हनुमानगढ़. कहते हैं कि दृढ़ सोच और संकल्प हो तो आप कोई भी लक्ष्य भेद सकते हैं. हनुमानगढ़ की रहने वाले शालू ने यही कर दिखाया है. बचपन से देश सेवा का सपना लिए शालू ने साल 2018 में आईटीबीपी की भर्ती के लिए आवेदन तो कर दिया था, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार की होने वजह से शालू के पास भर्ती की तैयारी के लिए जूते तक नहीं थे. लेकिन, शालू ने हिम्मत नही हारी और उसने जैसे-तैसे जी-तोड़ मेहनत शुरू कर दी.
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इसके बाद एक दिन खेल मैदान में एक्सरसाइज करने के दौरान शालू को जुडो कोच विनित बिश्नोई मिले और उन्होंने एक्सरसाइज के कुछ गुर शालू को बताए. इस तरह विनित हर दिन उसे मोटिवेट करते और भर्ती भर्ती की तैयारी करवाते. एक दिन विनित की नजर उसके जूतों पर पड़ी, जो,कि एक्सरसाइज और दौड़ के लिए बिल्कुल सही नहीं थे. इस दौरान शालू ने अपनी आर्थिक स्थिति बताई तो विनित ने निजी खर्चे से शालू को जूते दिलवाए. साथ ही आर्थिक मदद भी की.
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साल 2020 में मेडिकल का वक्त आया तो शालू की आंखों में कोई समस्या हो गई. डॉक्टर्स ने इसके इलाज काफी खर्च वाला ऑपरेशन बताया. शालू को उसका सपना एक बार फिर टूटता नजर आया. लेकिन, एक बार फिर विनित बिश्नोईमददगार बने. उन्होंने शालू की हौंसला अफजाई की और ऑपरेशन का सारा खर्चा वहन करते हुए हरियाणा के बड़े अस्पताल में शालू का सफल ऑपरेशन करवाया. इसके बाद शालू ने आईटीबीपी का मेडिकल, फिजिकल और इंटरव्यू का सामना पार करते हुए सफलता हासिल कर ली.
शालू ने फिजिकल के दौरान हुई दौड़ में सैंकड़ों अभ्यर्थियों में प्रथम स्थान हासिल किया. हनुमानगढ़ के लोग अब उसे 'उड़न परी' कहकर बुलाते हैं. शालू अपनी इस सफलता का श्रेय जुडो कोच विनित बिश्नोई और अपने भाई गजेंद्र सोनी को देती है. वहीं, कोच विनित बिश्नोई ने इस सफलता पर खुशी व्यक्त की.
सिर्फ शालू का हुआ चयन
राजस्थान में शालू ही एक ऐसी लड़की है, जिसका चयन आईटीबीपी में हुआ है. इसके चयन पर सभापति गणेशराज बंसल और पूर्व सभापति संतोष बंसल सहित शहर के गणमान्य लोगों ने शालू पर गर्व जताते हुए उसको बधाई दी और अभिनंदन किया. शालू का चयन उसके परिवार और शहर के लिए गर्व और खुशी की बात है. साथ ही अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणा और उन माता-पिता के लिए एक संदेश भी है, जो आज के युग मे भी बेटियों को बोझ समझकर उनका कोख में ही कत्ल कर देते हैं या फिर सड़कों पर मरने के लिए छोड़ देते हैं.