जयपुर. प्रोफेशनल्स की ओर से सामाजिक सेवा के कार्यों के बारे अक्सर लोग सुनते हैं और कई कहानियां भी सामने आती हैं. कुछ ऐसा ही सामाजिक दायित्व और प्राकृतिक की अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं जयपुर में पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट संदीप गुप्ता. उन्होंने सेवा के इस काम को बेजुबान जानवरों से जुड़कर दिखाया. संदीप गुप्ता ने मालवीय नगर इलाके में रेल की पटरी के किनारे खाली पड़ी जमीन पर बेजुबान पशु-पक्षियों के लिए आशियाना बनाया. देखते ही देखते सीए संदीप ने इस खाली जमीन को संवार दिया, जो अब परिंदों के साथ-साथ कई जानवरों का भी आशियाना बन चुकी है. संदीप के इस काम को आसपास के लोग सराहने लगे हैं और उनके साथ मिलकर इस काम को आगे बढ़ाने का इरादा कर चुके हैं.
कैसे आया ये विचार : चार्टर्ड अकाउंटेंट संदीप कहते हैं कि हाल ही में जब वंदे भारत ट्रेन को अपने घर के नजदीक पटरियों से गुजरते वक्त उन्होंने देखा, तो नोटिस किया कि लोग बेखौफ पटरियों पर जा रहे हैं. रेलवे ट्रैक पर हादसों का भी जिक्र करते हुए संदीप ने कहा कि तब मेरे मन में विचार आया कि क्यों न टूटी हुई दीवार पर तारबंदी पशु-पक्षियों के लिए कुछ अलग किया जाए, जिससे इस तरफ से बेखौफ पटरियों पर जाने वालों पर रोक लग सके.
उन्होंने रेलवे ट्रैक के नजदीक टूटी हुई दीवार पर तारबंदी की और धीरे-धीरे इस तारबंदी के अंदर ही पहले पक्षियों के लिए परिंडे लगाए और फिर चुग्गे पानी का इंतजाम किया. संदीप गुप्ता आगे बताया कि उन्होंने देखा कि लोग अक्सर ट्रैक के आसपास घर में पकड़े गए चोरों को छोड़ जाते हैं. मैंने (संदीप गुप्ता) ने इन चूहों के बिल के नजदीक ब्रेड डालकर उनकी भोजन की व्यवस्था की और फिर लावारिस मवेशी और कुत्तों के लिए भी इंतजाम किया.
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लोगों ने भी ली प्रेरणा : संदीप गुप्ता को रेल की पटरी के किनारे गंदगी से सराबोर जमीन पर सिर्फ साफ-सफाई करते और वहां बेजुबान जानवरों के लिए काम करते जब लोगों ने देखा, तो वह भी उनके साथ जुड़ने आने लगे. इस क्षेत्र में नजदीक बने मंदिर के पुजारी कहते हैं कि इस नेक काम में वे भी संदीप गुप्ता के साथ हैं. वहीं, कुछ और लोगों ने भी संदीप गुप्ता के काम को सराहते हुए कहा कि वे अब रोजाना यहां पहुंचकर जीवन सेवा के ध्येय को साकार करने में भरोसा करने लगे हैं. मौजूदा हालात पर व्यंग्य कसते हुए संदीप कहते हैं कि अगर जीव जंतुओं को बचाने के लिए समय पर प्रयास नहीं किए गए तो एक दिन ऐसा आएगा, जब नामीबिया से लाए गए चीतों की तर्ज पर हमें अन्य जीव-जंतु भी विदेशों से लाने पड़ेंगे.