जयपुर. लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा अपने बागियों से भी मदद ले रही है, जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखाया था. खास बात यह है कि भाजपा प्रदेश नेतृत्व निष्कासित और निलंबित पार्टी नेताओं से इस चुनाव में मदद की उम्मीद तो कर रहा है लेकिन भाजपा परिवार में उनकी विधिवत वापसी के लिए उचित समय का इंतजार कर रहा है.
खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी ने कैमरे के आगे यह बात स्वीकार कर ली है कि विधानसभा चुनाव और जयपुर महापौर उपचुनाव में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते निष्कासित निलंबित नेताओं से वह लगातार संपर्क में है और लोकसभा चुनाव में उनकी मदद भी ली जा रही है. सैनी के अनुसार यह नेता बतौर कार्यकर्ता के रूप में पार्टी का साथ दे रहे हैं.
इन नेताओं को किया था भाजपा ने बाहर
पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत करने वाले कई नेताओं को भाजपा ने निष्कासित को निलंबित किया था. इन नेताओं में पूर्व मंत्री सुरेंद्र गोयल और वरिष्ठ नेता सुरेश टांक सहित कुछ नेता तो कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं लेकिन पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, हेमसिंह भड़ाना, धन सिंह रावत, पूर्व विधायक अनिता कटारा, राधेश्याम गंगानगर, जीवाराम चौधरी, लक्ष्मीनारायण दवे.
वहीं पूर्व प्रदेश महामंत्री कुलदीप धनकड़, जयपुर देहात भाजपा के पूर्व अध्यक्ष दीनदयाल कुमावत और हाल ही में जयपुर महापौर उपचुनाव के बाद पार्टी से बाहर किए गए वरिष्ठ पार्षद अशोक गर्ग और अनिल शर्मा वो नेता हैं जो अब भी भाजपा में अपनी घर वापसी का इंतजार कर रहे है. ये नेता भाजपा विचारधारा से जुड़े हैं और इनमें से अधिकतर अपने अपने क्षेत्रों में पार्टी संगठन से भी लगातार संपर्क में है.
पार्टी के नेता ही बन रहे हैं घर वापसी में रोड़ा
ऐसा नहीं है कि पार्टी ने अपने पुराने बागियों को जगह ना दी हो लेकिन अधिकतर पुराने बागी नेता लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी का कुनबा नहीं बढ़ा पा रहे हैं. जिसके पीछे एक बड़ी वजह भाजपा के भीतर स्थानीय नेताओं के बीच चल रही खींचतान है. दरअसल इन नेताओं के क्षेत्र में आने वाले भाजपा के अन्य नेता नहीं चाहते कि अब यह बागी नेता वापस पार्टी से जुड़ें.
जयपुर में ही जो पार्षद हाल ही में भाजपा से निष्कासित किए गए थे, उनमें से अधिकतर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया जबकि अनिल शर्मा और अशोक गर्ग सहित कुछ पार्षद अपने निष्कासन के बावजूद भाजपा में सक्रिय है, पार्टी उन्हें वापस लेना भी चाहती है लेकिन स्थानीय विधायकों के इनकार करने के कारण पार्टी इस संबंध में निर्णय नहीं ले पा रही है.