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भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत और पायलट आमने सामने, कैसे रिपीट होगी कांग्रेस सरकार, आलाकमान के फैसले का है इंतजार - Ashok Gehlot vs Sachin Pilot

प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट एक दूसरे को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. अब सवाल है कि कैसे होगी प्नदेश में कांग्रेस की सरकार. इन परिस्थितियों में हर कोई आलाकमान की तरफ टकटकी लगाए बैठा है.

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Published : May 9, 2023, 7:24 AM IST

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत और पायलट आमने सामने

जयपुर. राजस्थान में सचिन पायलट हो या अशोक गहलोत हर कोई प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कैसे हो रिपीट की बात करते नजर आते हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के दम पर प्रदेश में सरकार रिपीट करने का दावा करते हैं तो वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक यह कहते हैं कि राजस्थान में योजनाएं तो पहले भी गहलोत लेकर आए थे, लेकिन जिन्हें जनता देखना चाहती है उन्हें जब तक नेतृत्व नहीं दिया जाएगा सरकार रिपीट नहीं हो सकती. बहरहाल राजस्थान में सरकार किसकी बनेगी ये तो दिसंबर में साफ होगा लेकिन जिस तरह से गहलोत और पायलट दोनों के बीच दूरियां बनी हुई है और दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उससे लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ता के सामने बड़ी परेशानी चुनाव में खड़ी होने वाली है कि वो किसकी माने और किसकी ना माने.

पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीछे हटने को नहीं तैयार तो गहलोत मानेसर जाने वाले विधायकों को बता रहे भ्रष्टाचारी : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के दोनों दिग्गज नेता सचिन पायलट और अशोक गहलोत भ्रष्टाचार को लेकर अपनी अपनी बात कर रहे हैं. लेकिन दोनों अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. जहां एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार पायलट कैंप के विधायकों पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सरकार गिराने के लिए भाजपा से 10 से 20 करोड़ रुपए लिए थे और अब उन्हें ये पैसे वापस लौटा देना चाहिए. तो वहीं पायलट भी पीछे नहीं है जो 11 अप्रैल को अपनी ही सरकार पर पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं करने की बात कह कर न केवल अनशन पर बैठे थे, बल्कि कहते नजर आ रहे हैं कि उनकी ओर से उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दों को भले ही कोई पसंद करें या ना करें लेकिन वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे.

पढ़ें Rajasthan Politics : अशोक गहलोत ने भाजपा नहीं, सचिन पायलट को लिया निशाने पर...

कार्यकर्ता को कर्नाटक के चुनाव के बाद आलाकमान के फैसले का इंतजार: पायलट हो या गहलोत दोनों ही आरोप प्रत्यारोप अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर लगाते दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने चुप्पी साध रखी है. स्पष्ट है कि कांग्रेस आलाकमान कर्नाटक चुनाव के नतीजे का इंतजार कर रहा है और जैसे ही कर्नाटक के चुनाव निपट जाएंगे उसके बाद राजस्थान में किस नेता की क्या भूमिका चुनाव में रहेगी इसको लेकर आलाकमान फैसला ले सकता है. वैसे भी कांग्रेस आलाकमान को उम्मीद है कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाएगी. उसके बाद कमजोर माने जाने वाले कांग्रेस आलाकमान में नई ताकत और ऊर्जा का संचार होगा. जिसके बाद वे राजस्थान को लेकर भी अंतिम फैसला ले लेंगे. कर्नाटक चुनाव के बाद ही कांग्रेस आलाकमान यह तय करेगा कि किस नेता की चुनाव में क्या भूमिका होगी. वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भी बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि कांग्रेस आलाकमान उन्हें दोनों नेताओं की भूमिका को लेकर स्थिति साफ करें ताकि वह बिना किसी कन्फ्यूजन के चुनाव में उतर सके.

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत और पायलट आमने सामने

जयपुर. राजस्थान में सचिन पायलट हो या अशोक गहलोत हर कोई प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कैसे हो रिपीट की बात करते नजर आते हैं. एक तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी योजनाओं के दम पर प्रदेश में सरकार रिपीट करने का दावा करते हैं तो वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक यह कहते हैं कि राजस्थान में योजनाएं तो पहले भी गहलोत लेकर आए थे, लेकिन जिन्हें जनता देखना चाहती है उन्हें जब तक नेतृत्व नहीं दिया जाएगा सरकार रिपीट नहीं हो सकती. बहरहाल राजस्थान में सरकार किसकी बनेगी ये तो दिसंबर में साफ होगा लेकिन जिस तरह से गहलोत और पायलट दोनों के बीच दूरियां बनी हुई है और दोनों में से कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है. उससे लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस कार्यकर्ता के सामने बड़ी परेशानी चुनाव में खड़ी होने वाली है कि वो किसकी माने और किसकी ना माने.

पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीछे हटने को नहीं तैयार तो गहलोत मानेसर जाने वाले विधायकों को बता रहे भ्रष्टाचारी : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी के दोनों दिग्गज नेता सचिन पायलट और अशोक गहलोत भ्रष्टाचार को लेकर अपनी अपनी बात कर रहे हैं. लेकिन दोनों अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं. जहां एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार पायलट कैंप के विधायकों पर यह आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सरकार गिराने के लिए भाजपा से 10 से 20 करोड़ रुपए लिए थे और अब उन्हें ये पैसे वापस लौटा देना चाहिए. तो वहीं पायलट भी पीछे नहीं है जो 11 अप्रैल को अपनी ही सरकार पर पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के समय हुए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच नहीं करने की बात कह कर न केवल अनशन पर बैठे थे, बल्कि कहते नजर आ रहे हैं कि उनकी ओर से उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दों को भले ही कोई पसंद करें या ना करें लेकिन वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे.

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कार्यकर्ता को कर्नाटक के चुनाव के बाद आलाकमान के फैसले का इंतजार: पायलट हो या गहलोत दोनों ही आरोप प्रत्यारोप अप्रत्यक्ष रूप से एक दूसरे पर लगाते दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने चुप्पी साध रखी है. स्पष्ट है कि कांग्रेस आलाकमान कर्नाटक चुनाव के नतीजे का इंतजार कर रहा है और जैसे ही कर्नाटक के चुनाव निपट जाएंगे उसके बाद राजस्थान में किस नेता की क्या भूमिका चुनाव में रहेगी इसको लेकर आलाकमान फैसला ले सकता है. वैसे भी कांग्रेस आलाकमान को उम्मीद है कि कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी सरकार बनाएगी. उसके बाद कमजोर माने जाने वाले कांग्रेस आलाकमान में नई ताकत और ऊर्जा का संचार होगा. जिसके बाद वे राजस्थान को लेकर भी अंतिम फैसला ले लेंगे. कर्नाटक चुनाव के बाद ही कांग्रेस आलाकमान यह तय करेगा कि किस नेता की चुनाव में क्या भूमिका होगी. वहीं कांग्रेस कार्यकर्ता भी बेसब्री से इंतजार कर रहा है कि कांग्रेस आलाकमान उन्हें दोनों नेताओं की भूमिका को लेकर स्थिति साफ करें ताकि वह बिना किसी कन्फ्यूजन के चुनाव में उतर सके.

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