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पीएम मोदी के मानगढ़ दौरे से पहले CM गहलोत ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कही ये बात! - cm gehlot letter to PM

अशोक गहलोत ने शनिवार को CMR पर मानगढ़ धाम के विकास कार्यों से संबंधित विभाग के अधिकारियों की समीक्षा बैठक (CM Gehlot reviewed Meeting of Mangarh Dham) ली. उन्होंने पीएम मोदी को लिखे स्मरण पत्र की भी चर्चा की.

CM Gehlot reviewed Meeting of Mangarh Dham
सीएम गहलोत
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Published : Oct 23, 2022, 8:32 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर मानगढ़ धाम के विकास कार्यों की विस्तृत समीक्षा (CM Gehlot reviewed Meeting of Mangarh Dham) की. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि आदिवासियों के तीर्थ मानगढ़ धाम के विकास के लिए राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है. इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कराने की दिशा में भी राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है.

उन्होंने राज्य सरकार की ओर से मानगढ़ धाम पर करवाए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों को संबंधित विभाग के अधिकारियों को समयबद्ध पूर्ण करने के निर्देश दिए. साथ ही 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित बांसवाड़ा दौरे के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी करने के भी निर्देश दिए. सीएम गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री को दो बार पत्र लिखकर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा स्मरण पत्र: सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर (CM Gehlot letter to PM) बताया कि साल 1913 में मानगढ़ में गोविन्द गुरू के नेतृत्व में एकत्रित वनवासियों पर ब्रिटिश सेना ने फायरिंग की. इस फायरिंग में 1500 से अधिक वनवासियों ने अपना बलिदान दिया. वनवासियों के बलिदान औक गोविन्द गुरु के योगदान को रेखांकित करने के लिए राज्य सरकार ने मानगढ़ धाम में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाया है. पत्र में आगे सीएम ने लिखा कि जनजाति/आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि जिलों के जनप्रतिनिधियों की ओर से मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किए जाने की मांग की जा रही है . पूर्व में 08 अगस्त, 2022 को भी इस मांग को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था.

पढ़ें: मानगढ़ धाम आ सकते हैं पीएम मोदी, एक तीर से करेंगे 3 शिकार!

1500 आदिवासी का बलिदान का महत्व: बता दें, राष्ट्रीय प्राचीन स्मारकों को प्राचीन संस्मारक और पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित किया गया है . अधिनियम के तहत ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक और वास्तुकला संबंधी महत्व को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की घोषणा की जाती है. इस दृष्टि से देखा जाए तो आजादी की अलख जगाने के लिए 1500 आदिवासी भाइयों के सर्वाेच्च बलिदान के कारण यह स्थल ऐतिहासिक महत्व की हो जाती है.

सीएम गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण इस सम्बन्ध में उचित कार्यवाही कर मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर सकती है. गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक का दर्जा प्रदान कराने का आग्रह किया, ताकि अमूल्य बलिदान देने वाले वनवासियों एवं नवचेतना के संचार में योगदान देने वाले महान संत श्री गोविन्द गुरू को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके .

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर मानगढ़ धाम के विकास कार्यों की विस्तृत समीक्षा (CM Gehlot reviewed Meeting of Mangarh Dham) की. इस दौरान सीएम गहलोत ने कहा कि आदिवासियों के तीर्थ मानगढ़ धाम के विकास के लिए राज्य सरकार निरंतर कार्य कर रही है. इसे राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कराने की दिशा में भी राज्य सरकार निरंतर प्रयासरत है.

उन्होंने राज्य सरकार की ओर से मानगढ़ धाम पर करवाए जा रहे विभिन्न विकास कार्यों को संबंधित विभाग के अधिकारियों को समयबद्ध पूर्ण करने के निर्देश दिए. साथ ही 1 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित बांसवाड़ा दौरे के लिए आवश्यक तैयारियां पूरी करने के भी निर्देश दिए. सीएम गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री को दो बार पत्र लिखकर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की मांग की है.

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा स्मरण पत्र: सीएम गहलोत ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर (CM Gehlot letter to PM) बताया कि साल 1913 में मानगढ़ में गोविन्द गुरू के नेतृत्व में एकत्रित वनवासियों पर ब्रिटिश सेना ने फायरिंग की. इस फायरिंग में 1500 से अधिक वनवासियों ने अपना बलिदान दिया. वनवासियों के बलिदान औक गोविन्द गुरु के योगदान को रेखांकित करने के लिए राज्य सरकार ने मानगढ़ धाम में जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय बनाया है. पत्र में आगे सीएम ने लिखा कि जनजाति/आदिवासी बहुल क्षेत्र बांसवाड़ा, डूंगरपुर आदि जिलों के जनप्रतिनिधियों की ओर से मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किए जाने की मांग की जा रही है . पूर्व में 08 अगस्त, 2022 को भी इस मांग को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था.

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1500 आदिवासी का बलिदान का महत्व: बता दें, राष्ट्रीय प्राचीन स्मारकों को प्राचीन संस्मारक और पुरातत्त्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत परिभाषित किया गया है . अधिनियम के तहत ऐतिहासिक, पुरातात्त्विक और वास्तुकला संबंधी महत्व को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की घोषणा की जाती है. इस दृष्टि से देखा जाए तो आजादी की अलख जगाने के लिए 1500 आदिवासी भाइयों के सर्वाेच्च बलिदान के कारण यह स्थल ऐतिहासिक महत्व की हो जाती है.

सीएम गहलोत ने कहा कि राष्ट्रीय संस्मारक प्राधिकरण इस सम्बन्ध में उचित कार्यवाही कर मानगढ़ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित कर सकती है. गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक का दर्जा प्रदान कराने का आग्रह किया, ताकि अमूल्य बलिदान देने वाले वनवासियों एवं नवचेतना के संचार में योगदान देने वाले महान संत श्री गोविन्द गुरू को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके .

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