जयपुर. राजस्थान के 34वें डीजीपी रहे एमएल लाठर 3 नवंबर को सेवानिवृत्त हो गए और उनके तकरीबन 2 साल के कार्यकाल में राजस्थान में क्राइम की स्थिति बेहद खराब रही. प्रदेश में अपराध लगातार बेकाबू होता चला गया और इस दौरान ऐसी कई बड़ी घटनाएं भी घटित हुईं जिससे देश में राजस्थान की छवि धूमिल हुई. चाहे बात करौली दंगे की हो या जोधपुर उपद्रव या उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड की, ये तमाम घटनाएं लाठर के कार्यकाल में घटित हुईं. लाठर के सेवानिवृत्त होने के बाद डीजीपी बने उमेश मिश्रा से प्रदेश की जनता और पुलिस फोर्स को काफी उम्मीदें (expectations from New DGP Umesh Mishra) हैं. उमेश मिश्रा किस तरह से जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाते हैं, यह देखने की बात होगी.
लाठर के कार्यकाल का रिपोर्ट कार्ड: एमएल लाठर ने नवंबर 2020 में राजस्थान के डीजीपी के तौर पर पदभार ग्रहण किया था. 2020 नवम्बर महीने से लेकर सितंबर 2022 तक राजस्थान में 4 लाख 32 हजार 562 अपराध अलग-अलग आईपीसी सेक्शन में पुलिस थानों में दर्ज हुए. इन अपराधों में अपहरण, रेप, मर्डर और चोरी के मामलों की संख्या पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा है. इन 23 महीनों के दौरान राजस्थान में 3462 मर्डर, हत्या के प्रयास के 4406, डकैती के 161, लूट के 2925, अपहरण के 16105, बलात्कार के 12757, बलवा यानि दंगे के 454, नकबजनी के 13961, चोरी के 61681 और अन्य अपराध के 3 लाख 7 हजार 518 केस दर्ज हुए.
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कानून व्यवस्था व इंटेलिजेंस रहा फेल: कानून बंदोबस्त के हिसाब से वर्ष 2022 अब तक राजस्थान के लिए काफी खराब रहा है. इस साल उदयपुर में जो हत्याकांड हुआ उसने राजस्थान को पूरे देश में बदनाम कर दिया. इससे पहले राजस्थान में कन्हैयालाल हत्याकांड जैसी जघन्य घटना नहीं हुई थी. इसके अलावा इस साल करौली, धौलपुर, भरतपुर, जयपुर, जोधपुर, अजमेर, भीलवाड़ा में कम्युनल असॉल्ट और दंगों के मामले सामने आने के कारण अलग-अलग शहरों में करीब 40 दिन से भी ज्यादा समय तक इंटरनेट बंद करना पड़ा. यह संख्या अब तक किसी भी साल में नेटबंदी की संख्या से सबसे ज्यादा है.
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माफिया अपराध के चलते इस साल पुलिसवालों पर 30 से भी ज्यादा हमले हुए हैं. उसमें एक पुलिसवाले की हत्या तक कर दी गई. जयपुर के अलावा कोटा, भरतपुर, धौलपुर, अजमेर, जोधपुर, उदयपुर व भीलवाड़ा जिले कानून बंदोबस्त के हिसाब से लॉस्ट स्टेज पर रहे हैं. स्नेचिंग के अपराध कोरोना अनलॉक होने के बाद सबसे ज्यादा सामने आए हैं. मोबाइल, पर्स और चेन स्नेचिंग के इस साल करीब 3000 से भी ज्यादा केस सामने आ चुके हैं.