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विधानसभा चुनाव से पहले हेरिटेज नगर निगम का प्रकरण क्या कांग्रेस पर पड़ेगा भारी ? यहां समझिए पूरा समीकरण

हेरिटेज नगर निगम में कार्यवाहक मेयर का चयन होना है. मेयर को बर्खास्त कर दोबारा चुनाव होते हैं, तो कांग्रेस की गुटबाजी उनका बोर्ड गिरा सकती है. कुल मिलाकर इस घटना का असर राजस्थान विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है. क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक, जानिए...

appointment of acting mayor in Heritage Nigam, will it effect congress in upcoming elections
विधानसभा चुनाव से पहले हेरिटेज नगर निगम का प्रकरण क्या कांग्रेस पर पड़ेगा भारी!
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Published : Aug 7, 2023, 7:07 PM IST

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. हेरिटेज निगम में महापौर की कुर्सी पर कौन बैठेगा, ये तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है. विधायकों की गुटबाजी के चलते कार्यवाहक मेयर का चयन टेढ़ी की साबित हो रहा है और यदि महापौर को बर्खास्त कर दोबारा चुनाव होते हैं, तो यही गुटबाजी कांग्रेस का बोर्ड भी गिरा सकती है. इस बीच चर्चा डिप्टी मेयर का चेहरा बदलने की भी है. ऐसे में असम फारुकी से इस्तीफा भी लिया जा सकता है. इस पूरे घटनाक्रम का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता दिख रहा है.

बीजेपी भुनाने में जुटी: हेरिटेज नगर निगम में बीजेपी महापौर के बर्खास्त होने का पलक पावडे़ बिछा कर इंतजार कर रही है, ताकि निर्दलीय और कांग्रेसी पार्षदों की नाराजगी का फायदा उठाकर हेरिटेज निगम में भी बीजेपी का बोर्ड बनाया जा सके. बीजेपी पार्षद विमल अग्रवाल के अनुसार इतने सारे सबूत घर में मिलने के बावजूद मेयर को सिर्फ निलंबित किया गया. क्योंकि कांग्रेस जानती है कि यदि मुनेश गुर्जर को बर्खास्त किया गया, तो महापौर के दोबारा चुनाव कराने पड़ेंगे. ऐसे में कांग्रेस की प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाएगी. क्योंकि निर्दलीय और कांग्रेसी पार्षदों को भी इनसे नाराजगी है. वो खुद दोबारा कांग्रेस का बोर्ड नहीं बनने देना चाहते हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि महापौर मुनेश गुर्जर को तुरंत गिरफ्तार कर, उनको बर्खास्त करना चाहिए और नए सिरे से महापौर के चुनाव कराने चाहिए.

पढ़ें: मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद अब मेयर की कुर्सी के लिए घमासान, अवसर की तलाश में भाजपा

कार्यवाहक मेयर बनाने का मामला उलझन में पड़ा: इस पूरे प्रकरण का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता दिख रहा है. राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि हेरिटेज नगर निगम की मेयर के निलंबन के बाद कार्यवाहक मेयर बनाने का मामला उलझन में पड़ गया है. वहीं विधानसभा के चुनाव नवंबर में प्रस्तावित हैं. चारों विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाता इतने नहीं है, लेकिन यहां मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं. उन्हें पक्ष में करने के लिए मुस्लिम महापौर बनाया जा सकता है. उसी तरह एसटी/एससी मतदाताओं को रिझाने के लिए डिप्टी मेयर का चेहरा बदलने का कार्ड खेला जा सकता है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये फैसला होना है.

पढ़ें: हेरिटेज निगम महापौर की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, महेश जोशी ने साधी चुप्पी, प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा- बर्खास्त करना पड़े तो करेंगे

श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि स्थितियां विकट हैं कांग्रेस के सामने आने वाला समय निर्णय करने का है. निर्णय सही होता है, तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए पक्ष वाला माहौल बनेगा. अन्यथा कांग्रेस की अलग तरह की स्थिति बनेगी. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले जयपुर शहर के विधायकों में जिस तरह से मनभेद बढ़ गए हैं, इसका असर पहले से ही कमजोर मानी जाने वाली जयपुर की विधानसभा सीटों पर जरूर पड़ेगा.

पढ़ें: Jaipur Mayor Suspension : मुनेश गुर्जर ने राजनीतिक षड्यंत्र का लगाया आरोप, बोलीं- न्यायपालिका और 'सुदर्शन चक्र' वाले पर भरोसा

भ्रष्टाचार के मामले में घिरेगी कांग्रेस?: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो, भले ही कांग्रेस के नेताओं की ओर से ये कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस की नीति पर सरकार काम कर रही है. लेकिन हकीकत ये भी है कि सत्ताधारी दल की ही महापौर अगर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते हटाई गई है, तो इससे कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में नकारात्मक छवि बनी है. क्योंकि मुनेश गुर्जर करीब ढाई साल से महापौर के पद पर थीं. ऐसे में आम लोगों के मन में ये बात जरूर चल रही है कि क्या ये भ्रष्टाचार लंबे समय से जयपुर के नगर निगम में व्याप्त था. ऐसे में पहले ही अपनी ही सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा के भ्रष्टाचार के मामले में लाल डायरी के आरोपों से जूझ रही कांग्रेस को अब इस बात का भी जवाब देना होगा कि नगर निगम में कब से भ्रष्टाचार चल रहा था.

किसने क्या कहा, सुनिए...

जयपुर. हेरिटेज निगम में महापौर की कुर्सी पर कौन बैठेगा, ये तस्वीर अब तक साफ नहीं हो पाई है. विधायकों की गुटबाजी के चलते कार्यवाहक मेयर का चयन टेढ़ी की साबित हो रहा है और यदि महापौर को बर्खास्त कर दोबारा चुनाव होते हैं, तो यही गुटबाजी कांग्रेस का बोर्ड भी गिरा सकती है. इस बीच चर्चा डिप्टी मेयर का चेहरा बदलने की भी है. ऐसे में असम फारुकी से इस्तीफा भी लिया जा सकता है. इस पूरे घटनाक्रम का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता दिख रहा है.

बीजेपी भुनाने में जुटी: हेरिटेज नगर निगम में बीजेपी महापौर के बर्खास्त होने का पलक पावडे़ बिछा कर इंतजार कर रही है, ताकि निर्दलीय और कांग्रेसी पार्षदों की नाराजगी का फायदा उठाकर हेरिटेज निगम में भी बीजेपी का बोर्ड बनाया जा सके. बीजेपी पार्षद विमल अग्रवाल के अनुसार इतने सारे सबूत घर में मिलने के बावजूद मेयर को सिर्फ निलंबित किया गया. क्योंकि कांग्रेस जानती है कि यदि मुनेश गुर्जर को बर्खास्त किया गया, तो महापौर के दोबारा चुनाव कराने पड़ेंगे. ऐसे में कांग्रेस की प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाएगी. क्योंकि निर्दलीय और कांग्रेसी पार्षदों को भी इनसे नाराजगी है. वो खुद दोबारा कांग्रेस का बोर्ड नहीं बनने देना चाहते हैं. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि महापौर मुनेश गुर्जर को तुरंत गिरफ्तार कर, उनको बर्खास्त करना चाहिए और नए सिरे से महापौर के चुनाव कराने चाहिए.

पढ़ें: मुनेश गुर्जर के निलंबन के बाद अब मेयर की कुर्सी के लिए घमासान, अवसर की तलाश में भाजपा

कार्यवाहक मेयर बनाने का मामला उलझन में पड़ा: इस पूरे प्रकरण का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ता दिख रहा है. राजनीतिक विश्लेषक श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि हेरिटेज नगर निगम की मेयर के निलंबन के बाद कार्यवाहक मेयर बनाने का मामला उलझन में पड़ गया है. वहीं विधानसभा के चुनाव नवंबर में प्रस्तावित हैं. चारों विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाता इतने नहीं है, लेकिन यहां मुस्लिम मतदाता ज्यादा हैं. उन्हें पक्ष में करने के लिए मुस्लिम महापौर बनाया जा सकता है. उसी तरह एसटी/एससी मतदाताओं को रिझाने के लिए डिप्टी मेयर का चेहरा बदलने का कार्ड खेला जा सकता है. विधानसभा चुनाव को देखते हुए ये फैसला होना है.

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श्याम सुंदर शर्मा का कहना है कि स्थितियां विकट हैं कांग्रेस के सामने आने वाला समय निर्णय करने का है. निर्णय सही होता है, तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए पक्ष वाला माहौल बनेगा. अन्यथा कांग्रेस की अलग तरह की स्थिति बनेगी. ऐसे में विधानसभा चुनाव से पहले जयपुर शहर के विधायकों में जिस तरह से मनभेद बढ़ गए हैं, इसका असर पहले से ही कमजोर मानी जाने वाली जयपुर की विधानसभा सीटों पर जरूर पड़ेगा.

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भ्रष्टाचार के मामले में घिरेगी कांग्रेस?: राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो, भले ही कांग्रेस के नेताओं की ओर से ये कहा जा रहा है कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस की नीति पर सरकार काम कर रही है. लेकिन हकीकत ये भी है कि सत्ताधारी दल की ही महापौर अगर भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते हटाई गई है, तो इससे कांग्रेस के जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में नकारात्मक छवि बनी है. क्योंकि मुनेश गुर्जर करीब ढाई साल से महापौर के पद पर थीं. ऐसे में आम लोगों के मन में ये बात जरूर चल रही है कि क्या ये भ्रष्टाचार लंबे समय से जयपुर के नगर निगम में व्याप्त था. ऐसे में पहले ही अपनी ही सरकार में मंत्री रहे राजेंद्र गुढ़ा के भ्रष्टाचार के मामले में लाल डायरी के आरोपों से जूझ रही कांग्रेस को अब इस बात का भी जवाब देना होगा कि नगर निगम में कब से भ्रष्टाचार चल रहा था.

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