जयपुर. जिले में होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए जयपुर जिला प्रशासन सख्त हो गया है. बाल विवाह को रोकने के लिए जयपुर जिले में 1 अप्रैल से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. साथ ही ग्राम स्तर पर 6 सदस्य टीम का गठन भी किया गया है. जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने मंगलवार को एक आदेश जारी कर जयपुर जिले में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत बाल विवाह रोकने के लिए कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने बताया कि अक्षय तृतीय, पीपल पूर्णिमा सहित अन्य अवसरों पर अक्सर बाल विवाह देखने को मिलते हैं. बाल विवाहों को रोकने के लिए 1 अप्रैल से 30 जून तक आमजन में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा. नुक्कड़ नाटक, रैली सहित अन्य गतिविधियों के माध्यम से आम जनता को जागरूक किया जाएगा.
उन्होंने बताया कि बाल विवाह की रोकथाम के लिए ग्राम स्तर पर विद्यालय प्रधानाचार्य और ग्राम विकास अधिकारी सहित 6 सदस्यीय टीम गठित की गई है. टीम को नाबालिग बच्चे के विवाह की सूचना संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट या नजदीक के पुलिस स्टेशन को देनी होगी. सूचना मिलने के बाद संबंधित अधिकारी संबंधित न्यायिक मजिस्ट्रेट से निषेधाज्ञा प्राप्त कर नाबालिग बच्चों के बाल विवाह नहीं करने के लिए आयोजकों और अभिभावकों को पाबंद करेंगे.
इन मौकों पर होते हैं ज्यादा बाल विवाह : अक्षय तृतीया, पीपल पूर्णिमा के अवसर पर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह देखने को मिलते हैं. परिजन गुपचुप तरीके से बच्चों का बाल विवाह कराते हैं. जागरूकता और शिक्षा के प्रसार से ही बाल विवाह जैसी कुरीतियों को रोका जा सकता है. प्रकाश राजपुरोहित ने निर्देश दिए हैं कि बाल विवाह कराने वाले लोगों के खिलाफ अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाए. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के तहत विवाह के लिए लड़के की आयु 21 वर्ष एवं लड़की की आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है.