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चाकसू के बरखेड़ा में तालाब किनारे मिले मृत पक्षी

चाकसू के बरखेड़ा गांव में तालाब के आसपास के क्षेत्र में मृत पक्षी पाए गए हैं. इससे प्रवासी परिंदों की सुरक्षा को लेकर संकट खड़ा हो गया है.

dead birds found in barkhera
चाकसू के बरखेड़ा में तालाब किनारे मिले मृत पक्षी
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Published : Jan 9, 2021, 4:19 PM IST

Updated : Jan 9, 2021, 5:19 PM IST

चाकसू (जयपुर). चाकसू उपखण्ड क्षेत्र के गांव बरखेड़ा में तालाब के आसपास के क्षेत्र में भी मृत पक्षी मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है. इससे प्रवासी परिंदों की सुरक्षा को लेकर संकट खड़ा हो गया, जबकि वन विभाग के अधिकारी योगेश मीणा ने बताया कि अभी इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिला वन अधिकारियों के साथ कल ही बरखेड़ा तालाब सहित अन्य जलाशयों का निरीक्षण किया गया था. यह जरूर कहा कि कोटखावदा रोड के नजदीक दो दिन पहले एकाद कौओं मृत मिलने के बाद मेडिकल टीम की ओर से नमूना सैम्पल लेकर जांच के लिए भिजवाया गया था, जिसकी फिलहाल अभी रिपोर्ट नहीं मिली है.

गौरतलब है कि यह मौसम प्रवासी पक्षियों का है. इन दिनों विभिन्न जलाशयों पर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी परिंदे आते हैं. अच्छी खबर है कि इलाके के सबसे बड़े चंदलाई रामसागर बांध में अभी बर्ड फ्लू जैसी कोई खबरें नहीं है, लेकिन बरखेड़ा निवासी ग्रामीण कैलाश शर्मा के अनुसार तालाब किनारे श्मशान के पास कुछ कौए मृत मिले हैं. बता दें कि प्रदेश में अभी कोविड महामारी का प्रकोप थमा नहीं है कि इस बीच इंसानों के बाद पक्षियों में बर्ड फ्लू रोग की एंट्री प्रवासी परिंदे के लिए खतरा बन गई है.

यह भी पढ़ें- जयपुरः फेसबुक पर नजदीकियां बढ़ाकर रिश्तेदार ने किया दुष्कर्म, पीड़िता ने दर्ज कराया मामला

गौर करने वाली बात है कि प्रदेश में बर्ड फ्लू के कारण बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत की खबरें भी सामने आ रही है. ऐसे में यहां आने वाले प्रवासी परिंदों की जान भी अब संकट में है, जो न केवल देश के विभिन्न इलाकों से बल्कि दुनिया के कई देशों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आते हैं. वहीं पक्षी विशेषज्ञों की माने तो ऐसे जलाशयों के नजदीक प्रवासी पंरिदों का ठिकाना बने हुए हैं. प्रदेश में जिस तेजी से बर्ड फ्लू फैल रहा है, उससे इन प्रवासी परिंदों की जान भी संकट में आ सकती है.

ऐसे हो सकता है खतरा

जिन वॉटर बॉडीज पर यह प्रवासी परिंदे निवास करते हैं, उन वॉटर बॉडीज पर स्थानीय परिंदें भी भोजन और पानी की तलाश में आते हैं. ये ऊंचे पेड़ों पर नदियों या तालाब किनारे शरण लेते हैं. बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर इनके संपर्क में आने पर अन्य पक्षी भी संक्रमित हो जाते हैं. चूंकि कौआ सभी जगह आसानी से पहुंच जाता है. इसलिए उससे सबसे अधिक खतरा रहता है. ऐसे में यदि कोई संक्रमित पक्षी इनके सम्पर्क में आता है, तो इन प्रवासी परिंदों की जान को संकट हो सकता है.

मौसम में बदलाव के साथ आते हैं पक्षी

पक्षी बारिश के बाद सर्दियों में आना प्रारंभ होते हैं. यह पक्षी पूर्वी यूरोप, साइबेरिया, मंगोलिया, पोलैण्ड सहित अन्य देशों से आते हैं. वॉटर बॉडीज में पक्षियों को भोजन भी आसानी से मिल जाता है. जानकारों के अनुसार अक्टूबर से ही मेहमान पक्षी यहां आना शुरू होते हैं और फरवरी में वापसी शुरू होती है.

चाकसू (जयपुर). चाकसू उपखण्ड क्षेत्र के गांव बरखेड़ा में तालाब के आसपास के क्षेत्र में भी मृत पक्षी मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है. इससे प्रवासी परिंदों की सुरक्षा को लेकर संकट खड़ा हो गया, जबकि वन विभाग के अधिकारी योगेश मीणा ने बताया कि अभी इस प्रकार की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिला वन अधिकारियों के साथ कल ही बरखेड़ा तालाब सहित अन्य जलाशयों का निरीक्षण किया गया था. यह जरूर कहा कि कोटखावदा रोड के नजदीक दो दिन पहले एकाद कौओं मृत मिलने के बाद मेडिकल टीम की ओर से नमूना सैम्पल लेकर जांच के लिए भिजवाया गया था, जिसकी फिलहाल अभी रिपोर्ट नहीं मिली है.

गौरतलब है कि यह मौसम प्रवासी पक्षियों का है. इन दिनों विभिन्न जलाशयों पर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी परिंदे आते हैं. अच्छी खबर है कि इलाके के सबसे बड़े चंदलाई रामसागर बांध में अभी बर्ड फ्लू जैसी कोई खबरें नहीं है, लेकिन बरखेड़ा निवासी ग्रामीण कैलाश शर्मा के अनुसार तालाब किनारे श्मशान के पास कुछ कौए मृत मिले हैं. बता दें कि प्रदेश में अभी कोविड महामारी का प्रकोप थमा नहीं है कि इस बीच इंसानों के बाद पक्षियों में बर्ड फ्लू रोग की एंट्री प्रवासी परिंदे के लिए खतरा बन गई है.

यह भी पढ़ें- जयपुरः फेसबुक पर नजदीकियां बढ़ाकर रिश्तेदार ने किया दुष्कर्म, पीड़िता ने दर्ज कराया मामला

गौर करने वाली बात है कि प्रदेश में बर्ड फ्लू के कारण बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत की खबरें भी सामने आ रही है. ऐसे में यहां आने वाले प्रवासी परिंदों की जान भी अब संकट में है, जो न केवल देश के विभिन्न इलाकों से बल्कि दुनिया के कई देशों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर यहां आते हैं. वहीं पक्षी विशेषज्ञों की माने तो ऐसे जलाशयों के नजदीक प्रवासी पंरिदों का ठिकाना बने हुए हैं. प्रदेश में जिस तेजी से बर्ड फ्लू फैल रहा है, उससे इन प्रवासी परिंदों की जान भी संकट में आ सकती है.

ऐसे हो सकता है खतरा

जिन वॉटर बॉडीज पर यह प्रवासी परिंदे निवास करते हैं, उन वॉटर बॉडीज पर स्थानीय परिंदें भी भोजन और पानी की तलाश में आते हैं. ये ऊंचे पेड़ों पर नदियों या तालाब किनारे शरण लेते हैं. बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर इनके संपर्क में आने पर अन्य पक्षी भी संक्रमित हो जाते हैं. चूंकि कौआ सभी जगह आसानी से पहुंच जाता है. इसलिए उससे सबसे अधिक खतरा रहता है. ऐसे में यदि कोई संक्रमित पक्षी इनके सम्पर्क में आता है, तो इन प्रवासी परिंदों की जान को संकट हो सकता है.

मौसम में बदलाव के साथ आते हैं पक्षी

पक्षी बारिश के बाद सर्दियों में आना प्रारंभ होते हैं. यह पक्षी पूर्वी यूरोप, साइबेरिया, मंगोलिया, पोलैण्ड सहित अन्य देशों से आते हैं. वॉटर बॉडीज में पक्षियों को भोजन भी आसानी से मिल जाता है. जानकारों के अनुसार अक्टूबर से ही मेहमान पक्षी यहां आना शुरू होते हैं और फरवरी में वापसी शुरू होती है.

Last Updated : Jan 9, 2021, 5:19 PM IST
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