कांग्रेस सरकार को वोट नहीं दिया जाएगा. इस संबंध में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष हेमंत सेठिया ने बताया कि 2018 में एक्ट बना. उससे पहले 15 वर्ष तक राजस्थान की सरकार ने इलेक्ट्रोपैथी की विभिन्न जांच की.

शिक्षा, मेडिसिन इफेक्ट, डॉक्टर्स क्लिनिक और शिक्षण केंद्र की जांच करते हुए सरकार की समिति ने रिपोर्ट बनाकर इस पद्धति को अप्रूवल दी. इसको ध्यान में रखते हुए 2018 में एक एक्ट बना था. लेकिन उसको रेगुलेट करने के लिए बोर्ड का गठन आज तक भी नहीं किया गया. इसी मांग को लेकर बीते 5 साल से लगातार हर स्तर पर अपनी बात रखी गई. अधिकारियों और मंत्री तक को ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन सुनवाई नहीं हुई. यही नहीं विधानसभा में भी विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों ने प्रश्न भी उठाए और सरकार का ध्यान भी आकर्षित कराया. फिर भी सरकार ने उदासीन रवैया अपनाया हुआ है. ऐसे में अब आंदोलन की राह पर उतरना पड़ा है. उन्होंने सवाल उठाया कि विभिन्न समाज के बोर्ड का गठन कर दिया, लेकिन जो सस्ती, सरल, हर्बल पद्धति लोगों के हित में है, उसका बोर्ड क्यों नहीं?

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वहीं इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सक डॉ पूजा कसेरा ने बताया कि इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड बनने से आमजन को फायदा होगा. जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग दूसरी चिकित्सा पद्धति अपना नहीं पाते, वो इस पद्धति को आसानी से अपना सकते हैं. ये नेचुरोपैथी से रिलेटेड पद्धति है. इसमें किसी तरह की केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता. किसी को कोई साइड इफेक्ट होने के चांस नहीं रहते हैं. इस पद्धति के इस्तेमाल से क्रॉनिक डिजीज में भी सफलता अर्जित की है. उन्होंने कहा कि बोर्ड बनने से आम जनता के बीच इलेक्ट्रोपैथी की जानकारी पहुंचेगी और लोग इस चिकित्सा पद्धति का फायदा ले सकेंगे.

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Last Updated : Sep 17, 2023, 7:26 AM IST

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