जयपुर. राजधानी को मिली ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की जमीनी हकीकत ईटीवी भारत द्वारा प्रशासन के सामने रखे जाने के बाद अब स्वायत्त शासन विभाग ने इस पर संज्ञान लिया है. और अब तक जिस रैंकिंग को लेकर वाहवाही लूटी जा रही थी. उस पर ठोस रणनीति बनाने के साथ ही निगम द्वारा कमियों में सुधार की बात कही जा रही है.
ईटीवी भारत ने बीते सप्ताह जयपुर के विभिन्न जोन की पड़ताल करने के बाद ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की जमीनी हकीकत प्रशासन के सामने रखी. जिसके बाद निगम से लेकर स्वायत्त शासन विभाग के उच्च अधिकारियों ने भी मामले पर संज्ञान लिया. और अब ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग को बनाए रखने के लिए ठोस रणनीति बनाने की बात की जा रही है. स्वायत्त शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन ने ओडीएफ और ओडीएफ प्लस प्लस का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि जनसंख्या के हिसाब से प्रदेश में टॉयलेट उपलब्ध कराए गए हैं. जिसकी वजह से प्रदेश को ओडीएफ रैंकिंग मिली है. जबकि ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग में इसकी स्थिरता और नियमितता की भी जरूरत होती है. कोई भी व्यक्ति खुले में शौच ना करें, शौचालयों का इस्तेमाल करें. इसके लिए अब एक रणनीति बनाई जा रही है.
सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग में खुले में शौच के अलावा डोर टू डोर कचरा संग्रहण और उस कचरे का साइंटिफिक प्रोसेसिंग के जरिए डिस्पोजल किया जाना भी शामिल रहता है. जिस पर भी विभाग रणनीति बनाने में जुट गया है. वहीं जयपुर में ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की खुले में उड़ रही धज्जियां पर स्वायत्त शासन सचिव ने कहा कि नगर निगम के जरिए कमियों में सुधार किया जाएगा.
बहरहाल, ईटीवी भारत ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए ओडीएफ प्लस प्लस रैंकिंग की हकीकत को प्रशासन के सामने रखा. ताकि वाहवाही लूटने के बजाय नगर निगम और स्वायत्त शासन विभाग इस पर नियमित मॉनिटरिंग कर इसे व्यवस्थित करें. अब जब विभाग की ओर से ठोस रणनीति की बात की जा रही है. तो इस रणनीति के धरातल पर उतरने का इंतजार होगा.