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अवैध रूप से चल रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रोकने में प्रशासन नाकाम

राजधानी में अवैध रूप से चल रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रोकने में जिम्मेदार अधिकारी नाकाम रहे हैं. जिसके बाद अब जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को नोटिस भेज रखा है जिनमें से 57 के जवाब आए हैं और इनकी जांच कराई जा रही है.

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Published : Sep 21, 2019, 9:15 PM IST

रूफटॉप रेस्टोरेंट्स, roof top resturants

जयपुर. राजधानी में अवैध रूप से चल रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रोकने में जिम्मेदार अधिकारी नाकाम रहे हैं. कार्रवाई के नाम पर जेडीए से लेकर नगर निगम तक सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को नोटिस भेज रखा है इनमें से 57 के जवाब आए हैं जिनकी जांच कराई जा रही है. वहीं निगम प्रशासन मान्यता का हवाला देकर कार्रवाई से बच रहा है.

जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को भेजा नोटिस

बता दें कि शुक्रवार सुबह नगर निगम मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर काफ्का रूफटॉप रेस्टोरेंट में आग लगी, गैस सिलेंडर तक ब्लास्ट हुआ. गनीमत रही कि वहां कोई मौजूद नहीं था. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. लोगों की सुरक्षा के नाम पर कई बार रूफटॉप रेस्टोरेंट्स पर कार्रवाई की बात उठी, संचालकों को नोटिस भी दिए गए. लेकिन संचालकों के ऊंचे रसूख के आगे अफसर चुप होकर बैठ गए.

हालांकि, स्वायत्त शासन विभाग ने 12 जनवरी 2018 को जेडीए और नगर निगम को पत्र लिखकर अवैध रूप टॉप रेस्टोरेंट्स, बार और डिस्कोथेक पर राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. लेकिन जेडीए और निगम प्रशासन की कार्रवाई महज नोटिस तक सिमट कर रह गई है. जेडीए की ओर से अब तक 68 रूफटॉप रेस्टोरेंट को नोटिस दिए गए. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई एक नाम भी सामने नहीं आता.

पढ़ें : प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा, विधानसभा मंडावा और खींवसर में 21 अक्टूबर को होगा मतदान

जेडीए प्रशासन फिलहाल रूफटॉप रेस्टोरेंट संचालकों से मिले जवाबों की जांच कराने में जुटा है और एक साथ सभी पर कार्रवाई करने की बात कह रहा है. वहीं उधर नगर निगम ने भी माना कि अब तक किसी भी रूफटॉप रेस्टोरेंट को एनओसी नहीं दी गई है. साथ ही जब तक ये रेस्टोरेंट नॉम्स पूरे नहीं करेंगे, तब तक उन्हें एनओसी नहीं दी जाएगी. डीसी फायर आभा बेनीवाल ने कहा कि सक्षम स्तर पर अनुमोदन के बाद उन पर कार्रवाई भी की जाएगी.

वहीं मेयर विष्णु लाटा ने रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को अवैध बताते हुए सीएफओ और एएफओ से जांच कराए जाने की बात तो कही. लेकिन मानवीय पहलू का हवाला देते हुए कहा कि वो किसी का व्यापार खराब नहीं करना चाहते. क्योंकि रेस्टोरेंट सीज करने से बेरोजगारी बढ़ेगी और उससे अपराध बढ़ेगा.

जयपुर. राजधानी में अवैध रूप से चल रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रोकने में जिम्मेदार अधिकारी नाकाम रहे हैं. कार्रवाई के नाम पर जेडीए से लेकर नगर निगम तक सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को नोटिस भेज रखा है इनमें से 57 के जवाब आए हैं जिनकी जांच कराई जा रही है. वहीं निगम प्रशासन मान्यता का हवाला देकर कार्रवाई से बच रहा है.

जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को भेजा नोटिस

बता दें कि शुक्रवार सुबह नगर निगम मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर काफ्का रूफटॉप रेस्टोरेंट में आग लगी, गैस सिलेंडर तक ब्लास्ट हुआ. गनीमत रही कि वहां कोई मौजूद नहीं था. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. लोगों की सुरक्षा के नाम पर कई बार रूफटॉप रेस्टोरेंट्स पर कार्रवाई की बात उठी, संचालकों को नोटिस भी दिए गए. लेकिन संचालकों के ऊंचे रसूख के आगे अफसर चुप होकर बैठ गए.

हालांकि, स्वायत्त शासन विभाग ने 12 जनवरी 2018 को जेडीए और नगर निगम को पत्र लिखकर अवैध रूप टॉप रेस्टोरेंट्स, बार और डिस्कोथेक पर राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. लेकिन जेडीए और निगम प्रशासन की कार्रवाई महज नोटिस तक सिमट कर रह गई है. जेडीए की ओर से अब तक 68 रूफटॉप रेस्टोरेंट को नोटिस दिए गए. लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई एक नाम भी सामने नहीं आता.

पढ़ें : प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा, विधानसभा मंडावा और खींवसर में 21 अक्टूबर को होगा मतदान

जेडीए प्रशासन फिलहाल रूफटॉप रेस्टोरेंट संचालकों से मिले जवाबों की जांच कराने में जुटा है और एक साथ सभी पर कार्रवाई करने की बात कह रहा है. वहीं उधर नगर निगम ने भी माना कि अब तक किसी भी रूफटॉप रेस्टोरेंट को एनओसी नहीं दी गई है. साथ ही जब तक ये रेस्टोरेंट नॉम्स पूरे नहीं करेंगे, तब तक उन्हें एनओसी नहीं दी जाएगी. डीसी फायर आभा बेनीवाल ने कहा कि सक्षम स्तर पर अनुमोदन के बाद उन पर कार्रवाई भी की जाएगी.

वहीं मेयर विष्णु लाटा ने रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को अवैध बताते हुए सीएफओ और एएफओ से जांच कराए जाने की बात तो कही. लेकिन मानवीय पहलू का हवाला देते हुए कहा कि वो किसी का व्यापार खराब नहीं करना चाहते. क्योंकि रेस्टोरेंट सीज करने से बेरोजगारी बढ़ेगी और उससे अपराध बढ़ेगा.

Intro:जयपुर - राजधानी में अवैध रूप से चल रहे रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को रोकने में जिम्मेदार नाकाम रहे हैं कार्रवाई के नाम पर जेडीए से लेकर नगर निगम तक सिर्फ खानापूर्ति हो रही है जेडीए ने 68 रेस्टोरेंट्स को नोटिस भेज रखा है इनमें से 57 के जवाब आए हैं जिनकी जांच कराई जा रही है तो वहीं निगम प्रशासन मान्यता का हवाला देकर कार्रवाई से बच रहा है।


Body:शुक्रवार सुबह नगर निगम मुख्यालय से चंद कदम की दूरी पर काफ्का रूफटॉप रेस्टोरेंट में आग लगी, गैस सिलेंडर तक ब्लास्ट हुआ। गनीमत रही कि वहां कोई मौजूद नहीं था। ऐसा पहली मर्तबा नहीं हुआ। लोगों की सुरक्षा के नाम पर कई बार रूफटॉप रेस्टोरेंट्स पर कार्रवाई की बात उठी, संचालकों को नोटिस भी दिए गए। लेकिन संचालकों के ऊंचे रसूख के आगे अफसर चुप होकर बैठ गए। हालांकि स्वायत्त शासन विभाग ने 12 जनवरी 2018 को जेडीए और नगर निगम को पत्र लिखकर अवैध रूप टॉप रेस्टोरेंट्स बार और डिस्कोथेक पर राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 194 के तहत कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। लेकिन जेडीए और निगम प्रशासन की कार्रवाई महज नोटिस तक सिमट कर रह गई है। जेडीए की ओर से अब तक 68 रूफटॉप रेस्टोरेंट को नोटिस दिए गए। लेकिन कार्रवाई के नाम पर कोई एक नाम भी सामने नहीं आता। जेडीए प्रशासन फिलहाल रूफटॉप रेस्टोरेंट संचालकों से मिले जवाबों की जांच कराने में जुटा है। और एक साथ सभी पर कार्रवाई करने की बात कह रहा है।

उधर, नगर निगम ने भी माना कि अब तक किसी भी रूफटॉप रेस्टोरेंट को एनओसी नहीं दी गई है। और जब तक ये रेस्टोरेंट नॉम्स पूरे नहीं करेंगे, तब तक उन्हें एनओसी नहीं दी जाएगी। डीसी फायर आभा बेनीवाल ने कहा कि सक्षम स्तर पर अनुमोदन के बाद उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं मेयर विष्णु लाटा ने रूफटॉप रेस्टोरेंट्स को अवैध बताते हुए सीएफओ और एएफओ से जांच कराए जाने की बात तो कही। लेकिन मानवीय पहलू का हवाला देते हुए कहा कि वो किसी का व्यापार खराब नहीं करना चाहते। क्योंकि रेस्टोरेंट सीज करने से बेरोजगारी बढ़ेगी और उससे अपराध बढ़ेगा।
बाईट - आभा बेनीवाल, डीसी फायर
बाईट - विष्णु लाटा, मेयर


Conclusion:मेयर की ओर से मानवीय पहलू तो गिना दिया गया। लेकिन शायद मेयर ये भूल गए की यदि इन अवैध रेस्टोरेंट्स पर कार्रवाई नहीं होती तो शहर में कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। मुंबई में हुई आगजनी इसका सबसे बड़ा उदाहरण भी है। लेकिन जयपुर में जिम्मेदार इससे सीख लेने को तैयार नहीं।
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