जयपुर. दीपावली की सफाई में व्यस्त गृहणियों और ऑफिस के काम में मशगूल रहने वाली वर्किंग वूमेन ने शनिवार को रूप चतुर्दशी पर्व को मनाने के लिए खुद के लिए समय निकाला. जयपुर की महिलाएं सजने संवरने में व्यस्त नजर आई. किसी ने घर में ही आटे और हल्दी का उबटन बनाकर खुद के शरीर पर लगाया तो किसी ने ब्यूटी पार्लर का रुख किया. हालांकि यहां भी उन्होंने अपने श्रृंगार में ऑर्गेनिक और नेचुरल प्रोडक्ट से फेशियल और मेकअप कराने पर फोकस किया.
जयपुर की महिलाओं ने बताया कि 5 दिन का दीपोत्सव पर्व लक्ष्मी के आगमन का पर्व होता है. हिंदू धर्म में महिलाओं को ही घर की लक्ष्मी भी कहा जाता है. लक्ष्मी के स्वागत के लिए जिस तरह घरों को साफ- सुथरा कर सजाया जाता है, उसी तरह घर की लक्ष्मी भी क्यों न खुद को निखार कर लक्ष्मी जी का स्वागत करे. वहीं गृहणियों ने बताया कि बीते 15-20 दिन से घर में साफ सफाई करने में जुटे हुए थे. ऐसे में दीपावली से पहले रूप चतुर्दशी के दिन पर खुद को समय दिया है.
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रूप चतुर्दशी पर निखरेगा चेहरा: महिलाओं ने बताया कि वैसे भी पूजा पाठ और उसके बाद जयपुर की खास रोशनी को देखना है तो खुद को निखारना भी जरूरी है. ब्यूटी पार्लर आईं महिलाओं ने बताया कि नेचुरल मेकअप सहज और सुंदर लगता है, इसलिए ऑर्गेनिक उबटन लगाया है. क्योंकि वो नेचुरल ग्लो देता है और फिर लाइट मेकअप करके भी 5 दिन त्योहार में आकर्षक नजर आ सकते हैं. वहीं एक गृहणी ने बताया कि ये त्योहार पूरी फैमिली के साथ एंजॉय करने का होता है.उस दौरान घर की दूसरी महिला सदस्य भी साथ होती हैं, ऐसे में कंपटीशन हो जाता है कि कौन ज्यादा सुंदर लगने वाला है.
रूप चतुर्दशी पर बाजारों में रौनक: वहीं ब्यूटी एक्सपर्ट पूर्णिमा गोयल ने बताया कि उनके पास पहुंचने वाली महिलाओं को ऑर्गेनिक और हर्बल प्रोडक्ट इस्तेमाल करते हुए फेशियल और मेकअप दिया गया है. इसमें घर में बने हुए उबटन से बॉडी स्क्रब कर पॉलिशिंग की गई है, इसके अलावा गुलाबों की पत्तियों, हल्दी, चंदन का उपयोग करते हुए फेशियल किया गया है, क्योंकि बीते दिनों त्योहार को लेकर साफ-सफाई की गई है, ऐसे में महिलाओं की त्वचा में डलनेस थी. जिसे केसर, हल्दी, चंदन आदि का इस्तेमाल करते हुए ग्लो देने का प्रयास किया है, ताकि उनकी त्वचा पूरे फेस्टिवल सीजन तक चमकती रहे.
किया था नरकासुर का वध: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का संहार कर उसकी कैद से 16000 महिलाओं को बचाकर उन्हें सौंदर्य, रूप और सतीत्व प्रदान किया था. यही वजह है कि रूप चतुर्दशी पर आज भी महिलाएं अपने सौंदर्य और रूप को निखारते हुए त्योहार को सेलिब्रेट करने के लिए तैयार होती हैं.