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बच्चों का चुनावी मांग पत्र: दिव्यांग बच्चों को मिले समानता, सार्वजनिक जगहों पर लगे सेनेटरी नैपकिन के डिस्पोजल मशीन - Rajasthan Hindi news

राजधानी जयपुर में हुए एक अनूठे कार्यक्रम में बच्चों ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर अपना अलग मांग पत्र तैयार किया है. इसमें उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए सभी संस्थानों में रैंप बनवाने, सभी अस्पतालों में सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञ लगवाने और सेनेटरी नैपकिन नैपकिन के डिस्पोजल के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मशीन लगवाने की मांग की है.

children election demand letter
बच्चों का चुनावी मांग पत्र
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Published : Aug 6, 2023, 4:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान में चुनावी साल में हर वर्ग अपनी मांगों को लेकर राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाने के लिए अलग-अलग तरीके से मुहिम चला रहा है. इस माहौल में भला बच्चे कैसे पीछे रह सकते हैं. ऐसे में बच्चों ने आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपना मांग पत्र तैयार किया है. जिसमें उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए सभी सार्वजनिक जगहों पर रैंप बनवाने, अस्पतालों में दिव्यांगों की सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञ को लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी नैपकिन के निस्तारण के लिए मशीन लगवाने जैसे मुद्दे शामिल किए हैं.

बच्चों के साथ संभाग स्तरीय सम्मलेन : दरअसल, बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ दिशा, बाल कल्याण समिति और बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जयपुर संभाग के चुनिंदा बच्चों के साथ संभाग स्तरीय सम्मलेन का आयोजन किया गया है. इसमें बच्चों ने उनके रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की और इनके निस्तारण के लिए मांग पत्र तैयार किया है. इन बच्चों में कई दिव्यांग बच्चे भी शामिल हैं.

पढ़ें. राजस्थान में दिव्यांग अधिकारों को लेकर संघर्ष जारी, पंचायत स्तरीय सत्ता में भागीदारी आज भी अधूरी

बाल कल्याण समिति जयपुर की चेयरपर्सन शीला सैनी का कहना है कि इन बच्चों ने सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को आने वाली परेशानी को दूर करने के लिए रैंप बनाने के साथ ही अस्पतालों में सांकेतिक भाषा को समझने वाले विशेषज्ञ लगाने की मांग प्रमुखता के साथ मांगपत्र में शामिल की है. इनका कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर को वे अपनी पीड़ा नहीं बता सकते हैं. ऐसे में सांकेतिक भाषा का जानकर व्यक्ति दिव्यांग मरीज और डॉक्टर के बीच एक सेतु का काम कर सकता है.

सेनेटरी नैपकिन के डिस्पोजल के लिए मशीन : इसके साथ ही बच्चों ने सेनेटरी नैपकिन देने की सरकार की उड़ान योजना का स्वागत किया. हालांकि, कई बच्चियों का कहना है कि कई बार कागजी प्रक्रिया के चलते कई बच्चियों को इसका फायदा नहीं मिल पाता है. बच्चियों का सुझाव है कि सेनेटरी नैपकिन के डिस्पोजल के लिए सार्वजनिक जगहों पर मशीन लगनी चाहिए ताकि इनका निस्तारण ठीक प्रकार से हो सके.

हर संभाग में होगा ऐसा कार्यक्रम : सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल का कहना है कि अभी जयपुर संभाग के बच्चों का कार्यक्रम चल रहा है. अब आने वाले दिनों में सभी संभागों में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होगा और हर संभाग के बच्चों की ओर से मांगपत्र तैयार किया जाएगा. इसके बाद सातों संभाग के मांग पत्रों के आधार पर एक राज्य स्तरीय मांग पत्र तैयार किया जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में बच्चों का राज्य स्तरीय सम्मलेन भी करवाया जाएगा.

जयपुर. राजस्थान में चुनावी साल में हर वर्ग अपनी मांगों को लेकर राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाने के लिए अलग-अलग तरीके से मुहिम चला रहा है. इस माहौल में भला बच्चे कैसे पीछे रह सकते हैं. ऐसे में बच्चों ने आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपना मांग पत्र तैयार किया है. जिसमें उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए सभी सार्वजनिक जगहों पर रैंप बनवाने, अस्पतालों में दिव्यांगों की सांकेतिक भाषा समझने वाले विशेषज्ञ को लगाने और सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी नैपकिन के निस्तारण के लिए मशीन लगवाने जैसे मुद्दे शामिल किए हैं.

बच्चों के साथ संभाग स्तरीय सम्मलेन : दरअसल, बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले एनजीओ दिशा, बाल कल्याण समिति और बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जयपुर संभाग के चुनिंदा बच्चों के साथ संभाग स्तरीय सम्मलेन का आयोजन किया गया है. इसमें बच्चों ने उनके रोजमर्रा के जीवन में आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की और इनके निस्तारण के लिए मांग पत्र तैयार किया है. इन बच्चों में कई दिव्यांग बच्चे भी शामिल हैं.

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बाल कल्याण समिति जयपुर की चेयरपर्सन शीला सैनी का कहना है कि इन बच्चों ने सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को आने वाली परेशानी को दूर करने के लिए रैंप बनाने के साथ ही अस्पतालों में सांकेतिक भाषा को समझने वाले विशेषज्ञ लगाने की मांग प्रमुखता के साथ मांगपत्र में शामिल की है. इनका कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर को वे अपनी पीड़ा नहीं बता सकते हैं. ऐसे में सांकेतिक भाषा का जानकर व्यक्ति दिव्यांग मरीज और डॉक्टर के बीच एक सेतु का काम कर सकता है.

सेनेटरी नैपकिन के डिस्पोजल के लिए मशीन : इसके साथ ही बच्चों ने सेनेटरी नैपकिन देने की सरकार की उड़ान योजना का स्वागत किया. हालांकि, कई बच्चियों का कहना है कि कई बार कागजी प्रक्रिया के चलते कई बच्चियों को इसका फायदा नहीं मिल पाता है. बच्चियों का सुझाव है कि सेनेटरी नैपकिन के डिस्पोजल के लिए सार्वजनिक जगहों पर मशीन लगनी चाहिए ताकि इनका निस्तारण ठीक प्रकार से हो सके.

हर संभाग में होगा ऐसा कार्यक्रम : सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल का कहना है कि अभी जयपुर संभाग के बच्चों का कार्यक्रम चल रहा है. अब आने वाले दिनों में सभी संभागों में इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होगा और हर संभाग के बच्चों की ओर से मांगपत्र तैयार किया जाएगा. इसके बाद सातों संभाग के मांग पत्रों के आधार पर एक राज्य स्तरीय मांग पत्र तैयार किया जाएगा. इसके लिए अक्टूबर में बच्चों का राज्य स्तरीय सम्मलेन भी करवाया जाएगा.

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