जयपुर. जिला उपभोक्ता आयोग जयपुर-द्वितीय ने उपभोक्ता के खरीदे गए फ्लैट का तय समय में कब्जा नहीं देने, रजिस्ट्री नहीं करवाने व कमियों को दुरुस्त नहीं करने को अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करार दिया है. वहीं, विपक्षी बिल्डर्स पर 3.10 लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए उन्हें दो महीने में फ्लैट की रजिस्ट्री परिवादी के पक्ष में करवाने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही परिवादी को कहा है कि वह 7.10 लाख रुपए विपक्षी बिल्डर्स के यहां पर जमा कराए. आयोग के अध्यक्ष ग्यारसी लाल मीना व सदस्य हेमलता अग्रवाल ने यह निर्देश सपना व अन्य के परिवाद पर दिया.
आयोग ने कहा कि दस्तावेजों से स्पष्ट है कि विपक्षी ने फ्लैट का कब्जा तो दे दिया, लेकिन उसकी कमियों को दूर नहीं किया, जो सेवादोष की श्रेणी में आता है. परिवाद में कहा गया कि परिवादी ने मैसर्स त्रिमूर्ति कॉलोनाइजर्स एंड बिल्डर्स व एसए खालिद सहित अन्य की स्कीम त्रिमूर्ति कोहिनूर गार्डन में एक फ्लैट बुक कराया था. जिसकी कीमत 47,10,400 रुपए थी. परिवादिया ने 19 फरवरी 2015 को एग्रीमेंट किया और 35 लाख रुपए चेक के जरिए दे दिए, लेकिन बिल्डर ने फ्लैट का कब्जा नहीं दिया और न ही सोलर लाइट, वाटर हार्वेस्टिंग व बोरिंग सिस्टम शुरू किया.
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इस दौरान विपक्षी ने उससे 23 दिसंबर 2017 को 6,95,952 रुपए ब्याज राशि की मांग की. वहीं परिवादी से बकाया 7.10 लाख रुपए लेकर उसके पक्ष में फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं करवाई. इसलिए विपक्षी को निर्देश दिए जाएं कि वह जमा करवाई गई राशि पर ब्याज दिलवाए और फ्लैट की खामियों को दूर करते हुए रजिस्ट्री उनके पक्ष में करवाए. जवाब में विपक्षी का कहना था कि परिवाद में फ्लैट के शेयर ऑनर्स को पक्षकार नहीं बनाया है और उसने बकाया राशि नहीं दी है. इसलिए परिवाद खारिज किया जाए. आयोग ने दोनों पक्षों को सुनकर विपक्षी को परिवादिया के पक्ष में फ्लैट की रजिस्ट्री हर्जाने सहित करवाने व परिवादिया को बकाया राशि जमा करवाने का निर्देश दिया है.