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साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड मामलों में बैंको की बेरुखी से बढ़ रहीं घटनाएं, ठगी के शिकार हो रहे लोग

साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड मामलों में (Bank on Cyber Financial fraud) बैंकों के उदासीन रवैये और त्वरित रिप्लाई न करने से ठग अपने इरादों में कामयाब हो जा रहे हैं. इससे आमजन को काफी नुकसान हो रहा है. ट्रांजैक्शन फ्रीज करने में देरी से रिप्लाई के कारण लोगों की गाढ़ी कमाई साइबर ठग लूट ले रहे हैं.

साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड
साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड
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Published : Dec 1, 2022, 4:17 PM IST

जयपुर. प्रदेश में साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड के प्रकरण (cyber financial fraud case) लगातार बढ़ रहे हैं और हेल्पलाइन 1930 पर मिलने वाली शिकायतों पर पुलिस त्वरित कार्रवाई कर संबंधित बैंक को ट्रांजैक्शन फ्रीज करने को लेकर रिक्वेस्ट भी कर रही है. इसके बावजूद कई बैंक इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और खामियाजा आमजन को लाखों रुपए का नुकसान उठाकर झेलना पड़ रहा है. इसे लेकर हाल ही में विभिन्न बैंक के पदाधिकारियों के साथ राजस्थान पुलिस के आला अधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण बैठक भी की है.

बैठक में राजस्थान पुलिस ने तमाम बैंकों से उन्हें भेजे जाने वाली ट्रांजैक्शन फ्रीज करने की शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लेने का अनुरोध भी किया गया है. इसके बावजूद अभी तक स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है और पुलिस की ओर से ट्रांजैक्शन फ्रीज करने की रिक्वेस्ट भेजने के बाद भी कई दिनों तक उस पर बैंकों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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पुलिस ने की 1 सप्ताह में 376 रिक्वेस्ट, सभी पेंडिंग
डीआईजी क्राइम राहुल प्रकाश ने बताया कि साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर राजस्थान पुलिस बेहद गंभीर है और जैसे ही हेल्पलाइन 1930 पर पीड़ित व्यक्ति फोन कर उसके साथ हुई ठगी की जानकारी देता है तो उससे बैंक खाते का ब्यौरा मांगा जाता है जिसमें ट्रांजैक्शन किया गया है. इसके बाद उस ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवाने के लिए संबंधित बैंक को रिक्वेस्ट भेजी जाती है. यदि बात नवंबर माह की करें तो 7 नवंबर से लेकर 13 नवंबर के बीच में राजस्थान पुलिस की ओर से 24 अलग-अलग बैंकों को ट्रांजैक्शन फ्रीज करने के लिए भेजी गई रिक्वेस्ट में से 376 रिक्वेस्ट अभी तक पेंडिंग चल रही है.

पढ़ें. अमेजन के नाम से चल रहा था फर्जी कॉल सेंटर, यूएसए के लोगों से करते थे ठगी...16 गिरफ्तार

नियम के अनुसार ट्रांजैक्शन होने के 24 घंटे के अंदर ही उस ट्रांजैक्शन को फ्रीज कर राशि को ठगों के खाते में जाने से रोका जा सकता है और उससे अधिक समय हो जाने पर ना तो उस राशि को रोका जा सकता है ना ही वापस प्राप्त किया जा सकता है. बैंकों की ओर से समय पर रिस्पांस नहीं देने के चलते लोगों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक ठगी गई राशि 10 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक होती है.

पुलिस ब्लॉक करवा रही सिम कार्ड और फोन
साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर हेल्पलाइन 1930 पर पिछले डेढ़ साल में तकरीबन 48,381 शिकायतें प्राप्त हुई. राजस्थान पुलिस ने ऐसे नंबरों को चिन्हित किया जिनका प्रयोग कर साइबर फाइनेंशियल्स फ्रॉड की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था और ऐसे 6000 से अधिक सिम कार्ड ब्लॉक करवाए गए. इसके साथ ही पुलिस ने 7000 मोबाइल फोन भी ब्लॉक करवाए जिनके जरिए ठगी की जा रही थी. इसके बावजूद ठगी की वारदातों में कमी देखने को नहीं मिल रही है. हालांकि पुलिस लगातार ऐसे सिम कार्ड और मोबाइल फोन को आईडेंटिफाई करने में लगी है जिनके जरिए साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है.

जयपुर. प्रदेश में साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड के प्रकरण (cyber financial fraud case) लगातार बढ़ रहे हैं और हेल्पलाइन 1930 पर मिलने वाली शिकायतों पर पुलिस त्वरित कार्रवाई कर संबंधित बैंक को ट्रांजैक्शन फ्रीज करने को लेकर रिक्वेस्ट भी कर रही है. इसके बावजूद कई बैंक इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और खामियाजा आमजन को लाखों रुपए का नुकसान उठाकर झेलना पड़ रहा है. इसे लेकर हाल ही में विभिन्न बैंक के पदाधिकारियों के साथ राजस्थान पुलिस के आला अधिकारियों ने एक महत्वपूर्ण बैठक भी की है.

बैठक में राजस्थान पुलिस ने तमाम बैंकों से उन्हें भेजे जाने वाली ट्रांजैक्शन फ्रीज करने की शिकायतों पर तुरंत संज्ञान लेने का अनुरोध भी किया गया है. इसके बावजूद अभी तक स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है और पुलिस की ओर से ट्रांजैक्शन फ्रीज करने की रिक्वेस्ट भेजने के बाद भी कई दिनों तक उस पर बैंकों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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पुलिस ने की 1 सप्ताह में 376 रिक्वेस्ट, सभी पेंडिंग
डीआईजी क्राइम राहुल प्रकाश ने बताया कि साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर राजस्थान पुलिस बेहद गंभीर है और जैसे ही हेल्पलाइन 1930 पर पीड़ित व्यक्ति फोन कर उसके साथ हुई ठगी की जानकारी देता है तो उससे बैंक खाते का ब्यौरा मांगा जाता है जिसमें ट्रांजैक्शन किया गया है. इसके बाद उस ट्रांजैक्शन को फ्रीज करवाने के लिए संबंधित बैंक को रिक्वेस्ट भेजी जाती है. यदि बात नवंबर माह की करें तो 7 नवंबर से लेकर 13 नवंबर के बीच में राजस्थान पुलिस की ओर से 24 अलग-अलग बैंकों को ट्रांजैक्शन फ्रीज करने के लिए भेजी गई रिक्वेस्ट में से 376 रिक्वेस्ट अभी तक पेंडिंग चल रही है.

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नियम के अनुसार ट्रांजैक्शन होने के 24 घंटे के अंदर ही उस ट्रांजैक्शन को फ्रीज कर राशि को ठगों के खाते में जाने से रोका जा सकता है और उससे अधिक समय हो जाने पर ना तो उस राशि को रोका जा सकता है ना ही वापस प्राप्त किया जा सकता है. बैंकों की ओर से समय पर रिस्पांस नहीं देने के चलते लोगों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. एक अनुमान के मुताबिक ठगी गई राशि 10 हजार रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक होती है.

पुलिस ब्लॉक करवा रही सिम कार्ड और फोन
साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को लेकर हेल्पलाइन 1930 पर पिछले डेढ़ साल में तकरीबन 48,381 शिकायतें प्राप्त हुई. राजस्थान पुलिस ने ऐसे नंबरों को चिन्हित किया जिनका प्रयोग कर साइबर फाइनेंशियल्स फ्रॉड की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा था और ऐसे 6000 से अधिक सिम कार्ड ब्लॉक करवाए गए. इसके साथ ही पुलिस ने 7000 मोबाइल फोन भी ब्लॉक करवाए जिनके जरिए ठगी की जा रही थी. इसके बावजूद ठगी की वारदातों में कमी देखने को नहीं मिल रही है. हालांकि पुलिस लगातार ऐसे सिम कार्ड और मोबाइल फोन को आईडेंटिफाई करने में लगी है जिनके जरिए साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है.

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