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Court order in land dispute case: भूखंड का कब्जा खाली कर पूर्व राजपरिवार के सदस्य पदमनाथ को सौंपने के आदेश

राजमहल पैलेस आउट हाउस के जमीन विवाद मामले में कोर्ट ने आदेश दिया है कि भूखंड पर कब्जाधारी पूर्व राजपरिवार के सदस्य पदमनाथ सिंह को दो माह में सौंपे.

Court orders to hand over occupied land to former royal family
भूखंड का कब्जा खाली कर पूर्व राजपरिवार के सदस्य पदमनाथ को सौंपने के आदेश
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Published : May 12, 2023, 7:44 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-1 महानगर द्वितीय ने राजमहल पैलेस आउट हाउस के कब्जाधारियों को आदेश दिए हैं कि वह कब्जा खाली कर संपत्ति दो माह में पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह को सौंपे. वहीं इस दौरान संपत्ति में किसी तरह की तोड़फोड़, निर्माण और विक्रय आदि ना करें. अदालत ने यह आदेश पद्मनाभ सिंह के दावे पर दिए.

दावे में कहा गया कि पूर्व राजपरिवार की संपत्ति में राजमहल पैलेस का विवादित आउट हाउस भी है. प्रतिवादी के परिजन नरेन्द्र मोहन सक्सेना वादी के यहां सेवारत थे और उन्हें सेवा में रहने के लिए यह संपत्ति बतौर लाइसेंसी रहने के लिए दी गई थी. इनका स्वर्गवास होने पर परिजनों के निवेदन पर उन्हें यह जगह रहने के लिए दी गई. प्रतिवादी की मां का छह साल पहले स्वर्गवास होने के कारण संपत्ति का रिहाइश लाइसेंस स्वतः ही समाप्त हो गया.

पढ़ेंः पूर्व राजपरिवार को संपत्तियों का मिला कब्जा, रामबाग स्टाफ क्वार्टस के कब्जेधारियों ने सौंपी चाबियां

इसके बाद भी प्रतिवादियों ने कब्जा खाली नहीं किया और इस जगह को कारखाने के तौर पर काम लेना शुरू कर दिया. ऐसे में संपत्ति का कब्जा खाली कराकर उसका कब्जा वादी को सौंपा जाए. जिसका विरोध करने पर प्रतिवादी अंशु सक्सेना और सौम्या सक्सेना ने कहा कि विवादित संपत्ति वादी की संपत्ति नहीं है. वादी ने विवादित जमीन और आसपास की अन्य जमीन का दावा जेडीए में कर रखा है. प्रतिवादी के नाना राजकीय सेवा में तहसीलदार थे.

पढ़ेंः जय महल पैलेस होटल की जमीन से जुड़ा मामला, पूर्व राजपरिवार सेवकों के वारिसों का 37 साल पुराना दावा खारिज

उन्होंने सन् 1952 में अन्य व्यक्तियों की तरफ से सरकारी भूमि पर कब्जा कर निर्माण कराया था. वे अपने परिवार सहित इस मकान में रहते थे. उन्हें विवादित संपत्ति बतौर लाइसेंसी नहीं दी गई थी. ऐसे में वह संपत्ति को खाली करने के लिए बाध्य नहीं हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने प्रतिवादियों को कहा है कि वह दो माह में संपत्ति का कब्जा वादी पद्मनाभ सिंह को सौंपे.

जयपुर. अतिरिक्त जिला न्यायालय क्रम-1 महानगर द्वितीय ने राजमहल पैलेस आउट हाउस के कब्जाधारियों को आदेश दिए हैं कि वह कब्जा खाली कर संपत्ति दो माह में पूर्व राजपरिवार के सदस्य पद्मनाभ सिंह को सौंपे. वहीं इस दौरान संपत्ति में किसी तरह की तोड़फोड़, निर्माण और विक्रय आदि ना करें. अदालत ने यह आदेश पद्मनाभ सिंह के दावे पर दिए.

दावे में कहा गया कि पूर्व राजपरिवार की संपत्ति में राजमहल पैलेस का विवादित आउट हाउस भी है. प्रतिवादी के परिजन नरेन्द्र मोहन सक्सेना वादी के यहां सेवारत थे और उन्हें सेवा में रहने के लिए यह संपत्ति बतौर लाइसेंसी रहने के लिए दी गई थी. इनका स्वर्गवास होने पर परिजनों के निवेदन पर उन्हें यह जगह रहने के लिए दी गई. प्रतिवादी की मां का छह साल पहले स्वर्गवास होने के कारण संपत्ति का रिहाइश लाइसेंस स्वतः ही समाप्त हो गया.

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इसके बाद भी प्रतिवादियों ने कब्जा खाली नहीं किया और इस जगह को कारखाने के तौर पर काम लेना शुरू कर दिया. ऐसे में संपत्ति का कब्जा खाली कराकर उसका कब्जा वादी को सौंपा जाए. जिसका विरोध करने पर प्रतिवादी अंशु सक्सेना और सौम्या सक्सेना ने कहा कि विवादित संपत्ति वादी की संपत्ति नहीं है. वादी ने विवादित जमीन और आसपास की अन्य जमीन का दावा जेडीए में कर रखा है. प्रतिवादी के नाना राजकीय सेवा में तहसीलदार थे.

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उन्होंने सन् 1952 में अन्य व्यक्तियों की तरफ से सरकारी भूमि पर कब्जा कर निर्माण कराया था. वे अपने परिवार सहित इस मकान में रहते थे. उन्हें विवादित संपत्ति बतौर लाइसेंसी नहीं दी गई थी. ऐसे में वह संपत्ति को खाली करने के लिए बाध्य नहीं हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने प्रतिवादियों को कहा है कि वह दो माह में संपत्ति का कब्जा वादी पद्मनाभ सिंह को सौंपे.

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