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उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का हुआ समापन

छोटी कांशी जयपुर के गलता जी सरोवर में लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान का रविवार को समापन हो गया. छठ पूजा के चौथे दिन छठ- व्रतियों ने सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ मैय्या से खुशहाली की कामना की.

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Published : Nov 4, 2019, 4:25 AM IST

jaipur news, जयपुर समाचार

जयपुर. छोटी कांशी जयपुर के गलता जी सरोवर में लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान का रविवार को समापन हुआ. छठ पूजा के चौथे दिन छठ- व्रतियों ने सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया. साथ ही छठ मैय्या से अपने परिवार की खुशहाली की कामना की. सूर्योदय के समय ही सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया दोहराई गई. जिसके चलते सभी व्रतियों ने सरोवर में डुबकी लगाई और विधिवत पूजा कर आपस में प्रसाद बांटा.

छठ महापर्व का हुआ समापन

बता दें कि गलता जी सरोवर में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. रविवार सुबह अर्घ्य मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.30 बजे से विधिवत पूजा शुरू हुई. जिसमें बिहार समुदाय के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, नेपाल, राजस्थान और जयपुर में निवास कर रहे श्रद्धालुओं ने भाग लिए. जिसके चलते गलता तीर्थ पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली.

वहीं, दूसरी ओर घरों की छतों पर भी सुबह उपवासी श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ्य देती नजर आई. छठ माता को अर्घ्य देने के साथ ही भोग लगाने के लिए देसी घी में ठेकुआ, गेहूं से बने विशेष पदार्थ आदि पकवानों का भी भोग लगाया गया. बता दें कि छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग व्रत के दौरान पवित्रता और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना है.

यह भी पढ़ें- जयपुर और अजमेर से हैदराबाद जाने वाली ट्रेनों में बढ़ाए कोच

इस पूरे व्रत में दो बार अर्घ्य दिया जाता है. पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. साथ ही दूसरा अर्घ्य जो रविवार को दिया गया है. यह सूर्य उदय होने पर दिया जाता है. ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि कई बार धुंध और बादल के चलते सूर्य भगवान दिखाई नहीं देते हैं. ऐसे में सूर्योदय का टाइम देखकर ही अर्घ्य देने की रस्म पूरी की जाती है.

जयपुर. छोटी कांशी जयपुर के गलता जी सरोवर में लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान का रविवार को समापन हुआ. छठ पूजा के चौथे दिन छठ- व्रतियों ने सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया. साथ ही छठ मैय्या से अपने परिवार की खुशहाली की कामना की. सूर्योदय के समय ही सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया दोहराई गई. जिसके चलते सभी व्रतियों ने सरोवर में डुबकी लगाई और विधिवत पूजा कर आपस में प्रसाद बांटा.

छठ महापर्व का हुआ समापन

बता दें कि गलता जी सरोवर में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. रविवार सुबह अर्घ्य मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.30 बजे से विधिवत पूजा शुरू हुई. जिसमें बिहार समुदाय के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, नेपाल, राजस्थान और जयपुर में निवास कर रहे श्रद्धालुओं ने भाग लिए. जिसके चलते गलता तीर्थ पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिली.

वहीं, दूसरी ओर घरों की छतों पर भी सुबह उपवासी श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ्य देती नजर आई. छठ माता को अर्घ्य देने के साथ ही भोग लगाने के लिए देसी घी में ठेकुआ, गेहूं से बने विशेष पदार्थ आदि पकवानों का भी भोग लगाया गया. बता दें कि छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण अंग व्रत के दौरान पवित्रता और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना है.

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इस पूरे व्रत में दो बार अर्घ्य दिया जाता है. पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है. साथ ही दूसरा अर्घ्य जो रविवार को दिया गया है. यह सूर्य उदय होने पर दिया जाता है. ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. क्योंकि कई बार धुंध और बादल के चलते सूर्य भगवान दिखाई नहीं देते हैं. ऐसे में सूर्योदय का टाइम देखकर ही अर्घ्य देने की रस्म पूरी की जाती है.

Intro:जयपुर : छोटी कांशी जयपुर के गलता जी में लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान का रविवार को समापन हुआ. छट पूजा के चौथे दिन यानी सप्तमी को छट व्रतियों ने सुबह उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया. साथ ही छट मइया से अपने परिवार की खुशहाली की कामना की. सूर्यदय के समय ही सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया दोहरायी गई. जिसके चलते सभी व्रतियों ने सरोवर में डुबकी लगाई और विधिवत पूजा कर आपस में प्रसाद भी बांटा.

गलता जी सरोवर में बड़ी संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया. अलसुबह अर्घ्य मुहूर्त के अनुसार सुबह 6.30 बजे से विधिवत पूजा शुरू हुई. जिसमें बिहार समुदाय के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल, नेपाल, राजस्थान और जयपुर में निवास कर रहे श्रद्धालुओ ने भाग लिए. ओर सुबह से ही सूर्य को अर्घ्य दिया गया. जिसके लिए गलता तीर्थ पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही.

तो वही दूसरी ओर घरों की छतों पर भी सुबह उपवासी श्रद्धालु उगते सूर्य को अर्घ्य देती नजर आई. छठ माता को अर्घ्य देने के साथ ही भोग लगाने के लिए देसी घी में ठेकुआ गेहूं से बने विशेष पदार्थ आदि पकवानो का भी भोग लगाया गया. छठ पूजा का सबसे महत् पूर्ण अंग व्रत के दौरान पवित्रता और भगवान सूर्य को अर्घ्य देना है। इस पूरे व्रत में दो बार अर्घ्य दिया जाता है। पहला अर्घ्य षष्ठी तिथि के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जाता है। दूसरा अर्घ्य जो आज दिया गया है. यह सूर्य उदय होने पर दिया जाता है। ऐसे में सूर्यास्त और सूर्योदय का समय जानना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि कई बार धुंध व बदली के चलते सूर्य भगवान दिखाई नहीं देते ऐसे में सूर्योदय का टाइम देखकर ही अर्घ्य देने की रस्म पूरी की गई.

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