जयपुर. राजस्थान के उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़ क्षेत्र में लोकप्रिय भवाई नृत्य, जिसमें कलाकार सिर पर पांच से सात मटके रखकर नृत्य करता है. तलवारों की धार पर नाचना, जमीन से मुंह से रुमाल उठाना, गिलासों पर नाचना, परात के किनारों पर नाचना या फिर कीलों पर नाचना, इस नृत्य की मुख्य विशेषताएं हैं. कुल मिलाकर इस डांस फॉर्म में शारीरिक करतब दिखाने पर ज्यादा जोर दिया जाता है.
खासकर पुरुष इस नृत्य को करते हैं, लेकिन अब ये डांस फॉर्म केवल राजस्थान तक सिमटकर नहीं रह गया है, बल्कि अमेरिका में भी इसे पहचान मिली है. अमेरिका की रहने वाली कैटरीना जी राजस्थान के इस कल्चर को अमेरिका में फैला रही हैं. ईटीवी भारत से बातचीत की शुरुआत भी कैटरीना ने राजस्थानी अंदाज में खम्मा घणी बोलते हुए की और खुद को एक राजस्थानी कलाकार बताया.
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कैटरीना ने राजस्थान के इस डांस फॉर्म को चुनने का कारण बताते हुए कहा कि 2009 में अमेरिका पहुंचे गुरु क्वीन हरीश से उन्होंने मुलाकात की थी और उनसे इस डांस को सीखने की इच्छा व्यक्त की थी. उसके बाद साल 2012 में जब वो भारत आईं तो गुरु क्वीन हरीश से उन्होंने इस डांस फॉर्म की कुछ बारीकियां सीखी. लेकिन इसके बाद वो अमेरिका अपने घर लौट गईं. हालांकि, वो इस डांस फॉर्म को और बेहतर ढंग से सीखना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने सप्ताह में 3 दिन डांस गुरु निष्ठा के साथ सीखना शुरू किया.
इससे करीब 5 साल पहले उन्होंने मटके खरीद लिए थे और वो इन मटकों को सिर पर रखकर चलने की कोशिश करती रही. लेकिन ये मटके बार-बार गिर जाया करते थे. जब उन्होंने डांस टीचर निष्ठा के साथ भवाई सीखना शुरू किया तो चरी डांस उनके लिए बहुत आसान हो गया. उन्होंने भवाई को सभी राजस्थानी डांस में सबसे श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि वो 1999 से राजस्थानी डांस फॉर्म से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने सबसे पहले डॉक्यूमेंट्री में कालबेलिया और दूसरे राजस्थानी डांस को देखा था और वो इन डांस से प्रेरित होकर इन्हें करना चाहती थीं.
जब वो 2012 में पहली मर्तबा भारत आईं तो उन्होंने कालबेलिया डांस का लाइव परफॉर्मेंस देखा और तभी से उनकी रूचि राजस्थानी लोक नृत्य की तरफ और बढ़ गई. तब उन्होंने सोचा कि केवल कालबेलिया ही नहीं, बल्कि राजस्थान से जुड़े दूसरे लोकनृत्य भी विदेशी कलाकारों को सिखाने चाहिए. उन्होंने बताया कि उनके डांस कैरियर में इंडियन कम्युनिटी ने उन्हें काफी प्यार और इज्जत दी. लेकिन सबसे यादगार पल बोथा जब अमेरिका में उन्होंने सीनियर्स के सामने परफॉर्मेंस दी. उस दौरान एक 90 वर्षीय राजस्थानी व्यक्ति ने आकर उनके पैर छुए और उन्हें आशीर्वाद के रूप में कुछ पैसे भी दिए. यही वजह है कि वो इस डांस फॉर्म को सबसे ज्यादा पसंद करती हैं.
कैटरीना जी ने आगे बताया कि लॉकडाउन के दौरान उनका डांस कैरियर लगभग खत्म होने की कगार पर था. इसलिए वो पूरी ताकत के साथ वापसी करना चाहती थीं. ऐसे में उन्होंने कई फेस्टिवल में परफॉर्म किया और अमेरिका में कई जगह जाकर डांस शो किए. उन्होंने अपने कई डांस की छोटी क्लिप सोशल मीडिया पर भी शेयर की, जिसे अच्छे व्यू मिल रहे हैं और राजस्थानी डांस फॉर्म प्रमोट भी हो रहा है. अब कई डांस ग्रुप भी उनके साथ कॉन्ट्रैक्ट कर रहे हैं. पहले अमेरिकन्स को ये बेले डांस की तरह लगता था, लेकिन जब उन्हें पता लगा कि ये एक राजस्थानी डांस फॉर्म है तो उन्होंने भी इस डांस को सीखने में रुचि दिखाई.
उन्होंने बताया कि वो अमेरिका में राजस्थानी कल्चर को एक पहचान दिलाना चाहती हैं. इसके लिए वो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से काम कर रही हैं. ऑनलाइन उन्होंने एक वेबसाइट बना रखी है, जिसमें उन्होंने राजस्थानी कलाकारों को भी जोड़ रखा है. इस वेबसाइट पर राजस्थानी कलाकारों की ओर से पेश किए गए नृत्यों से जो भी इनकम जनरेट होती है, उसे वो ऑनलाइन ही उन तक पहुंचाती भी हैं.