ETV Bharat / state

ST-SC महापंचायत के मंच से उठी CM बनाने की मांग, अचानक संबोधन के दौरान नाराज हुए मंत्री गोविंद राम मेघवाल, हाथापाई की नौबत

राजधानी जयपुर में रविवार को अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की महापंचायत का आयोजन हुआ. जिसमें समाज से सीएम चुने जाने समेत अन्य कई लंबित मांगों को दोहराया गया. इस बीच मंच पर अपने अधूरे संबोधन को छोड़ एकाएक मंत्री गोविंद राम मेघवाल नीचे उतर आए और वो वहां से चले (ST SC Mahapanchayat in Jaipur) गए.

ST SC Mahapanchayat in Jaipur
मंच पर बिफरे मंत्री.
author img

By

Published : Apr 2, 2023, 8:24 PM IST

मंच पर बिफरे मंत्री.

जयपुर. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महापंचायत के मंच से भी अब मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठी है. साथ ही प्रदेश में एससी-एसटी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और समाज की जनसंख्या को देखते हुए दो फीसदी और आरक्षण बढ़ाने की मांग की गई है. वहीं, महापंचायत के दौरान मंच पर गहलोत सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी मौजूद रहे, जो एकाएक नाराज हो गए और देखते ही देखते वहां विवाद की स्थिति बन गई. दरअसल, मंच पर आयोजकों ने मंत्री मेघवाल को बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया था. इसी बात को लेकर उनके समर्थक नाराज हो गए और मंत्री के जाते ही वहां हाथापाई की नौबत आ गई. इधर, मंत्री मेघवाल के अलावा तीन अन्य मंत्री महापंचायत में शामिल हुए थे, जो विवाद के बाद बिना संबोधन के लौट गए.

असल में चुनावी साल होने के नाते सभी समाज के लोग शक्ति प्रदर्शन कर अपनी मांगों को राज्य सरकार और सियासी पार्टियों के समक्ष उठा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को राजधानी जयपुर के मानसरोवर में अनुसूचित जाति व जनजाति महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें एससी-एसटी समाज के नेता, अधिकारी, पूर्व अधिकारी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए थे.

महापंचायत में उठे ये मुद्देः वहीं, पंचायत में एससी-एसटी समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया गया. इस दौरान समाज के नेताओं ने भारत बंद 2018 और काकरी डूंगरी 2020 में पुलिस की ओर से युवाओं के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने, एससी-एसटी का आरक्षण को 2 फीसदी और बढ़ाने की मांग उठाई. साथ ही राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, राजस्थान के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों और प्रोफेसर्स के पदों पर आरक्षण देने जैसी मांग उठाई गई.

इसे भी पढ़ें - Rajput Mahapanchayat : सवर्ण समाज के लिए उठी 14 फीसदी आरक्षण की मांग, बीजेपी- कांग्रेस के नेता रहे दूर

विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार के स्तर पर लंबित चल रही 22 मांगों और केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित 14 मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उनके अविलंब समाधान की भी अपील की गई. इस दौरान मंच से कई नेताओं ने राजस्थान में एससी-एसटी समाज से मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग की. इधर, दलित समाज ने खुलकर अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक न समझा जाए. अगर अब भी कोई पार्टी ऐसी सोच रखती है, उसे आगामी विधानसभा चुनाव में सब समझ में आ जाएगा.

मंत्री को भाषण के दौरान टोकाः महापंचायत में राज्य सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल के संबोधन के दौरान उन्हें बीच में ही रोक दिया गया. उन्हें दो मिनट में भाषण खत्म करने को कहा गया. जिस पर पहले उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जब बात ही पूरी नहीं रख सकते तो फिर यहां बोलने का मतलब ही क्या है? ये कहते हुए मंत्री मेघवाल मंच से उतर आए और वहां से लौट गए. जिसके बाद महापंचायत के कार्यकर्ताओं और गोविंद राम मेघवाल के समर्थकों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई.

इस दौरान मंत्री टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, ममता भूपेश, विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, प्रशांत बैरवा, वेदप्रकाश सोलंकी, गंगादेवी, बाबूलाल नागर, कैलाश वर्मा, नमोनारायाण मीणा, प्रेमचंद बैरवा और जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील भी मौजूद रहे. गोविंद राम मेघवाल को संबोधन के दौरान टोकने के विवाद को देखते हुए मंत्री ममता भूपेश, टीकाराम जूली और भंवर भजन लाल जाटव भी महापंचायत को संबोधित किए बिना भी वहां से रवाना हो गए.

मंच पर बिफरे मंत्री.

जयपुर. अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महापंचायत के मंच से भी अब मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग उठी है. साथ ही प्रदेश में एससी-एसटी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने और समाज की जनसंख्या को देखते हुए दो फीसदी और आरक्षण बढ़ाने की मांग की गई है. वहीं, महापंचायत के दौरान मंच पर गहलोत सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल भी मौजूद रहे, जो एकाएक नाराज हो गए और देखते ही देखते वहां विवाद की स्थिति बन गई. दरअसल, मंच पर आयोजकों ने मंत्री मेघवाल को बोलने के लिए दो मिनट का समय दिया था. इसी बात को लेकर उनके समर्थक नाराज हो गए और मंत्री के जाते ही वहां हाथापाई की नौबत आ गई. इधर, मंत्री मेघवाल के अलावा तीन अन्य मंत्री महापंचायत में शामिल हुए थे, जो विवाद के बाद बिना संबोधन के लौट गए.

असल में चुनावी साल होने के नाते सभी समाज के लोग शक्ति प्रदर्शन कर अपनी मांगों को राज्य सरकार और सियासी पार्टियों के समक्ष उठा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को राजधानी जयपुर के मानसरोवर में अनुसूचित जाति व जनजाति महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें एससी-एसटी समाज के नेता, अधिकारी, पूर्व अधिकारी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों से हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए थे.

महापंचायत में उठे ये मुद्देः वहीं, पंचायत में एससी-एसटी समाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों को उठाया गया. इस दौरान समाज के नेताओं ने भारत बंद 2018 और काकरी डूंगरी 2020 में पुलिस की ओर से युवाओं के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने, एससी-एसटी का आरक्षण को 2 फीसदी और बढ़ाने की मांग उठाई. साथ ही राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने, राजस्थान के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों और प्रोफेसर्स के पदों पर आरक्षण देने जैसी मांग उठाई गई.

इसे भी पढ़ें - Rajput Mahapanchayat : सवर्ण समाज के लिए उठी 14 फीसदी आरक्षण की मांग, बीजेपी- कांग्रेस के नेता रहे दूर

विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार के स्तर पर लंबित चल रही 22 मांगों और केंद्र सरकार के स्तर पर लंबित 14 मांगों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उनके अविलंब समाधान की भी अपील की गई. इस दौरान मंच से कई नेताओं ने राजस्थान में एससी-एसटी समाज से मुख्यमंत्री बनाने की भी मांग की. इधर, दलित समाज ने खुलकर अपनी बात रखते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक न समझा जाए. अगर अब भी कोई पार्टी ऐसी सोच रखती है, उसे आगामी विधानसभा चुनाव में सब समझ में आ जाएगा.

मंत्री को भाषण के दौरान टोकाः महापंचायत में राज्य सरकार में मंत्री गोविंद राम मेघवाल के संबोधन के दौरान उन्हें बीच में ही रोक दिया गया. उन्हें दो मिनट में भाषण खत्म करने को कहा गया. जिस पर पहले उन्होंने नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जब बात ही पूरी नहीं रख सकते तो फिर यहां बोलने का मतलब ही क्या है? ये कहते हुए मंत्री मेघवाल मंच से उतर आए और वहां से लौट गए. जिसके बाद महापंचायत के कार्यकर्ताओं और गोविंद राम मेघवाल के समर्थकों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई.

इस दौरान मंत्री टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, ममता भूपेश, विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा, प्रशांत बैरवा, वेदप्रकाश सोलंकी, गंगादेवी, बाबूलाल नागर, कैलाश वर्मा, नमोनारायाण मीणा, प्रेमचंद बैरवा और जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील भी मौजूद रहे. गोविंद राम मेघवाल को संबोधन के दौरान टोकने के विवाद को देखते हुए मंत्री ममता भूपेश, टीकाराम जूली और भंवर भजन लाल जाटव भी महापंचायत को संबोधित किए बिना भी वहां से रवाना हो गए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.