जयपुर. प्रदेश में सड़क हादसों में इजाफे को देखते हुए राज्य सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत मंगलवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिला स्तर पर रोड सेफ्टी टास्क फोर्स के गठन को मंजूरी दी है. परिवहन और सड़क सुरक्षा विभाग जिला सड़क सुरक्षा टास्क फोर्स का प्रशासनिक विभाग होगा. इस मामले में सम्बन्धित जिले के कलेक्टर की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन होगा.
जारी आदेश के अनुसार टास्क फोर्स में पुलिस अधीक्षक, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी, नगरीय निकाय के आयुक्त, सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता, स्वायत्त शासन विभाग के अधिशाषी अभियंता, जिला मुख्यालय के विकास प्राधिकरण/नगर विकास न्यास के सचिव, माध्यमिक शिक्षा के मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, जिला अस्पताल के अधीक्षक/प्रमुख चिकित्सा अधिकारी और NHAI के परियोजना निदेशक सदस्य होंगे. सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम कर एनजीओ के एक्सपर्ट और सड़क सुरक्षा सलाहकार टास्क फोर्स में विशेष आमंत्रित सदस्य होंगे. कलेक्टर टास्क फोर्स की बैठक में किसी भी संबंधित विभाग के प्रतिनिधि को आमंत्रित और फोर्स के कामकाज के बारे में दिशा-निर्देश दे सकेंगे.
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यह काम होंगे टास्क फोर्स के : सड़क हादसों में कमी के मकसद से जिला टास्क फोर्स को हर तीन महीने में एक बार बैठक का आयोजन करना होगा. सरकार ने तय किया है कि हादसों में होने वाली मृत्यु दर को साल 2030 तक आधा किया जाए. इसके लिए वार्षिक कार्य योजना पर असरकारक अमल, समिति के फैसलों पर तयशुदा काम, सड़कों की सुरक्षा ऑडिट, सुप्रीम कोर्ट की रोड सेफ्टी पॉलिसी की पालना, सड़क सुरक्षा से जुड़े प्रदेश के कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार और जन जागरूकता अभियान पर काम होंगे. जिला स्तर पर गठित टास्क फोर्स अनुसंधान, विश्लेषण, इम्पेक्ट असेसमेंट, फील्ड सर्वे, अध्ययन जैसे कामों के लिए लगातार विशेषज्ञों की सेवाएं लेंगी. जिला सड़क सुरक्षा टास्क फोर्स का कार्यकाल 3 साल के लिए होगा.