जयपुर. राजस्थान यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर संविदा नियम 2022 में सम्मिलित करने की मांग को लेकर ठेके पर लगे 800 से ज्यादा कर्मचारियों ने यूनिवर्सिटी में कुलपति सचिवालय के सामने प्रदर्शन (Contract worker protest in Rajasthan University) किया. कर्मचारियों ने एक दिन का कार्य बहिष्कार करते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर उनका न्यूनतम वेतन 600 रुपए प्रतिदिन और 26 कार्य दिवस के स्थान पर मासिक 30-31 दिन करने की मांग रखी.
राजस्थान विश्वविद्यालय के सभी विभागों और संघटक कॉलेजों में वित्त विभाग की ओर से स्वीकृत संविदा पदों पर 865 कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें से 80 फीसदी कर्मचारी 10 साल से ज्यादा समय से प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए ठेके पर लगे हुए हैं. इन कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन 300 रुपए प्रतिदिन से भी कम मिल रहा है. ठेके पर लगे कर्मचारियों ने कहा कि इस वेतन में परिवार का भरण-पोषण संभव नहीं हो रहा है. ऐसे में उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से सिंडिकेट की बैठक में प्रस्ताव लाकर विश्वविद्यालय स्तर पर वेतन में न्यूनतम 600 रुपए प्रतिदिन की वृद्धि कराने की मांग की.
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इसके साथ ही कर्मचारियों ने राज्य सरकार के ठेके पर लगे कर्मचारियों को 'संविदा नियम-2022' में सम्मिलित करने की मांग की. संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ओम सिंह ने बताया कि यूनिवर्सिटी में ठेका प्रथा बंद कर कर्मचारियों को संविदा पर रखा जाए. उनका न्यूनतम वेतन 600 रुपए करते हुए 26 दिवस के स्थान पर 30-31 दिन का किया जाए. साथ ही सेवा सुरक्षा प्रदान किया.
वहीं उन्होंने दुर्घटना/मृत्यु बीमा करने की मांग रखते हुए चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर जल्द कार्रवाई नहीं की जाती तो कर्मचारी 16 जनवरी से सामूहिक कार्य बहिष्कार कर, अनिश्चतकालीन धरने पर बैठेंगे. आपको बता दें कि राजस्थान विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों और संघटक कॉलेजों में ये कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर, एलडीसी, चपरासी, असिस्टेंट लैब टेक्नीशियन जैसे गैर-शैक्षणिक पदों पर कार्यरत हैं.