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Children's Day 2022: इन बाल होनहारों ने कोरोनाकाल में रटे डेढ़ हजार से अधिक श्लोक, अद्वितीय उच्चारण से जीता दिल

आज बाल दिवस है और आज का दिन बच्चों को (Childrens Day 2022 ) समर्पित है. लेकिन आज हम राजधानी जयपुर के दो ऐसे भाइयों की बात करने जा रहे हैं, जो आम बच्चों से एकदम अलग है और उनकी प्रतिभा की अतुलनीय है.

Jaipur brothers made wonders
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Published : Nov 14, 2022, 8:57 AM IST

Updated : Nov 14, 2022, 11:24 AM IST

जयपुर. कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और न ही (Childrens Day 2022 ) इसकी कोई उम्र सीमा होती है. राजधानी जयपुर में इन दिनों दो बच्चे खासा चर्चा हैं. ये दोनों बच्चे भाई हैं, जिनकी उम्र क्रमश: 9 और 10 साल है. 9 साल के वाचस्पति और 10 साल के वेदांत इस छोटी सी उम्र में अपनी प्रतिभा से सबको अचंभित कर (Jaipur brothers made wonders) रहे हैं. ये बच्चे संस्कृत के विद्वान की तरह श्लोकों का जाम करते हैं और इन्हें करीब 1500 से अधिक श्लोक कंठस्त हैं. यह श्लोक अमरकोश, स्तोत्र रत्नावली, श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस जैसे धर्म ग्रथों के हैं. खास बात यह है कि इन बच्चों ने कोरोनाकाल में घर पर रहकर समय का (Remembered Sanskrit verses in Corona period) सदुपयोग करते हुए अपने परिजनों की प्रेरणा से श्लोकों का अध्ययन शुरू किया था. आज ये दोनों सुबह स्कूल जाने से पहले और रात को सोने तक कई बार श्लोकों का जाम करते हैं.

जिन श्लोकों को बोलते हुए सामान्य व्यक्ति की जीभ लड़खड़ा जाए. जिन श्लोकों को पंडित भी किताब देखकर पढ़ते हैं. ऐसे करीब डेढ़ हजार से ज्यादा श्लोक कंठस्थ करने वाले वेदांत और वाचस्पति से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. दोनों भाइयों ने बताया कि कोरोनाकाल में जब स्कूल बंद थे तो उनके पिता शास्त्री कौशलेंद्र दास (वेदांत के पिता व वाचस्पति के ताऊ जी) ने उन्हें समय का सदुपयोग करते हुए संस्कृत के श्लोक का अध्ययन करने को प्रेरित किया. वो खुद उन्हें श्लोक याद कराते थे. वेदांत और वाचस्पति दोनों ही सीबीएसई इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन संस्कृत में रुचि होने के कारण वो इंग्लिश के साथ-साथ संस्कृत भी पढ़ते हैं.

अद्वितीय उच्चारण से जीता दिल

इसे भी पढ़ें - Children's Day : यहां देखें अपने चहेते क्रिकेटर्स की बचपन की तस्वीर

कक्षा तीसरी में पढ़ने वाले वाचस्पति ने बताया कि ये श्लोक अमरकोश, स्तोत्र रत्नावली, श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस जैसे धर्म ग्रथों के हैं. वहीं, चौथी कक्षा में पढ़ने वाले वेदांत ने बताया कि नर्सरी कक्षा से ही उन्होंने श्लोक याद करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तब उन्हें कुछ गिनतियों के श्लोक ही याद थे. वहीं, कोरोनाकाल में जब उन्होंने विविधव श्लोक का अध्ययन शुरू किया तो यह आंकड़ा डेढ़ हजार तक जा पहुंचा.

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद: प्रभाते कर दर्शनम्।।

वाचस्पति ने बताया कि इस श्लोक के साथ ही उनके दिन की शुरुआत होती है और रात तक वो कई श्लोक पढ़ लेते हैं. हालांकि, अभी उन्हें इन श्लोक के अर्थ नहीं पता है. फिलहाल उनके पिताजी ने उन्हें 12 वर्ष तक श्लोक याद करने के लिए कहा है. बाद में प्रत्येक श्लोक का अर्थ भी बता देंगे. खैर, आज भले ही इनकी उम्र कम हो, लेकिन इन बच्चों ने जिस तरह से संस्कृत के श्लोक कंठस्थ किए हैं. उसे देख तो यही लगता है मानों ये कोई संस्कृत के विद्वान हो.

जयपुर. कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और न ही (Childrens Day 2022 ) इसकी कोई उम्र सीमा होती है. राजधानी जयपुर में इन दिनों दो बच्चे खासा चर्चा हैं. ये दोनों बच्चे भाई हैं, जिनकी उम्र क्रमश: 9 और 10 साल है. 9 साल के वाचस्पति और 10 साल के वेदांत इस छोटी सी उम्र में अपनी प्रतिभा से सबको अचंभित कर (Jaipur brothers made wonders) रहे हैं. ये बच्चे संस्कृत के विद्वान की तरह श्लोकों का जाम करते हैं और इन्हें करीब 1500 से अधिक श्लोक कंठस्त हैं. यह श्लोक अमरकोश, स्तोत्र रत्नावली, श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस जैसे धर्म ग्रथों के हैं. खास बात यह है कि इन बच्चों ने कोरोनाकाल में घर पर रहकर समय का (Remembered Sanskrit verses in Corona period) सदुपयोग करते हुए अपने परिजनों की प्रेरणा से श्लोकों का अध्ययन शुरू किया था. आज ये दोनों सुबह स्कूल जाने से पहले और रात को सोने तक कई बार श्लोकों का जाम करते हैं.

जिन श्लोकों को बोलते हुए सामान्य व्यक्ति की जीभ लड़खड़ा जाए. जिन श्लोकों को पंडित भी किताब देखकर पढ़ते हैं. ऐसे करीब डेढ़ हजार से ज्यादा श्लोक कंठस्थ करने वाले वेदांत और वाचस्पति से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. दोनों भाइयों ने बताया कि कोरोनाकाल में जब स्कूल बंद थे तो उनके पिता शास्त्री कौशलेंद्र दास (वेदांत के पिता व वाचस्पति के ताऊ जी) ने उन्हें समय का सदुपयोग करते हुए संस्कृत के श्लोक का अध्ययन करने को प्रेरित किया. वो खुद उन्हें श्लोक याद कराते थे. वेदांत और वाचस्पति दोनों ही सीबीएसई इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं, लेकिन संस्कृत में रुचि होने के कारण वो इंग्लिश के साथ-साथ संस्कृत भी पढ़ते हैं.

अद्वितीय उच्चारण से जीता दिल

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कक्षा तीसरी में पढ़ने वाले वाचस्पति ने बताया कि ये श्लोक अमरकोश, स्तोत्र रत्नावली, श्रीमद्भगवद्गीता और श्रीरामचरितमानस जैसे धर्म ग्रथों के हैं. वहीं, चौथी कक्षा में पढ़ने वाले वेदांत ने बताया कि नर्सरी कक्षा से ही उन्होंने श्लोक याद करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तब उन्हें कुछ गिनतियों के श्लोक ही याद थे. वहीं, कोरोनाकाल में जब उन्होंने विविधव श्लोक का अध्ययन शुरू किया तो यह आंकड़ा डेढ़ हजार तक जा पहुंचा.

कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविंद: प्रभाते कर दर्शनम्।।

वाचस्पति ने बताया कि इस श्लोक के साथ ही उनके दिन की शुरुआत होती है और रात तक वो कई श्लोक पढ़ लेते हैं. हालांकि, अभी उन्हें इन श्लोक के अर्थ नहीं पता है. फिलहाल उनके पिताजी ने उन्हें 12 वर्ष तक श्लोक याद करने के लिए कहा है. बाद में प्रत्येक श्लोक का अर्थ भी बता देंगे. खैर, आज भले ही इनकी उम्र कम हो, लेकिन इन बच्चों ने जिस तरह से संस्कृत के श्लोक कंठस्थ किए हैं. उसे देख तो यही लगता है मानों ये कोई संस्कृत के विद्वान हो.

Last Updated : Nov 14, 2022, 11:24 AM IST
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