जयपुर. विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजस्थान में आचार संहिता लागू हो चुकी है. इसके बाद अब जिला निर्वाचन अधिकारी भी सतर्क हो चुके हैं. जिला स्तर पर राज्य सरकार की योजनाओं के प्रचार के लगे होर्डिंग्स को हटाने का काम अब शुरू हो चुका है. प्रदेश भर में सरकारी कर्मचारियों को इस काम के लिए तैनात कर दिया गया है. हाल ही में राज्य सरकार ने महंगाई राहत को लेकर प्रदेश स्तर पर एक बड़ा कैम्पेन शुरू किया था.
पिछले चुनाव का यह रहा हिसाब - साल 2018 में राजस्थान में 28 नवंबर को मतदान हुआ था. पिछले चुनाव में प्रदेश में 2294 मतदाता मैदान में उतरे थे. वहीं 3 करोड़ 53 लाख 90 हजार 876 वोटर्स ने अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल किया था. उन चुनाव में 73.49 फ़ीसदी पुरुष मतदाता और 74.67 की प्रतिशत महिला मतदाताओं ने वोटिंग की थी.
यह रहा था परिणाम- प्रदेश में बीते ढाई दशक से हर पांच साल में सत्ता में बदलाव का रिवाज चल रहा है, जिसमें कभी वसुंधरा राजे और कभी अशोक गहलोत सीएम बनते रहे हैं. पिछली बार राज्य में चुनावों के नतीजे 11 दिसंबर 2018 को जारी किए गए थे, जहां अलवर की रामगढ़ सीट छोड़कर बाकी 199 सीटों पर मतदान करवाया गया था. राज्य की रामगढ़ सीट पर बसपा के प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद वहां चुनाव स्थगित हो गया था. उन चुनावों में कांग्रेस ने बीजेपी को मात देते हुए 99 सीटें जीती थी. हालांकि उपचुनाव की जीत और बसपा विधायकों के विलय के बाद विधानसभा में सत्ता पक्ष यानी कांग्रेस के विधायकों की संख्या 108 हो गई. वहीं भाजपा फिलहाल 70 सीटों पर काबिज है, जबकि 22 अन्य विधायकों में तेरह निर्दलीय शामिल हैं.
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