जयपुर. सदन के भीतर जहां भाजपा कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे को मुद्दा बना रही है वहीं बाहर मसले को हवा खुद कांग्रेसी दे रहे हैं. गहलोत बनाम पायलट कैंप का खेल जारी है. अब पायलट गुट के वरिष्ठ विधायक और पूर्व स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत ने इस्तीफे की राजनीति पर अपने विचार रखे हैं. आलाकमान से भी जांच की मांग की है.
क्या कहा पूर्व स्पीकर ने?: सिंह ने कहा- मैं नहीं जानता कि विधायकों पर इस्तीफे देने का किसका दबाव था, लेकिन अगर कोर्ट में एफिडेविट दिया गया है तो फिर यह जांच का विषय है. कांग्रेस आलाकमान को इसकी जांच करनी चाहिए. शेखावत ने कहा कि एक भाजपा के सदस्य ने भी इसमें इस्तीफा दिया था और भाजपा इसमें राजनीतिक षड्यंत्र चाहती है.
गिर सकती थी सरकार- शेखावत ने दावा किया कि इस्तीफे स्वीकार किए जाते तो सरकार गिर सकती थी. उन्होंने कहा- अब इस प्रकरण से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि यह मामला अब सेटल हो गया है. लेकिन अगर इस्तीफे स्वीकार हो जाते तो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार गिर जाती. शेखावत ने कहा कि जो सदस्य विधानसभा में चुनकर आता है वो किसी दबाव में नहीं आता है वह अपने विवेक से काम करता है. नियमों में यहां तक प्रावधान है कि अगर दबाव, प्रलोभन हो तो कानून का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि हम लोगों पर कोई दबाव नहीं था और हम तो विधायक दल की बैठक में शामिल होने मुख्यमंत्री के आवास पर गए थे.
इस्तीफे दुर्भाग्यपूर्ण- पूर्व स्पीकर और वरिष्ठ विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि इस्तीफे स्वेच्छा से हुए हों या दबाव में लेकिन जो भी घटनाक्रम 25 सितंबर को हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था. ऐसी परंपरा कांग्रेस में नहीं रही है. उस घटना से कांग्रेस में सभी लोगों को तकलीफ हुई है और हाईकमान इसका संज्ञान लेकर जांच करने की बात भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैं भी राजनीति में 50 साल से सक्रिय हूं लेकिन इस तरह की कोई घटना कांग्रेस में मैंने नहीं देखी.
कांग्रेस पार्टी अब एकजुट- शेखावत ने कहा कि अब राजस्थान में कांग्रेस पार्टी एकजुट है और चुनाव के समय हम साथ रहेंगे. विवाद सभी पार्टियों में होता है. अब सब एक होकर चुनाव लड़ेंगे. प्रयास होगा कि सरकार वापस लेकर आएं. दावा किया कि सभी नेता साथ साथ हैं.
25 सितंबर का घटनाक्रम- 25 सितंबर 2022 को राजस्थान कांग्रेस में बड़ा ड्रामा हुआ था. पर्यवेक्षक मंडल की मौजूदगी में बगावत के बीच विधायक दल से अलग एक बैठक संसदीय कार्य मंत्री के घर आयोजित की गई. इस्तीफा भी स्पीकर को थमाया गया. इसके बाद राजस्थान कांग्रेस के नेताओं के बीच एक दूसरे पर छींटाकशी का दौर भी चला. जिसे देखते हुए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने लिखित में आदेश जारी करते हुए बयानबाजी पर तत्काल रोक लगाने की बात कही थी.