जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अजमेर दौरे पर आएंगे, लेकिन राजस्थान में राजनीतिक चर्चा कुछ और ही बनी हुई है. सोमवार रात को नई दिल्ली में हुई कांग्रेस हाईकमान की मीटिंग के बाद गहलोत और पायलट के सुलह की तस्वीर पेश की गई. इसके बाद से मंत्री-विधायक से लेकर पायलट और गहलोत के समर्थक उस फार्मूले को डीकोड करने में लगे हैं, जिससे आलाकमान ने दोनों के बीच समझौता करवाया है.
नतीजा रहा जीरो! : सोशल मीडिया पर कोई अंदाजा लगा रहा है कि पायलट प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे तो कोई कह रहा है कि उन्हें चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाया जाएगा. वहीं, कई लोग अब तक पायलट और गहलोत के बीच हुए समझौते की तस्वीरें साझा कर इस बार भी नतीजा जीरो रहने की बात कह रहे हैं. बहरहाल, गहलोत हो या पायलट दोनों ही इस मुद्दे पर कोई बात नहीं रख रहे हैं. दोनों ही नेता जयपुर पहुंच गए हैं.
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मनभेद-मतभेद सब खत्म : पायलट और गहलोत के बीच किस समझौते पर गाड़ी पटरी पर आई है, यह हर कोई जानना चाहता है. इससे अनभिज्ञ मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि हमारी जानकारी में यह बात नहीं है. गहलोत-पायलट के सामने खड़े होकर जब संगठन महामंत्री वेणुगोपाल ने कह दिया कि सब मिलकर चुनाव में जाएंगे तो फिर बोलने को कुछ बचा नहीं. उन्होंने कहा कि पार्टी नेतृत्व जब सामने आकर बोल रहा है तो इसका मतलब साफ है कि सारे भेद दोनों के बीच खत्म हो गए हैं. न मनभेद बचा है न मतभेद.
सही समय पर सही फैसला : उन्होंने कहा कि यह चुनाव का वक्त है और संगठित होकर आगे बढ़ने का समय है. भगवान की कृपा है कि हमारी पार्टी का नेतृत्व इतना मजबूत है कि वह हर काम को हल कर लेता है. मंत्री प्रताप सिंह ने कहा कि हमारा नेतृत्व मजबूत होता है तभी कांग्रेस के नेता चुनाव जीतते हैं. वो जानते हैं कि कौन सा एक्शन कब लेना है और कांग्रेस आलाकमान ने सही समय पर सही फैसला लिया है.
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पायलट की मांगों पर बनेगी कमेटी ! : सचिन पायलट 31 मई को टोंक दौरे पर रहेंगे. हालांकि, सचिन पायलट ने अपनी तीन मांगों को लेकर जो अल्टीमेटम रखा था, उन्हें लेकर सरकार का निर्णय संभव है जल्द सामने आ जाएगा. पायलट ने 15 दिन का समय देते हुए यह अल्टीमेटम दिया था कि अगर सरकार कोई कार्रवाई नहीं करती है तो फिर ऐसे में वो आंदोलन करेंगे. अब उम्मीद जताई जा रही है कि आलाकमान के इस मामले में इंटरफेयर करने के बाद कोई कमेटी बनाकर इन मामलों पर कार्रवाई की मंशा सरकार दिखाए.
क्या होगा मंत्रिमंडल में फेरबदल : अभी कांग्रेस पार्टी, सचिन पायलट और अशोक गहलोत ने यह पत्ते नहीं खोले हैं कि 2023 में सरकार बनाने के लिए और साथ रहने के लिए उन्हें आलाकमान ने क्या फार्मूला दिया है. वहीं, चर्चा इस बात की है कि सचिन पायलट को या तो फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कमान सौंपी जाएगी या फिर उन्हें चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाया जाएगा.
सत्ता और संगठन में बदलाव : अगर पायलट को फिर से प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया तो उनके साथ तीन या चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए जाएंगे. अगर ऐसा होता है तो फिर गोविंद डोटासरा को उपमुख्यमंत्री बनाना होगा. अगर डोटासरा उपमुख्यमंत्री बनते हैं तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कैबिनेट में फेरबदल करना होगा और इस बार अगर कैबिनेट फेरबदल हुआ तो फिर उसमें कई नए और पुराने चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया जाएगा. ऐसे में आने वाले कुछ दिन राजस्थान कांग्रेस के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि सत्ता और संगठन में कई बदलाव इन्हीं दिनों में हो सकते हैं.