जयपुर. कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. इसका असर त्योहारों पर भी पड़ रहा है. शहर में गणगौर का पर्व शुक्रवार को घर-घर मनाया गया, लेकिन महिलाएं एक-दूसरे के घर नहीं जा पाई. चैत्र नवरात्र के चलते शुक्रवार को नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई. वहीं आमेर शिला माता मंदिर में पुजारियों की ओर से माता की पूजा अर्चना की गई.
इस बार लॉकडाउन के चलते नवरात्रों में शिला माता मंदिर में भक्तों का प्रवेश बंद किया गया है. आमेर शिला माता मंदिर में भक्तों का प्रवेश बंद होने से नवरात्र मेला भी नहीं भरेगा. रोजाना पुजारी ही शिला माता के दरबार में पूजा अर्चना करेंगे. शिला माता मंदिर में नवरात्रों के दौरान 10 महाविद्याओं और 9 दुर्गाओं की प्रतिदिन पूजा अर्चना की जाएगी. तीसरे नवरात्र को चंद्रघंटा माता, चौथे नवरात्र को कुषमांडा माता, पांचवें नवरात्रा को स्कंधमाता, छठे नवरात्र को कात्यायनी माता, सातवें नवरात्र को कालरात्रि माता, आठवें नवरात्र को महागौरी माता और नवे और आखिरी नवरात्र को सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाएगी.
नवरात्रों में प्रतिदिन दुर्गा सप्तमी का पाठ और हवन किया जाएगा. माता रानी का विशेष श्रृंगार कर झांकी भी सजाई जाएगी. नवरात्रों में पूर्व राज परिवार की ओर से माता रानी की पोशाक चढ़ाई जाती है और रोजाना आभूषणों का विशेष श्रृंगार किया जाता है. शिला माता मंदिर के पुजारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि शिला माता मंदिर में 9 दिन तक विधिवत रूप से माता की पूजा-अर्चना की जाएगी, लेकिन भक्तों का प्रवेश बंद रहेगा.
पुजारी बनवारी लाल ने श्रद्धालुओं से अपील करते हुए कहा कि राजस्थान में लॉकडाउन के चलते माता के दर्शन बंद रहेंगे. कृपया श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए मंदिर में नहीं आए. 1 अप्रैल को शाम 4 बजकर 30 मिनट पर पूर्णाहुति और रात 10 बजे निशा पूजन होगी. 3 अप्रैल को सुबह 10:30 बजे नवरात्र उत्थापना किया जाएगा.
बता दें कि हर साल नवरात्रों के दौरान शिला माता मंदिर में दूर-दूर से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते थे, माता के दर्शन पाने के लिए अलसुबह से ही भक्तों की लाइने लगी नजर आती थी. लेकिन इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से के गए लॉक डाउन के चलते सभी धार्मिक स्थलों पर लोगों का प्रवेश बंद कर दिया गया है. नवरात्रों के दौरान शिला माता मंदिर सहित तमाम मंदिरों में इस बार भक्तों के बिना ही पुजारियों की ओर से माता की पूजा अर्चना की जाएगी.