जयपुर. योजना भवन स्थित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) कार्यालय में बेसमेंट में रखी अलमारियों से बड़ी मात्रा में सोना और नकदी मिलने के मामले को लेकर एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. इस मामले में पूछताछ के लिए ईडी की 15 सदस्यों की टीम बुधवार को योजना भवन पहुंची और DoIT के कर्मचारियों से गहन पूछताछ की. बताया जा रहा है कि विभाग की खरीद प्रक्रिया में टेंडर को लेकर ईडी द्वारा कर्मचारियों से गहनता से पूछताछ की गई है.
दरअसल, पुलिस के हत्थे चढ़ा DoIT का जॉइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव टेंडर और परचेज कमेटी में भी शामिल था. जांच में सामने आया था कि टेंडर हासिल करने वाली फर्मों से कमीशन लिया जाता था. ऐसे में अब ईडी यह पता लगाने में जुटी है कि वेदप्रकाश यादव के साथ घूसखोरी और कमीशनखोरी के खेल में कौन-कौन शामिल था और इसकी कड़ियां कहां तक जुड़ी हुई हैं.
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ईडी के सूत्रों के अनुसार, आज DoIT के स्टोर से जुड़े कर्मचारियों से गहनता से पूछताछ की गई है. बताया जा रहा है कि ईडी की ओर से पहले सवाल भेजे गए थे. जिनमें से कुछ के जवाब मिले हैं और कुछ के नहीं. इसके बाद अब ईडी की 15 सदस्यीय टीम विभाग में पहुंची और पूछताछ की. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई जानकारी अभी तक ईडी की ओर से नहीं दी गई है.
वेदप्रकाश को ईडी ने 10 अगस्त को किया गिरफ्तार: योजना भवन स्थित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DoIT) में गोल्ड और कैश मिलने के मामले में ईडी ने निलंबित ज्वाइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव पर शिकंजा कसते हुए उसे 9 अगस्त को हिरासत में लिया था. पूछताछ के बाद एजेंसी ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. इस मामले में पिछले दिनों ईडी की टीम सचिवालय और योजना भवन भी पहुंची थी.
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19 मई को मिला था गोल्ड-कैश: दरअसल, जयपुर में योजना भवन स्थित DoIT के बेसमेंट में रखी अलमारियों में 19 मई को 2.31 करोड़ रुपए कैश और एक किलो सोना मिला था. पुलिस ने जॉइंट डायरेक्टर वेदप्रकाश यादव को हिरासत में लिया, तो पूछताछ में उसने कबूल किया था कि यह सोना और कैश उसका है. इसके बाद उसे एसीबी ने गिरफ्तार कर लिया था और सरकार ने उसे निलंबित भी कर दिया था.