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किसी एक जाति का नहीं ​बल्कि पानी पर सभी का हक-सीजे पंकज मित्थल - सीजे पंकज मित्थल

राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल का कहना है कि पानी पर किसी एक जाति का नहीं बल्कि सभी का हक (CJ Pankaj Mithal on untouchability) है. साथ ही उन्होंने कहा कि पॉस्को के मामले कम करने के लिए प्रचार और जागरूकता के साथ बच्चों के अच्छे चरित्र का निर्माण करना होगा. सीजे ने ये विचार विधिक सेवा दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए व्यक्त किए.

CJ Pankaj Mithal on untouchability
किसी एक जाति का नहीं ​बल्कि पानी पर सभी का हक-सीजे पंकज मित्थल
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Published : Nov 9, 2022, 6:09 PM IST

जयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से विधिक सेवा दिवस के मौके पर अस्पृश्यता समाप्त करने के लिए अभियान की शुरुआत हुई. समाज से छुआछूत खत्म करने और पॉक्सो मामलों के पीड़ितों को निशुल्क विधिक सेवा व विधिक सहायता उपलब्ध करवाने के उद्देश्य को लेकर इस अभियान की शुरूआत ओटीएस सभागार में हुई. इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने कहा कि पानी पर सभी का हक (CJ Pankaj Mithal on untouchability) है.

सीजे पंकज मित्थल ने कहा ​कि आज अस्पृश्यता और पॉक्सो को लेकर ध्यान देना जरूरी है. कुछ सपने बच्चों के होते हैं और इसी दिशा में हमें प्रयास करना होगा. इसलिए आवश्यक है कि विधिक जागरूकता घर-घर पहुंचे. मित्थल ने महात्मा गांधी को पंक्तियों को याद कर कहा कि गांधी ने अनटचेबल को लेकर बीड़ा उठाया था. ऐसे लोगों को हरिजन की संज्ञा दी थी. वहीं उन्होंने कहा कि बचपन में मैने मुंशी प्रेमचंद ठाकुर की कहानी पढ़ी थी.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने जस्टिस पंकज मिथल, राज्यपाल ने दिलाई पद एवं गोपनीयता की शपथ

जिसमें बताया गया था कि एक ​पिछड़ी जाति के व्यक्ति के ठाकुर के कुएं पर पानी पीने पर क्या दुर्दशा होती है. यह कहानी छुआछूत को इंगित करती है. जबकि पानी पर किसी एक का नहीं है, सभी का हक है. पोस्टर और प्रचार से ही सिर्फ पॉस्को के मामले दूर नहीं होंगे. बच्चों के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करना होगा. इससे अच्छे व्यक्ति और अच्छे नागरिक का निर्माण होगा तो राष्ट्र का निर्माण भी दूर नहीं है.

पुलिस का रोल अच्छा नहीं: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस पंकज भंडारी ने कहा कि जातिगत दीवार समाज से खत्म नहीं हुई है. उन्होंने पॉक्सो के मामलों को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. भंडारी ने कहा कि छोटी बालिकाओं के लापता होने पर पुलिस का रोल अच्छा नहीं होता है. पुलिस पॉक्सो एक्ट के बजाए सिर्फ अपहरण का मुकदमा दर्ज करती है. इसके लिए सभी डिस्ट्रिक जज को जिला एसपी को बुलाना होगा और पॉक्सो की धाराओं में मुकदमा करने के ​लिए समझाना होगा.

पढ़ें: अच्छा करने की नीयत से आया हूं, कुछ करके जाऊंगा, तो खुशनसीबी- चीफ जस्टिस पंकज मिथल

वहीं लीगल सर्विस में होने वाले खर्चों को लेकर भी ​जस्टिस भंडारी ने सवाल उठाए और कहा कि लीगल सर्विस में फालतू का खर्चा कम करना होगा. उन्होंने दिव्यांग बच्चों को नुक्कड़ नाटक में शामिल करने का सुझाव भी दिया. जस्टिस भंडारी ने कहा कि मैं पास के ही एक गांव में रह रहा हूं. यहां जब कोई मुझे पानी पिला रहा होता है, तो लोग कहते हैं कि साहब आप इसके हाथ का पानी पिएंगे, ऐसे में उन्हें समझाना पड़ता है कि समाज में सब बराबर हैं. इसलिए हमें शिक्षा के माध्यम से समझाना होगा कि कोई ब्राह्मण नहीं है और कोई शूद्र नहीं है. समाज में सब बराबर हैं.

जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने कहा कि समाज के कमजोर पिछड़े और वंचित वर्ग को निशुल्क विधिक सेवा व विधिक सहायता करवाने का संविधान ने अधिकार दिए हैं. रालसा की ओर से समाज के गरीब वंचित पिछड़े वर्ग को विधिक सहायता को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. आपसी सुलह से लाखों की संख्या में मामले सुलझाए गए हैं. आज से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के प्रति बच्चों में जागरूकता उत्पन्न करने, उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए महाअभियान की शुरुआत हुई है. प्राधिकरण सदस्य सचिव दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम में हाईकोर्ट न्यायाधीश, रालसा अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी सहित अन्य अधिकारी शामिल रहे.

जयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से विधिक सेवा दिवस के मौके पर अस्पृश्यता समाप्त करने के लिए अभियान की शुरुआत हुई. समाज से छुआछूत खत्म करने और पॉक्सो मामलों के पीड़ितों को निशुल्क विधिक सेवा व विधिक सहायता उपलब्ध करवाने के उद्देश्य को लेकर इस अभियान की शुरूआत ओटीएस सभागार में हुई. इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल ने कहा कि पानी पर सभी का हक (CJ Pankaj Mithal on untouchability) है.

सीजे पंकज मित्थल ने कहा ​कि आज अस्पृश्यता और पॉक्सो को लेकर ध्यान देना जरूरी है. कुछ सपने बच्चों के होते हैं और इसी दिशा में हमें प्रयास करना होगा. इसलिए आवश्यक है कि विधिक जागरूकता घर-घर पहुंचे. मित्थल ने महात्मा गांधी को पंक्तियों को याद कर कहा कि गांधी ने अनटचेबल को लेकर बीड़ा उठाया था. ऐसे लोगों को हरिजन की संज्ञा दी थी. वहीं उन्होंने कहा कि बचपन में मैने मुंशी प्रेमचंद ठाकुर की कहानी पढ़ी थी.

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जिसमें बताया गया था कि एक ​पिछड़ी जाति के व्यक्ति के ठाकुर के कुएं पर पानी पीने पर क्या दुर्दशा होती है. यह कहानी छुआछूत को इंगित करती है. जबकि पानी पर किसी एक का नहीं है, सभी का हक है. पोस्टर और प्रचार से ही सिर्फ पॉस्को के मामले दूर नहीं होंगे. बच्चों के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करना होगा. इससे अच्छे व्यक्ति और अच्छे नागरिक का निर्माण होगा तो राष्ट्र का निर्माण भी दूर नहीं है.

पुलिस का रोल अच्छा नहीं: कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस पंकज भंडारी ने कहा कि जातिगत दीवार समाज से खत्म नहीं हुई है. उन्होंने पॉक्सो के मामलों को लेकर पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए. भंडारी ने कहा कि छोटी बालिकाओं के लापता होने पर पुलिस का रोल अच्छा नहीं होता है. पुलिस पॉक्सो एक्ट के बजाए सिर्फ अपहरण का मुकदमा दर्ज करती है. इसके लिए सभी डिस्ट्रिक जज को जिला एसपी को बुलाना होगा और पॉक्सो की धाराओं में मुकदमा करने के ​लिए समझाना होगा.

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वहीं लीगल सर्विस में होने वाले खर्चों को लेकर भी ​जस्टिस भंडारी ने सवाल उठाए और कहा कि लीगल सर्विस में फालतू का खर्चा कम करना होगा. उन्होंने दिव्यांग बच्चों को नुक्कड़ नाटक में शामिल करने का सुझाव भी दिया. जस्टिस भंडारी ने कहा कि मैं पास के ही एक गांव में रह रहा हूं. यहां जब कोई मुझे पानी पिला रहा होता है, तो लोग कहते हैं कि साहब आप इसके हाथ का पानी पिएंगे, ऐसे में उन्हें समझाना पड़ता है कि समाज में सब बराबर हैं. इसलिए हमें शिक्षा के माध्यम से समझाना होगा कि कोई ब्राह्मण नहीं है और कोई शूद्र नहीं है. समाज में सब बराबर हैं.

जस्टिस प्रकाश गुप्ता ने कहा कि समाज के कमजोर पिछड़े और वंचित वर्ग को निशुल्क विधिक सेवा व विधिक सहायता करवाने का संविधान ने अधिकार दिए हैं. रालसा की ओर से समाज के गरीब वंचित पिछड़े वर्ग को विधिक सहायता को लेकर प्रयास किए जा रहे हैं. आपसी सुलह से लाखों की संख्या में मामले सुलझाए गए हैं. आज से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के प्रति बच्चों में जागरूकता उत्पन्न करने, उन्हें निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए महाअभियान की शुरुआत हुई है. प्राधिकरण सदस्य सचिव दिनेश कुमार गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम में हाईकोर्ट न्यायाधीश, रालसा अधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी सहित अन्य अधिकारी शामिल रहे.

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