जयपुर. बयानों में नेताओं की जुबान फिसलना कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब चुनावी माहौल हो और ऐसे में अपनी ही पार्टी के आलाकमान को लेकर अगर जुबान फिसल जाए तो सियासी मुद्दा बनना लाजमी है. इसी तरह का जुबान फिसलने का मामला दूदू से कांग्रेस के प्रत्याशी बाबूलाल नागर का नामांकन सभा के दौरान सामने आया. नागर ने अपने समर्थकों को यह कह दिया कि भाषण हो जाने दो, उसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिंदाबाद, कांग्रेस जिंदाबाद, सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाना है.
दिल की बात जुबां पर आई: बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने बाबूलाल नागर के बयान पर तंज कसते हुए कहा कि आज सच बात जुबां पर आ ही गई. बाबूलाल नागर ने नामांकन सभा में अशोक गहलोत जिंदाबाद, कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के साथ सोनिया गांधी, राहुल गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने की बात कही. यही उनका सच है और यह कोई जुबान फिसलने का किस्सा नहीं है, यह सच जुबान पर आने वाला किस्सा है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी में किस प्रकार से कपड़ा फाड़ प्रतियोगिता चल रही है, उसके प्रमाण सामने नजर आ रहे हैं.
पूनावाला ने कहा कि हालात ये है कि इन्हीं के पार्टी के नेता खिलाड़ी लाल बैरवा पत्र लिख लिख कर विरोध कर रहे हैं. इन्ही की प्रत्याशी अर्चना शर्मा, ममता भूपेश, जाहिदा खान का विरोध हो रहा है. यहां तक कि शांतिलाल धारीवाल उसके अलावा महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ को तो टिकट अभी तक नहीं दिया गया है. इसका मतलब कि कांग्रेस टुकड़े-टुकड़े हो चुकी है, कांग्रेस सीटों के बंटवारे में भी इस प्रकार से टुकड़े-टुकड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि कहीं पर गहलोत कांग्रेस है, कहीं पर पायलट कांग्रेस है और कहीं पर बिना पायलट वाली परिवारवादी कांग्रेस है. इसी का परिणाम है कि बाबूलाल नागर, सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने की बात कर रहे हैं.
ये हुआ घटनाक्रम: बता दें कि गुरुवार को दूदू में कांग्रेस के प्रत्याशी बाबूलाल नागर की नामांकन सभा हो रही थी. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश प्रभारी सुखजिंद्र सिंह रंधावा भाषण दे रहे थे. भाषण के दौरान बाबूलाल नागर के समर्थक जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे. इस बीच बाबूलाल नागर ने माइक अपने हाथ में लिया और समर्थकों को चुप करते हुए कहा कि अभी सब रुक जाइए. थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिंदाबाद, कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद और सोनिया गांधी, राहुल गांधी मुर्दाबाद के नारे लगाने हैं. हालांकि बाबूलाल नागर ने अपने इस बयान को जुबान फिसलना करार दिया है.