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क्या पायलट-गहलोत के कारण कांग्रेस को चुनावी राज्यों की बैठक करनी पड़ी स्थगित ? राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज

दिल्ली में चुनावी राज्यों को लेकर बनाई जाने वाली रणनीति के लिए होने वाली कांग्रेस की बैठक को स्थगित कर दिया गया है. इस खबर के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री आवास पर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, स्पीकर सीपी जोशी और मंत्री शांति धारीवाल की वार्ता हुई.

Sachin Pilot and Ashok Gehlot
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Published : May 26, 2023, 2:05 PM IST

जयपुर. चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान की 26 मई को होने वाली कांग्रेस की बैठक स्थगित कर दी गई है. भले ही इसके पीछे कारण कांग्रेस की ओर से कर्नाटक में मंत्रिमंडल को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात और मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने को बताया जा रहा हो, लेकिन यह कारण किसी के गले नहीं उतर रहे हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ होने वाली चारों राज्यों के नेताओं के साथ इस बैठक का भले ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की राजनीति पर कोई खास असर नहीं पड़े. मगर राजस्थान में चल रही गहलोत और पायलट के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और इस बैठक से दोनों के बीच सुलह के प्रयासों की उम्मीद को बड़ा झटका लगा है. वैसे भी दिल्ली में होने जा रही 4 राज्यों की बैठक का अगर बेसब्री से कांग्रेस का कार्यकर्ता इंतजार कर रहा था कि पार्टी में आगामी चुनाव में किसकी भूमिका क्या रहेगी? वहीं, राजस्थान में यह माना जा रहा है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी ही इस बैठक के स्थगित होने का प्रमुख कारण है.

पायलट दुविधा में क्या करे, अल्टीमेटम खत्म होने में बचे केवल 4 दिन : 26 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक से अगर सबसे ज्यादा फायदा किसी नेता को होने की उम्मीद थी, तो वह थे सचिन पायलट क्योंकि सचिन पायलट राजस्थान की गहलोत सरकार के खिलाफ अपनी तीन मांगों को लेकर 15 दिन का अल्टीमेटम दे चुके हैं, जो 31 मई को पूरा होने जा रहा है. पहले तो सचिन पायलट के इस बैठक में शामिल होने पर ही संशय था. लेकिन जब रंधावा ने यह कहा कि सचिन पायलट भी इस बैठक में शामिल होंगे तो साफ है कि जब कांग्रेस आलाकमान के सामने दोनों नेता बैठते. भले ही बैठक में बात चुनावी रणनीति की होती, लेकिन सबसे मुद्दा सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सुलह के फार्मूले की बात का भी होता.

संभव है कि दोनों नेता आलाकमान की ओर से तय किए फार्मूले को मानने को बाध्य होते, लेकिन अब इस बैठक के नहीं होने से सचिन पायलट को सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है, क्योंकि अगर यह बैठक 31 मई से पहले नहीं हुई तो पायलट को यह निर्णय लेना पड़ेगा कि वह अपनी उन मांगों को लेकर जनता के बीच जाएं, जिन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुद्धि का दिवालियापन बता चुके हैं या फिर कांग्रेस आलाकमान से बात कर कोई बीच का रास्ता निकाले.

Sachin Pilot and Ashok Gehlot
गहलोत, रंधावा, डोटासरा, सीपी जोशी और शांति धारीवाल के बीच वार्ता

पढ़ें : ACB में पूर्णकालिक DG नहीं होने पर सतीश पूनिया ने उठाए सवाल, पूछा-आखिर मुख्यमंत्री की क्या है मजबूरी ?

गहलोत, रंधावा, डोटासरा, सीपी जोशी और शांति धारीवाल के बीच वार्ता : गुरुवार 25 मई को जैसे ही यह खबर आई की दिल्ली में चुनावी राज्यों को लेकर बनाई जाने वाली रणनीति के लिए होने वाली बैठक को स्थगित कर दिया गया है. इस खबर के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री आवास पर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, स्पीकर सीपी जोशी और मंत्री शांति धारीवाल पहुंचे और वार्ता की. हालांकि कहा जा रहा है कि मंत्री प्रमोद जैन भाया के कार्यक्रम में इन सभी नेताओं को शामिल होना था. उसे लेकर यह चर्चा हुई थी, लेकिन जो चर्चा फोन पर हो सकती थी उसके लिए सभी नेताओं को इकट्ठा होने की आवश्यकता क्यों पड़ी? इस पर भी हर कोई कयास लगा रहा है कि क्या सभी नेताओं के बीच चर्चा मंत्री प्रमोद जैन भाया के कार्यक्रम के चलते हुई या फिर इसका उद्देश्य दिल्ली में होने वाली बैठक था.

जयपुर. चुनावी राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान की 26 मई को होने वाली कांग्रेस की बैठक स्थगित कर दी गई है. भले ही इसके पीछे कारण कांग्रेस की ओर से कर्नाटक में मंत्रिमंडल को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मुलाकात और मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने को बताया जा रहा हो, लेकिन यह कारण किसी के गले नहीं उतर रहे हैं. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ होने वाली चारों राज्यों के नेताओं के साथ इस बैठक का भले ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की राजनीति पर कोई खास असर नहीं पड़े. मगर राजस्थान में चल रही गहलोत और पायलट के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता और इस बैठक से दोनों के बीच सुलह के प्रयासों की उम्मीद को बड़ा झटका लगा है. वैसे भी दिल्ली में होने जा रही 4 राज्यों की बैठक का अगर बेसब्री से कांग्रेस का कार्यकर्ता इंतजार कर रहा था कि पार्टी में आगामी चुनाव में किसकी भूमिका क्या रहेगी? वहीं, राजस्थान में यह माना जा रहा है कि सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही राजनीतिक रस्साकशी ही इस बैठक के स्थगित होने का प्रमुख कारण है.

पायलट दुविधा में क्या करे, अल्टीमेटम खत्म होने में बचे केवल 4 दिन : 26 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक से अगर सबसे ज्यादा फायदा किसी नेता को होने की उम्मीद थी, तो वह थे सचिन पायलट क्योंकि सचिन पायलट राजस्थान की गहलोत सरकार के खिलाफ अपनी तीन मांगों को लेकर 15 दिन का अल्टीमेटम दे चुके हैं, जो 31 मई को पूरा होने जा रहा है. पहले तो सचिन पायलट के इस बैठक में शामिल होने पर ही संशय था. लेकिन जब रंधावा ने यह कहा कि सचिन पायलट भी इस बैठक में शामिल होंगे तो साफ है कि जब कांग्रेस आलाकमान के सामने दोनों नेता बैठते. भले ही बैठक में बात चुनावी रणनीति की होती, लेकिन सबसे मुद्दा सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सुलह के फार्मूले की बात का भी होता.

संभव है कि दोनों नेता आलाकमान की ओर से तय किए फार्मूले को मानने को बाध्य होते, लेकिन अब इस बैठक के नहीं होने से सचिन पायलट को सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है, क्योंकि अगर यह बैठक 31 मई से पहले नहीं हुई तो पायलट को यह निर्णय लेना पड़ेगा कि वह अपनी उन मांगों को लेकर जनता के बीच जाएं, जिन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुद्धि का दिवालियापन बता चुके हैं या फिर कांग्रेस आलाकमान से बात कर कोई बीच का रास्ता निकाले.

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गहलोत, रंधावा, डोटासरा, सीपी जोशी और शांति धारीवाल के बीच वार्ता

पढ़ें : ACB में पूर्णकालिक DG नहीं होने पर सतीश पूनिया ने उठाए सवाल, पूछा-आखिर मुख्यमंत्री की क्या है मजबूरी ?

गहलोत, रंधावा, डोटासरा, सीपी जोशी और शांति धारीवाल के बीच वार्ता : गुरुवार 25 मई को जैसे ही यह खबर आई की दिल्ली में चुनावी राज्यों को लेकर बनाई जाने वाली रणनीति के लिए होने वाली बैठक को स्थगित कर दिया गया है. इस खबर के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री आवास पर प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, स्पीकर सीपी जोशी और मंत्री शांति धारीवाल पहुंचे और वार्ता की. हालांकि कहा जा रहा है कि मंत्री प्रमोद जैन भाया के कार्यक्रम में इन सभी नेताओं को शामिल होना था. उसे लेकर यह चर्चा हुई थी, लेकिन जो चर्चा फोन पर हो सकती थी उसके लिए सभी नेताओं को इकट्ठा होने की आवश्यकता क्यों पड़ी? इस पर भी हर कोई कयास लगा रहा है कि क्या सभी नेताओं के बीच चर्चा मंत्री प्रमोद जैन भाया के कार्यक्रम के चलते हुई या फिर इसका उद्देश्य दिल्ली में होने वाली बैठक था.

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