जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय में हुई सिंडिकेट बैठक के दौरान हाई वोल्टेज ड्रामा देखने (RU syndicate meeting) को मिला. बैठक में सदस्यों ने जमकर एक-दूसरे का विरोध किया. वहीं कुलपति सचिवालय के बाहर एबीवीपी और एनएसयूआई छात्र संगठनों के साथ-साथ संविदा कर्मचारियों ने भी हंगामा किया. इस दौरान कई बार पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार जमकर झड़प भी हुई.
छात्र संगठन छात्रावासों की सुरक्षा बढ़ाई जाने, प्राध्यापकों के रुके हुए प्रमोशन कराए जाने, नॉन टीचिंग कर्मचारियों को जल्द सैलरी देने और कैंपस में विद्यार्थियों के लिए वाईफाई की सुविधा देने जैसी मांग को लेकर कुलपति सचिवालय पहुंचे थे. छात्रों ने कुलपति सचिवालय में जाने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां तक नहीं पहुंचने दिया. छात्रों ने पुलिस और विश्वविद्यालय प्रशासन पर दमनकारी नीति अपनाने का आरोप लगाया है.
एनएसयूआई इकाई अध्यक्ष अमरदीप परिहार ने कहा कि कुलपति की मनमानी के चलते छात्र परेशान हो रहे हैं. छात्रों की कई समस्याएं हैं, लेकिन सिंडिकेट बैठक में ऐसी मांगों पर चर्चा नहीं हो रही है. दूसरी ओर विश्वविद्यालय की सिंडिकेट में सदस्य के रूप में शामिल हुए कांग्रेस विधायक गोपाल मीणा और अमीन कागजी ने कहा कि बैठक में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की मांगों को रखने का प्रयास गया.
ये हुए फैसले : इन सबके बीच सिंडिकेट बैठक में कई अहम (Decision in RU syndicate meeting) फैसले हुए. इनमें पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट (PAT) में साक्षात्कार के नंबर का प्रावधान हटाने का फैसला किया गया है. राजस्थान विश्वविद्यालय में अब 100% नंबर रिटन एग्जाम के ही होंगे. इसके अलावा 1 हफ्ते से धरने पर बैठे भाभा हॉस्टल के छात्रों की मांगे भी मान ली गई. सिंडिकेट बैठक में हॉस्टल के असिस्टेंट वार्डन को हटाने का फैसला लिया गया है.
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बैठक में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स के प्रमोशन पर फैसला नहीं होने के बाद डीएसडब्ल्यू नरेश मलिक के नेतृत्व में कई प्रोफेसर धरने पर बैठ गए हैं. साथ ही उन्होंने रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. प्रोफेसर्स ने कहा कि रजिस्ट्रार की ओर से सिंडिकेट मेंबर्स को गलत तथ्य पेश किए गए हैं, जिसकी वजह से प्रोफेसर्स के प्रमोशन का मामला अटक गया है. ऐसे में रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर राजस्थान विश्वविद्यालय अशैक्षणिक कर्मचारी संघ और सेवानिवृत्त कर्मचारी एसोसिएशन ने भी इस दौरान यहां मोर्चा खोला. कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से देय मेडिकल सुविधा को ऐच्छिक लागू करने, मृतक कर्मचारी जगदीश मीणा के आश्रितों को मुआवजा राशि देने सहित कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.