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हनुमानगढ़: कृषि कानून के विरोध में निकाली गई मोटरसाइकिल रैली

हनुमानगढ़ में कृषि कानून के विरोध में मोटरसाइकिल रैली निकाली गई. वहीं जिले भर में आंदोलन को बढ़ाने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी हुई. साथ ही भादरा बार संघ ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की.

protest to agricultural law in Hanumangarh, protest in Hanumangarh
कृषि कानून के विरोध में निकाली गई मोटरसाइकिल रैली
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Published : Jan 31, 2021, 10:56 PM IST

हनुमानगढ़. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर CITU की ओर से रविवार को शहर में मोटरसाइकिल रैली निकालकर विरोध जताया. रैली में सैंकड़ों की संख्या में सीटू कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. वहीं जिले भर में आंदोलन को बढ़ाने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी हुई.

केंद्र सरकार की ओर से लाये गए कृषि कानूनों का विरोध देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है. दिल्ली बॉर्डर पर किसान पिछले 65 दिन से डेरा जमाए हुए हैं. वहीं दिल्ली आंदोलन के समर्थन में हनुमानगढ़ जिले में भी विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता और किसान जगह-जगह धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं.

भादरा क्षेत्र में किसानों के समर्थन में अब वकील भी उतर आए हैं. भादरा बार संघ ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए किसानों के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.

पढ़ें- हनुमानगढ़ में माकपा ने निकाली पैदल मार्च...कृषि कानूनों वापस लेने की मांग

पीलीबंगा में सयुंक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर किसानों ने SDM कार्यलय के समक्ष धरना दिया और तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. हालांकि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने अपने कदम पीछे खींचते हुए घर वापसी कर ली है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आंदोलनकारियों को पिछले प्रस्ताव पर बातचीत के लिए निमंत्रण भी दिया है. वहीं आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने रविवार को मीडिया में बयान दिया है कि शीघ्र टेबल टॉक होगी. हलांकि इससे पूर्व 11 दौरे की किसान नेताओं और सरकार के नुमाइंदों के बीच असफल बातचीत हो चुकी है.

हनुमानगढ़. कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर CITU की ओर से रविवार को शहर में मोटरसाइकिल रैली निकालकर विरोध जताया. रैली में सैंकड़ों की संख्या में सीटू कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. वहीं जिले भर में आंदोलन को बढ़ाने की रणनीति बनाने के लिए बैठक भी हुई.

केंद्र सरकार की ओर से लाये गए कृषि कानूनों का विरोध देश के अलग-अलग हिस्सों में हो रहा है. दिल्ली बॉर्डर पर किसान पिछले 65 दिन से डेरा जमाए हुए हैं. वहीं दिल्ली आंदोलन के समर्थन में हनुमानगढ़ जिले में भी विपक्षी पार्टियों के कार्यकर्ता और किसान जगह-जगह धरने-प्रदर्शन कर रहे हैं.

भादरा क्षेत्र में किसानों के समर्थन में अब वकील भी उतर आए हैं. भादरा बार संघ ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए किसानों के परिजनों को 50-50 लाख का मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की.

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पीलीबंगा में सयुंक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर किसानों ने SDM कार्यलय के समक्ष धरना दिया और तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. हालांकि 26 जनवरी को लाल किले पर हुई घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने अपने कदम पीछे खींचते हुए घर वापसी कर ली है.

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में आंदोलनकारियों को पिछले प्रस्ताव पर बातचीत के लिए निमंत्रण भी दिया है. वहीं आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने रविवार को मीडिया में बयान दिया है कि शीघ्र टेबल टॉक होगी. हलांकि इससे पूर्व 11 दौरे की किसान नेताओं और सरकार के नुमाइंदों के बीच असफल बातचीत हो चुकी है.

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