जयपुर. प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत राज्य सरकार के निर्देश पर ज्यादा से ज्यादा पट्टे बांटने की कवायद के बीच सोमवार को ग्रेटर नगर निगम में महापौर ने करीब 48 पट्टे वितरित किए. महापौर डॉ सौम्या गुर्जर ने राजापार्क निवासी सुभाष भाटिया को अपने जन्मदिन पर पट्टा देकर दोहरी खुशी दी. उधर, बीजेपी के जगतपुरा जोन क्षेत्र के पार्षदों ने जॉन उपायुक्त ममता नगर पर पट्टे के एवज में पैसे मांगने का आरोप लगाते हुए डीसी को निलंबित करने की मांग को लेकर कमिश्नर चेंबर के बाहर धरना (BJP councilors protest for suspension of DC) दिया. 7 दिन में कार्रवाई नहीं किए जाने पर स्थानीय जनता के साथ उग्र आंदोलन की चेतावनी दी.
जगतपुरा जोन उपायुक्त को निलंबित करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे बीजेपी पार्षद अरुण शर्मा ने कहा कि 2 साल से जनता त्रस्त है. जगतपुरा जोन में किसी भी तरह के जनहित में काम नहीं किए गए. उन्होंने डीसी ममता नगर पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो आम जनता का काम नहीं करती. उन्हें सिर्फ चाय से संतुष्टि नहीं मिलती, ऐसे अधिकारी का निलंबन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्रेटर नगर निगम को ग्रेट बनाने के लिए 2 साल पहले चुनकर आए थे. लेकिन इन अधिकारियों की वजह से काम नहीं कर पा रहे. जोन के अधिकारी 'गूंगी विधायक' की शह में काम कर रहे हैं. वो ही अधिकारियों का निलंबन हर बार टाल देती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि आज तो धरना दिया गया है, यदि डीसी का निलंबन नहीं किया जाता तो 7 दिन बाद स्थानीय जनता इन्हें जवाब देगी.
वहीं निगम सफाई समिति चेयरमैन रामस्वरूप मीणा ने जगतपुरा जोन डीसी पर आरोप लगाते हुए कहा कि जोन कार्यालय में किसी भी गरीब आदमी को पट्टा दिलाने के लिए लेकर जाते हैं, तो डीसी को मौका देखने के बहाने चाय पीने के लिए भी कहा जाता है. लेकिन इस पर डीसी जवाब देती हैं कि 'क्या केवल चाय से काम चलाओगे क्या'. उन्होंने कहा कि गरीब आदमियों पर अधिकारियों को दया नहीं आती. जिनके सुबह-शाम का चूल्हा नहीं जलता, उन्होंने हजारों रुपए लगाकर पट्टे की फाइल तैयार कीं, उनकी पट्टे की फाइल को खारिज कर दिया जाता है. उन्होंने सवाल किया कि क्या 35 वर्ग गज से नीचे के पट्टे नहीं देने का नियम जगतपुरा जोन में ही लागू है. उन्होंने आरोप लगाया कि डीसी को सिर्फ पैसे से मतलब है, खुली लूट मचा रखी है.
इसके साथ ही जगतपुरा जोन की पार्षद ममता शर्मा ने विजिलेंस टीम पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्हें कई बार अवैध थड़ियों को हटाने के लिए लिखकर दिया जा चुका है. एक महीने बाद भी उसका जवाब नहीं दिया गया. आलम ये है कि विजिलेंस की टीम 50 वर्ग गज के मकान तोड़ने के लिए चले जाते हैं और जनप्रतिनिधियों से अमर्यादित तरीके से बात करते हैं. इन पार्षदों के आरोपों पर निगम के अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए. हालांकि उन्होंने 7 दिन में कार्रवाई करने का आश्वासन देते हुए पार्षदों का धरना खत्म करवाया.