जयपुर. द कश्मीर फाइल्स फिल्म के बाद अब BBC की डॉक्यूमेंट्री ने नए विवाद को जन्म दिया है. अनिल एंटोनी के इस्तीफे के बाद राजनीति तेज हो गई है. एंटनी ने इस्तीफे से पहले केन्द्रीय नेतृत्व पर सवाल खड़े करते हुए पोस्ट ट्वीट की. जिसमें साइकोफैंसी और चमचों की बात थी. अब प्रश्न इसी ट्वीट को लेकर पूछे जा रहे हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा भी जयपुर पहुंची तो सवालों से बच नहीं पाईं.
'ये व्यक्तिगत राय'- अनिल एंटनी की राय को लांबा ने उनकी व्यक्तिगत राय बताया. बात को Justify करने की कोशिश की. कहा- आज प्रेस वार्ता के बाद निजी तौर पर अलका लांबा कुछ भी बोलें वो पार्टी का स्टेटमेंट नहीं हो सकता है. लाम्बा ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री को लेकर ये उनकी एक निजी राय है.
द कश्मीर फाइल्स पर भी बोलीं लांबा- लांबा ने इसके साथ ही द कश्मीर फाइल्स का जिक्र किया. कहा- कश्मीरी पंडितों पर जो फिल्म बनी उसका पूरा राजनीतिकरण हुआ. उन्होंने इन फिल्मों या दस्तावेजों की प्रामाणिकता को कटघरे में खड़ा किया. बोलीं- आज देश डॉक्यूमेंट्री या ऐसी फिल्मों का मोहताज नहीं है. उन्होंने जताया कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए उन्होंने जमीनी हकीकत देखी है.
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डॉक्यूमेंट्री बैन सही नहीं- केन्द्र सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को बैन कर रखा है. अलका लांबा इस पर भी बोलीं. सवाल किया कि आखिर इसे रोका क्यों गया. लोकतंत्र है, आजादी है तो लोगों को देख कर फैसला लेने की इजाजत दी जानी चाहिए. फिर उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा की प्रशंसा की और केन्द्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाए. कहा- केंद्र सरकार डरी हुई है. सरकार बेनकाब हो रही है. भारत जोड़ो यात्रा ने सरकार को जवाब देने के लिए मजबूर किया है लेकिन जवाब देने की बजाए यह भाजपा, संघ और मोदी सरकार तानाशाही से लोगों की जुबान बंद कर देना चाहती है. डॉक्यूमेंट्री पर बैन लोकतंत्र की हत्या है.
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