जयपुर. कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक और पर्यवेक्षक समेत स्क्रीनिंग कमेटी प्रदेश इलेक्शन कमेटी और राजस्थान की पॉलिटिकल अफेयर कमेटी का तो गठन कर चुकी है. आज से यह कमेटियां राजस्थान में औपचारिक रूप से अपना काम भी शुरू करेंगी. आज ही कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री और संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल, पर्यवेक्षक शशिकांत सेंथिल समेत कांग्रेस पार्टी के सभी लोकसभा पर्यवेक्षक और दोनों कमेटियों के सदस्य जयपुर के पीसीसी वार रूम में जुटेंगे. जहां सभी नेता आपस में विचार विमर्श कर आगामी चुनाव को लेकर रणनीति बनाएंगे.
10 बजे लोकसभा पर्यवेक्षकों के साथ मिस्त्री, वेणुगोपाल और शशिकांत की बैठक: राजस्थान में इस बार जो पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं वह इस तरह से है कि विधानसभा चुनाव के साथ ही आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की भी तैयारी हो सके. यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी ने राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं. यह पर्यवेक्षक भी जयपुर पहुंच चुके हैं जो आज सुबह 10 बजे प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर होने वाली बैठक में संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल, वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री, पर्यवेक्षक शशिकांत सेंथिल, प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और सह प्रभारियों के साथ बैठक कर रणनीति बनाएंगे. सभी पर्यवेक्षक राजस्थान के बाहर के हैं ऐसे में वरिष्ठ नेता उनके साथ टिकट वितरण और रणनीति को लेकर चर्चा करेंगे.
11 बजे पॉलिटिकल अफेयर कमेटी की वेणुगोपाल और मिस्त्री गहलोत-पायलट संग बैठक : पर्यवेक्षकों की बैठक के बाद संगठन महामंत्री केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के वरिष्ठ पर्यवेक्षक मधुसूदन मिस्त्री और पर्यवेक्षक शशिकांत सेंथिल राजस्थान के लिए बनाई गई पॉलिटिकल अफेयर कमेटी के सदस्यों के साथ भी बैठक करेंगे. जिसमें आगामी चुनाव की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. इस बैठक में टिकट वितरण, सरकार रिपीट कैसे हो, किन मुद्दों पर पार्टी चुनाव में उतरेगी और कैसे एकजुटता का परिचय देकर भाजपा से लड़ाई लड़नी है आदि विषयों पर रणनीति तैयार होगी. बता दें कि इस बैठक में लंबे समय के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एक साथ मौजूद रहेंगे. इससे पहले भी दोनों नेता प्रदेश कांग्रेस वार रूम में हुई भारत जोड़ो यात्रा से संबंधित बैठक में एक साथ शामिल हुए थे. उसके बाद दिल्ली में हुई बैठक में दोनों नेता शामिल हुए थे. यदि बांसवाड़ा की सभा को छोड़ दें तो किसी बैठक में लंबे समय बाद दोनों नेता एक साथ नजर आएंगे.