जयपुर. प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए सत्ता में वापसी का सपना देख रही है. यही वजह है कि सीएम गहलोत ने बिजली के बिलों में राहत देने की घोषणा कर आम उपभोक्ताओं को साधने की कोशिश की है. सरकार की घोषणा के अनुसार राजस्थान में महीने की 100 यूनिट तक बिजली इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं को 1 जून, 2023 यानी आज से मुफ्त बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी. इतना ही नहीं, 200 यूनिट तक बिजली उपयोग करने पर सिर्फ विद्युत शुल्क ही लिया जाएगा. बिल पर लगने वाले सभी चार्ज पर सरकार की ओर से सब्सिडी दी जाएगी. माना जा रहा है कि सरकार ने बिजली में छूट देकर बड़ा सियासी दांव चला है, लेकिन इसका सीधा असर डिस्कॉम पर पड़ने वाला है.
पहले से ही सवा लाख करोड़ के घाटे में चल रहे डिस्कॉम पर अब और अतिरिक्त भार पड़ेगा. एक अनुमान के मुताबिक सरकार की ओर से दी जा रही छूट और सब्सिडी से करीब एक हजार करोड़ का सालाना भार बढ़ेगा. कर्ज के बोझ तले डूबी सरकार की एक के बाद एक घोषणा पर विपक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
इसे भी पढ़ें - राजस्थान में 200 यूनिट तक बिजली पर नहीं लगेगा कोई चार्ज, गहलोत की नई सौगात
सीएम की घोषणा ने बढ़ाई परेशानी : प्रदेश में उपभोक्ताओं को 1 जून से यानी आज से 100 यूनिट बिजली फ्री मिलेगी. बिजली डिस्कॉम के रिकॉर्ड के मुताबिक प्रदेश में कुल घरेलू बिजली उपभोक्ता 1 करोड़ 25 लाख के करीब हैं, जिसमें से एक करोड़ चार लाख बिजली उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनका 100 यूनिट से कम बिजली का उपयोग होता है. इन उपभोक्ताओं का 1 जून, 2023 से बिजली बिल शून्य हो जाएगा. इसके साथ ही 50 लाख के करीब वो उपभोक्ता हैं, जिनको 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने पर किसी भी तरह का कोई विद्युत शुल्क के अलावा कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा.
गहलोत सरकार की इस घोषणा से पहले से ही सवा लाख करोड़ के घाटे में चल रहे डिस्कॉम पर अब और अतिरिक्त भार पड़ने वाला है. एक अनुमान के मुताबिक सरकार की ओर से दी जा रही छूट और सब्सिडी से करीब एक हजार करोड़ का सालाना भार बढ़ने वाला है. प्रदेश में 100 यूनिट प्रतिमाह खपत वाले उपभोक्ताओं का सालाना करीब 7500 करोड़ रुपए का बिजली भार सरकार उठाएगी. जबकि 200 यूनिट प्रति माह खपत पर दी जाने वाली सब्सिडी से बाकी 20 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को अन्य चार्ज में छूट मिलेगी. इस सब्सिडी को देने से सरकार पर हर साल बिल में 2500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आने का अनुमान है. यानी सरकार पर 1000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आया.
विपक्ष ने उठाया बिजली कंपनियों के घाटे का मुद्दा : सरकार की ओर से की गई घोषणा के बाद से भाजपा ने बिजली कंपनियों के घाटे का मुद्दा उठाया है. नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने आरोप लगाते हुए कहा कि साढ़े 4 साल तक औसत 55 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज विद्युत उपभोक्ताओं से वसूलने वाली कांग्रेस सरकार अब 200 यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज माफ करने की नौटंकी कर रही है. जबकि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में फ्यूल सरचार्ज मात्र औसतन 18 पैसे प्रति यूनिट था. उन्होंने कहा कि जब फ्यूल सरचार्ज की बढ़ोतरी के कारण उद्यमी हड़ताल पर है तो औद्योगिक इकाइयों का फ्यूल सरचार्ज माफ क्यों नहीं कर रहे हैं?
इसे भी पढ़ें - राजस्थान के लोगों को अशोक गहलोत का गिफ्ट, अब बिजली बिल में 200 यूनिट तक मिलेंगे ये बड़े फायदे
राठौड़ ने कहा कि घोषणा करने से पहले मुख्यमंत्री को उपभोक्ताओं को दी गई सब्सिडी के विरुद्ध 15 हजार 180 करोड़ की बकाया राशि को पहले विद्युत कंपनियों को चुकाना चाहिए था. उन्होंने बताया कि डिस्कॉम का घाटा करीब 1 लाख 20 हजार करोड़ का है और सब्सिडी के खर्चे के लिए विद्युत कंपनियों को प्रति वर्ष 60 हजार करोड़ का लोन बैंकों से लेना पड़ता है. जिसका ब्याज भी सालाना लगभग 6500 करोड़ रुपए होता है.
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घोषणा जीवी बताया. उन्होंने कहा कि वो लगातार ऐसी ऐसी घोषणा कर रहे हैं, जो आने वाले समय में पूरी होने वाली नहीं है. मुख्यमंत्री ने बिजली की दरों को लेकर फिर घोषणा करने का काम किया, लेकिन क्या मुख्यमंत्री यह बताएंगे कि तीनों डिस्कॉम का एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का जो कर्ज है, वो कैसे चुकेगा. आज नहीं तो कल ये कर्ज प्रदेश की जनता के ऊपर ही आना है.
किसानों को सब्सिडी : बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने आखिरी बजट में किसानों को सिंचाई के लिए 2 हजार यूनिट तक फ्री बिजली देने की घोषणा की थी. अब एक जून यानी आज से प्रदेश के किसानों को हर महीने 2 हजार यूनिट बिजली फ्री मिलेगी. राजस्थान में करीब 13 लाख से ज्यादा किसानों के पास कृषि कनेक्शन है. इनमें से करीब 11 लाख से ज्यादा किसानों को सरकार की इस योजना का लाभ मिलेगा. किसानों से जुड़ी इस योजना को लेकर सरकार की ओर से दावा किया गया है कि इससे प्रदेश के करीब 80 प्रतिशत किसानों का बिजली का बिल शून्य हो जाएगा. सरकार अनुसार दो महीने में किसान का 4000 यूनिट का 3850 रुपए बिल बनता है. ऐसे में किसान को 925 रुपए प्रति माह और 2 महीने में 1850 रुपए का फायदा होगा. वहीं, इतना ही अतिरिक्त भार सरकार पर आएगा. यानी सरकार पर तकरीबन साढ़े 2300 करोड़ का भार आएगा.
सरकार की इस घोषणा पर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों का जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को लेकर भाजपा के नेताओं को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है. पैसे की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी भी सरकार की ही है और सरकार इस काम को भी बखूबी कर रही है. खाचरियावास ने कहा कि भाजपा के नेता कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाने से पहले केंद्र सरकार के कर्जे के आंकड़ों को देख ले. पिछले 9 साल में 85 लाख से ज्यादा का कर्जा मोदी सरकार ने लिया है. ये आंकड़े प्रदेश के भाजपा नेताओं को दिखाई क्यों नहीं दे रहा है?