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चुनावी नतीजों से पहले भगवान के दरबार में अर्चना शर्मा, बोलीं राजनीतिक जीवन जनता के लिए होता है - Rajasthan Hindi News

मालवीय नगर से कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा वोटिंग खत्म होने के अगले दिन भगवान के दर पर पहुंचीं. उन्होंने यहां भजन कर रही महिलाओं के साथ समय भी गुजारा. उन्होंने बताया कि अपने कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात कर कहा कि दो दिन आराम कर लीजिए, तीसरे दिन से फिर से काम करना है.

Rajasthan Assembly Elections 2023
मतदान के बाद कैलकुलेशन में जुटे प्रत्याशी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 26, 2023, 8:36 PM IST

मतदान के बाद कैलकुलेशन में जुटे प्रत्याशी

जयपुर. राजस्थान के रण के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद रविवार को नेता रिलैक्स मूड में दिखाई दिए. चुनावी थकान के चलते कई नेताओं ने परिवार के साथ समय गुजारा तो कईयों ने घरवालों के काम में हाथ बंटाते दिखे. मालवीय नगर से कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा सुबह भगवान के दर पहुंच कर पूजा-अर्चना की. ईटीवी भारत से बातचीत में अर्चना शर्मा ने कहा कि ये एक महीने की थकान नहीं है. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी से पैदल चलना शुरू किया था पहले हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा, फिर विकास यात्रा और फिर क्षेत्र में यात्रा की है. उनका संघर्ष इसलिए बड़ा है, क्योंकि वो ऐसी सीट से चुनाव लड़ती है, जो परंपरागत उनकी पार्टी विचारधारा के अनुकूल नहीं है.

अर्चना ने बताया कि पिछला चुनाव चंद मतों से हारी. जो लोग उन्हें आज हराना चाहते थे, उनके षड्यंत्र से हारी थी. चुनाव लगभग जीतने के बाद जब काउंटिंग सेंटर से लौटी थी, तब उन्हें लोगों ने कहा था कि वो षड्यंत्र के तहत हारी हैं. ऐसे में इस बार अंदाजा था कि टिकट उन्हें ही मिलेगा. मुख्यमंत्री ने भी उन्हें आश्वस्त कर रखा था, क्योंकि वो भी उन्हें हारा हुआ नहीं मानते थे.

पढ़ें:प्रताप सिंह खाचरियावास बोले- भाजपा ने जो माहौल बनाया वो धरा रह गया, कांग्रेस का काम बोल रहा था

राजनीतिक जीवन जनता के लिए होता है: अर्चना शर्मा ने बताया कि यूडीएच मंत्री की मदद से 1700 करोड़ के काम मालवीय नगर क्षेत्र में कराए. उन्होंने कहा कि एहसास था कि यदि चुनाव लड़ना है और षड्यंत्रों से पार पाना है तो काम करना पड़ेगा, जनता के बीच जाना पड़ेगा और उनका विश्वास जीतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जिस गली मोहल्ले में जाते थे, तो लोग यही कहते थे कि वो उनकी पार्टी को वोट नहीं देते हैं. ऐसे में 2 लाख 35 हजार वोटर की इस विधानसभा में विपक्षी पार्टी का कार्यकर्ता ही नहीं जनता बीजेपी का साथ दे रही थी उस अवस्था में 5 वर्षों के संघर्ष के साथ वो मैदान में उतरी. अर्चना ने बताया कि पैदल चलकर पूरी विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया. उनके साथ उनके कार्यकर्ता भी हर दिन 20 किलोमीटर चले लेकिन ये थकान नहीं है, इसे सिर्फ यही कहा जा सकता है कि अल्टीमेटली मंजिल मिल गई है. उसमें थोड़ा सा पोज लिया गया है, काम आगे भी करना है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन अपने लिए नहीं बल्कि जनता के लिए होता है.

भगवान के दर पहुंचीं अर्चना: मतदान के अगले दिन सबसे पहले मंदिर पहुंचने को लेकर उन्होंने कहा कि ये सुकून देने वाली चीज होती है. अर्चना ने बताया कि स्थानीय महिला ने उन्हें मंदिर में सजी झांकी की जानकारी दी, और यहां आमंत्रित भी किया. ऐसे में जब खुद गोविंद बुला ले, इससे बेहतर क्या हो सकता है. लोग पता नहीं किस तरह से रिलैक्स करते हैं, लेकिन इससे बड़ा सुकून कुछ नहीं. उन्होंने बताया कि वो रोज सुबह 5:00 उठती थी उसकी बजाए आज 7:00 बजे उठी. हालांकि उन्हें शुरुआत से जल्दी उठने की आदत रही है. अर्चना ने बताया कि मतदान के दिन भी सोने में रात 12:00 बज गए थे क्योंकि यहां संघर्ष करना पड़ा. उनके खिलाफ कई षड्यंत्र हुए, जिसने उनका भी मनोबल कमजोर किया और कार्यकर्ताओं का भी विचलित किया था लेकिन गोविंद की कृपा से मनोबल को गिरने नहीं दिया.

पढ़ें:वोटिंग के बाद आज भी नहीं बदला बालमुकुंद आचार्य का रूटीन, बोले जनसंपर्क के दौरान पैरों में पड़ गए छाले

परिवार के संग गुजारेंगी वक्त: आखिर में उन्होंने बताया कि वो परिवार में महज चार लोग हैं। उनके पति आचार्य सोमेंद्र गद्दी पर बैठ चुके हैं. उन्हें निवेदन कर चार दिन पहले ये कहकर बुलाया था कि वो अकेली चुनाव तो लड़ लेंगी, लेकिन मनोबल को मत गिरने दो तब वो संबल बढ़ाने के लिए आए थे. उनके पति आज घर पर है, उनका बेटा दिल्ली से आ गया है, बेटी चंडीगढ़ से आई है. ऐसे में उन्हें समय देंगी लेकिन मालवीय नगर के जो साथी हैं वो भी परिवार है. उन्होंने कहा है कि दो दिन आराम करो, तीसरे दिन से फिर काम करना है.

मतदान के बाद कैलकुलेशन में जुटे प्रत्याशी

जयपुर. राजस्थान के रण के लिए मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद रविवार को नेता रिलैक्स मूड में दिखाई दिए. चुनावी थकान के चलते कई नेताओं ने परिवार के साथ समय गुजारा तो कईयों ने घरवालों के काम में हाथ बंटाते दिखे. मालवीय नगर से कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा सुबह भगवान के दर पहुंच कर पूजा-अर्चना की. ईटीवी भारत से बातचीत में अर्चना शर्मा ने कहा कि ये एक महीने की थकान नहीं है. उन्होंने कहा कि 26 जनवरी से पैदल चलना शुरू किया था पहले हाथ से हाथ जोड़ो यात्रा, फिर विकास यात्रा और फिर क्षेत्र में यात्रा की है. उनका संघर्ष इसलिए बड़ा है, क्योंकि वो ऐसी सीट से चुनाव लड़ती है, जो परंपरागत उनकी पार्टी विचारधारा के अनुकूल नहीं है.

अर्चना ने बताया कि पिछला चुनाव चंद मतों से हारी. जो लोग उन्हें आज हराना चाहते थे, उनके षड्यंत्र से हारी थी. चुनाव लगभग जीतने के बाद जब काउंटिंग सेंटर से लौटी थी, तब उन्हें लोगों ने कहा था कि वो षड्यंत्र के तहत हारी हैं. ऐसे में इस बार अंदाजा था कि टिकट उन्हें ही मिलेगा. मुख्यमंत्री ने भी उन्हें आश्वस्त कर रखा था, क्योंकि वो भी उन्हें हारा हुआ नहीं मानते थे.

पढ़ें:प्रताप सिंह खाचरियावास बोले- भाजपा ने जो माहौल बनाया वो धरा रह गया, कांग्रेस का काम बोल रहा था

राजनीतिक जीवन जनता के लिए होता है: अर्चना शर्मा ने बताया कि यूडीएच मंत्री की मदद से 1700 करोड़ के काम मालवीय नगर क्षेत्र में कराए. उन्होंने कहा कि एहसास था कि यदि चुनाव लड़ना है और षड्यंत्रों से पार पाना है तो काम करना पड़ेगा, जनता के बीच जाना पड़ेगा और उनका विश्वास जीतना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि जिस गली मोहल्ले में जाते थे, तो लोग यही कहते थे कि वो उनकी पार्टी को वोट नहीं देते हैं. ऐसे में 2 लाख 35 हजार वोटर की इस विधानसभा में विपक्षी पार्टी का कार्यकर्ता ही नहीं जनता बीजेपी का साथ दे रही थी उस अवस्था में 5 वर्षों के संघर्ष के साथ वो मैदान में उतरी. अर्चना ने बताया कि पैदल चलकर पूरी विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया. उनके साथ उनके कार्यकर्ता भी हर दिन 20 किलोमीटर चले लेकिन ये थकान नहीं है, इसे सिर्फ यही कहा जा सकता है कि अल्टीमेटली मंजिल मिल गई है. उसमें थोड़ा सा पोज लिया गया है, काम आगे भी करना है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक जीवन अपने लिए नहीं बल्कि जनता के लिए होता है.

भगवान के दर पहुंचीं अर्चना: मतदान के अगले दिन सबसे पहले मंदिर पहुंचने को लेकर उन्होंने कहा कि ये सुकून देने वाली चीज होती है. अर्चना ने बताया कि स्थानीय महिला ने उन्हें मंदिर में सजी झांकी की जानकारी दी, और यहां आमंत्रित भी किया. ऐसे में जब खुद गोविंद बुला ले, इससे बेहतर क्या हो सकता है. लोग पता नहीं किस तरह से रिलैक्स करते हैं, लेकिन इससे बड़ा सुकून कुछ नहीं. उन्होंने बताया कि वो रोज सुबह 5:00 उठती थी उसकी बजाए आज 7:00 बजे उठी. हालांकि उन्हें शुरुआत से जल्दी उठने की आदत रही है. अर्चना ने बताया कि मतदान के दिन भी सोने में रात 12:00 बज गए थे क्योंकि यहां संघर्ष करना पड़ा. उनके खिलाफ कई षड्यंत्र हुए, जिसने उनका भी मनोबल कमजोर किया और कार्यकर्ताओं का भी विचलित किया था लेकिन गोविंद की कृपा से मनोबल को गिरने नहीं दिया.

पढ़ें:वोटिंग के बाद आज भी नहीं बदला बालमुकुंद आचार्य का रूटीन, बोले जनसंपर्क के दौरान पैरों में पड़ गए छाले

परिवार के संग गुजारेंगी वक्त: आखिर में उन्होंने बताया कि वो परिवार में महज चार लोग हैं। उनके पति आचार्य सोमेंद्र गद्दी पर बैठ चुके हैं. उन्हें निवेदन कर चार दिन पहले ये कहकर बुलाया था कि वो अकेली चुनाव तो लड़ लेंगी, लेकिन मनोबल को मत गिरने दो तब वो संबल बढ़ाने के लिए आए थे. उनके पति आज घर पर है, उनका बेटा दिल्ली से आ गया है, बेटी चंडीगढ़ से आई है. ऐसे में उन्हें समय देंगी लेकिन मालवीय नगर के जो साथी हैं वो भी परिवार है. उन्होंने कहा है कि दो दिन आराम करो, तीसरे दिन से फिर काम करना है.

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