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पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने के विधेयक की होगी समीक्षा, वसुंधरा सरकार में लाया गया था विधेयक

पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा और सुविधा देने के निर्णय की प्रदेश की गहलोत सरकार समीक्षा करेगी. मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया. पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त ये विधेयक लाया गया था.

पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने के निर्णय की होगी समीक्षा
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Published : Jul 2, 2019, 8:49 PM IST

जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के आखरी 6 महीने के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रिमंडल सब कमेटी इस बात की भी समीक्षा करेगी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा दी जाए या नहीं. मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल सब कमेटी की बैठक में इस प्रकरण की पत्रावली अधिकारी से मांगी गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने के निर्णय की होगी समीक्षा

दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने शासनकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट का दर्जा और सुविधा देने का विधायक सदन में पास करवाया था जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास, कर्मचारी, वेतन, मेडिकल सहित को सभी सुविधाएं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती है वो पूर्व मुख्यमंत्री को भी मिलेगी. यह मामला तत्कालीन भाजपा विधायक घनश्याम तिवारी ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था और उन्होंने कहा था कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा किसी भी एक नेता को आजीवन कैसे दिया जा सकता है. तिवारी ने इस बात को भी उठाया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं नहीं दी जा सकती, लेकिन उस समय की तत्कालीन भाजपा सरकार ने बहुमत के साथ सदन में इस प्रस्ताव को विधायक के रूप में पास करवा लिया था.

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस सरकार द्वारा ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने का मामला उठाए जा रहा है. इससे पहले इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका लगी हुई है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा मुहैया कराने को गलत माना है. उस वक्त सरकार ने कोर्ट में यह दलील पेश की थी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए दी जाती है. इसे गलत नहीं कह सकते लेकिन अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ एक बार फिर पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय की समीक्षा शुरू हो गई है. ऐसे में अब देखना होगा कि क्या पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा लाए गए इस विधेयक को मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार बदलती है या नहीं.

जयपुर. पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के आखरी 6 महीने के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रिमंडल सब कमेटी इस बात की भी समीक्षा करेगी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा दी जाए या नहीं. मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल सब कमेटी की बैठक में इस प्रकरण की पत्रावली अधिकारी से मांगी गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने के निर्णय की होगी समीक्षा

दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने शासनकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट का दर्जा और सुविधा देने का विधायक सदन में पास करवाया था जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास, कर्मचारी, वेतन, मेडिकल सहित को सभी सुविधाएं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती है वो पूर्व मुख्यमंत्री को भी मिलेगी. यह मामला तत्कालीन भाजपा विधायक घनश्याम तिवारी ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था और उन्होंने कहा था कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा किसी भी एक नेता को आजीवन कैसे दिया जा सकता है. तिवारी ने इस बात को भी उठाया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं नहीं दी जा सकती, लेकिन उस समय की तत्कालीन भाजपा सरकार ने बहुमत के साथ सदन में इस प्रस्ताव को विधायक के रूप में पास करवा लिया था.

ऐसा नहीं है कि कांग्रेस सरकार द्वारा ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा देने का मामला उठाए जा रहा है. इससे पहले इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका लगी हुई है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा मुहैया कराने को गलत माना है. उस वक्त सरकार ने कोर्ट में यह दलील पेश की थी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए दी जाती है. इसे गलत नहीं कह सकते लेकिन अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ एक बार फिर पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय की समीक्षा शुरू हो गई है. ऐसे में अब देखना होगा कि क्या पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा लाए गए इस विधेयक को मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार बदलती है या नहीं.

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जयपुर

पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने के निर्णय की होगी समीक्षा , पूर्व मनुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार के वक्त लाया गया था विधेयक ,

एंकर:- पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट मंत्री का दर्जा और सुविधा देने के निर्णय की प्रदेश की गहलोत सरकार समीक्षा करेगी , मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में कैबिनेट सबकमेटी की बैठक में ये निर्णय लिया गया , पूर्व मनुख्यमंत्री वसुंधरा सरकार के वक्त ये विधेयक लाया गया था ।


Body:VO:- पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन सुविधा देने का मामला एक बार फिर गर्म हो गया है , प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार के आखरी 6 महीने के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाई गई मंत्रिमंडल सब कमेटी इस बात की भी समीक्षा करेगी कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधा दी जाए या नहीं मंत्री शांति धारीवाल की अध्यक्षता में आज सचिवालय में हुई मंत्रिमंडल सब कमेटी की बैठक में इस प्रकरण की पत्रावली अधिकारी से मांगी गई है , दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने शासनकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री को आजीवन कैबिनेट का दर्जा और सुविधा देने का विधायक सदन में पास करवाया था जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास , कर्मचारी , वेतन , मेडिकल सहित को सभी सुविधाएं जो एक कैबिनेट मंत्री को मिलती है वो पूर्व मुख्यमंत्री को भी मिलेगी , यह मामला तत्कालीन भाजपा विधायक घनश्याम तिवारी ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था और उन्होंने कहा था कि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा किसी भी एक नेता को आजीवन कैसे दिया जा सकता है , तिवारी ने इस बात को भी उठाया था कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सुविधाएं नहीं दी जा सकती , लेकिन उस समय की तत्कालीन उसने सरकार ने बहुमत के साथ सदन में इस प्रस्ताव को विधायक के रूप में पास करवा लिया था ।




Conclusion:VO:- ऐसा नहीं है कि कांग्रेस सरकार द्वारा ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को आज सुविधा देने का मामला उठाए जा रहा हूं इससे पहले इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में भी याचिका लगी हुई है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधा मुहैया कराने को गलत माना है उस वक्त सरकार ने कोर्ट में यह दलील पेश करी थी कि उसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्री को सुविधाएं देने उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए दी जाती है , इसे गलत नहीं कह सकते लेकिन अब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ एक बार फिर पूर्ववर्ती सरकार के इस निर्णय की समीक्षा शुरू हो गई है ऐसे में अब देखना होगा कि क्या पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा लाए गए इस विधेयक को मौजूदा कांग्रेस की गहलोत सरकार बदलती है।
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