जयपुर. कांग्रेस पार्टी के 85वें अधिवेशन में पार्टी ने कई संशोधन किए हैं. इन संशोधनों का असर राजस्थान कांग्रेस में भी दिखाई देगा. जहां एक ओर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की 42 की कार्यकारिणी में ज्यादातर चेहरे 50 साल से अधिक के हैं तो वहीं महिला कोटा भी काफी कम है. लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि महिला कोटे में बनी चार नेताओं में से राखी गौतम और शोभा सोलंकी को आगे पद छोड़ना होगा. जिसके चलते केवल दो महिला नसीम अख्तर इंसाफ और रीटा चौधरी डोटासरा की कार्यकारिणी में रहेंगी.
यही हालात एससी कोटे से उपाध्यक्ष बनने वाले गोविंद मेघवाल, महेंद्रजीत मालवीय और रामलाल जाट के भी हैं, उन्हें भी एक व्यक्ति एक पद के आधार पर पद छोड़ना होगा. वहीं, राजेंद्र चौधरी पांच साल से अधिक समय तक उपाध्यक्ष पद पर बने रहे हैं, ऐसे में उन्हें भी अब अपना पद छोड़ना होगा. कांग्रेस महासचिव में भी विधायक जीआर खटाणा और पूर्व मंत्री मांगीलाल गरासिया को अपने पद छोड़ने होंगे. ऐसे में डोटासरा की टीम से 12 नेताओं को साइड किया जाएगा. जिसके बाद डोटासरा की टीम केवल 30 सदस्य ही रह जाएंगे.
इसे भी पढ़ें - Promotion of Budget: बजट घोषणाओं को आमजन तक पहुंचाने के लिए सीएम ने संभाली कमान, बनाया रोड मैप
वहीं, अब डोटासरा को जो नई टीम मिलेगी, उनमें ज्यादातर महिला, एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक कोटे के साथ ही इस बात का ध्यान रखना होगा कि 50 फीसदी नेता 50 साल से कम उम्र के हों. भले ही कहने को ज्यादातर नेता अपने इस्तीफे दे चुके हों, लेकिन अब भी इन नेताओं के इस्तीफे स्वीकार किया जाना और नई कार्यकारिणी में महिलाओं के साथ ही 50 साल से कम उम्र के युवाओं को शामिल किए जाने का इंतजार है.
जिलाध्यक्ष भी 50 प्रतिशत बनाने होंगेः राजस्थान में कांग्रेस पार्टी अब चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुकी है. चुनाव में टिकट से लेकर प्रचार-प्रसार की सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जिला अध्यक्षों पर होती है. लेकिन अब तक जिला अध्यक्ष ही नहीं बन सके हैं. गोविंद सिंह डोटासरा ने भले ही 13 जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी हो, लेकिन उनमें से भी पांच जिला अध्यक्षों को दूसरे कार्यकाल में फिर से जिला अध्यक्ष बनाने के चलते पद छोड़ना होगा.
ऐसे में बाकी बचे जिला अध्यक्षों में भी कांग्रेस पार्टी को युवा चेहरों की तलाश करनी होगी. हालांकि उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद से कांग्रेस पार्टी इसी लिहाज से तैयारी कर रही है. लेकिन दो साल से जिला अध्यक्ष नहीं बन सके हैं, जो मौजूदा समय में डोटासरा के सामने सबसे बड़ी चुनौती भी है.