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हनुमानगढ़ : किसान आत्महत्या मामले ने पकड़ा तूल, जिला कलेक्ट्रेट में कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किया प्रदर्शन - farmer suicide

ऋण रिकवरी के लिए परेशान किए जाने से रावतसर के किसान ने की आत्महत्या. कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किया जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन.

प्रदर्शन करते कार्यकर्ता
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Published : May 22, 2019, 5:28 PM IST

हनुमानगढ़. जिला कलेक्ट्रेट में किसान द्वारा पेड़ पर फंदे से लटक कर आत्महत्या करने के मामले में आज किसान और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया.उन्होंने कहा कि जो सरकार ने वादा किया था कर्ज माफी का वह पूरा नहीं किया गया. जिसके चलते किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. गौरतलब है कि मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट में रावतसर के किसान सुरजाराम ने पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

किसान आत्महत्या के मामले में प्रदर्शन

जिसके बाद मृतक के परिजनों ने जंक्शन थाने में मामला दर्ज करवाया है कि मृतक सुरजाराम ने एचडीएफसी बैंक से 7 लाख 50 हजार का ऋण लिया हुआ था. ऋण की रिकवरी के लिए बैंक द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था. जिससे तंग आकर मृतक ने जिला कलेक्ट्रेट के पार्क में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं इस मामले को लेकर भादरा के विधायक बलवान पूनिया के नेतृत्व में कामरेड कार्यकर्ताओं किसानों ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि बैंक रिकवरी का जो सिस्टम है उसे बदला जाना चाहिए.

सरकार उन्हें लिखित में दे कि जो बैंकों का रिकवरी का सिस्टम है उसे बदला जाएगा. बैंक अधिकारी तहसीलदार या अन्य किसी कलेक्ट्रेट के अधिकारी को लेकर जाए ना कि पुलिस को लेकर जाया जाए. पुलिस से किसानों पर दबाव पड़ता है मानसिक तौर में परेशान होते हैं और आत्महत्या का कारण बनते हैं. अगर सिस्टम बदला नहीं गया तो वे अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.

हनुमानगढ़. जिला कलेक्ट्रेट में किसान द्वारा पेड़ पर फंदे से लटक कर आत्महत्या करने के मामले में आज किसान और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन किया.उन्होंने कहा कि जो सरकार ने वादा किया था कर्ज माफी का वह पूरा नहीं किया गया. जिसके चलते किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं. गौरतलब है कि मंगलवार को जिला कलेक्ट्रेट में रावतसर के किसान सुरजाराम ने पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी.

किसान आत्महत्या के मामले में प्रदर्शन

जिसके बाद मृतक के परिजनों ने जंक्शन थाने में मामला दर्ज करवाया है कि मृतक सुरजाराम ने एचडीएफसी बैंक से 7 लाख 50 हजार का ऋण लिया हुआ था. ऋण की रिकवरी के लिए बैंक द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था. जिससे तंग आकर मृतक ने जिला कलेक्ट्रेट के पार्क में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली. वहीं इस मामले को लेकर भादरा के विधायक बलवान पूनिया के नेतृत्व में कामरेड कार्यकर्ताओं किसानों ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि बैंक रिकवरी का जो सिस्टम है उसे बदला जाना चाहिए.

सरकार उन्हें लिखित में दे कि जो बैंकों का रिकवरी का सिस्टम है उसे बदला जाएगा. बैंक अधिकारी तहसीलदार या अन्य किसी कलेक्ट्रेट के अधिकारी को लेकर जाए ना कि पुलिस को लेकर जाया जाए. पुलिस से किसानों पर दबाव पड़ता है मानसिक तौर में परेशान होते हैं और आत्महत्या का कारण बनते हैं. अगर सिस्टम बदला नहीं गया तो वे अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.

Intro:हनुमानगढ़ के जिला कलेक्ट्रेट में किसान द्वारा पेड़ पर फंदे से लटक कर आत्महत्या करने के मामले में आज किसान और कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला कलेक्ट्रेट पहुंचकर हल्ला बोल दिया उन्होंने कहा कि जो सरकार ने वादा किया था कर्ज माफी का वह पूरा नहीं किया गया जिसके चलते किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं


Body:गौरतलब है कि कल जिला कलेक्ट्रेट में रावतसर के किसान ने पेड़ पर फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद मृतक के परिजनों ने जंक्शन थाने में मामला दर्ज करवाया है कि मृतक सुरजाराम ने एचडीएफसी बैंक से 7 लाख 50 हजार का ऋण लिया हुआ था ऋण की रिकवरी के लिए बैंक द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा था जिस से तंग आकर मृतक ने जिला कलेक्ट्रेट के पार्क में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली वहीं इस मामले को लेकर भादरा के विधायक बलवान पूनिया के नैतृत्व में कामरेड कार्यकर्तओं ओर किसानों ने हल्ला बोल दिया उन्होंने ने मांग की के बैंक रिकवरी का जो सिस्टम है उसे बदला जाना चाहिए और सरकार ने जो कर्ज माफी की बात कही थी उसे पूरा किया जाना चाहिए नही तो वे अब आंदोलन करेंगे one 2 one with Balwan pooniya


Conclusion:विधायक बलवान पूनिया ने ज्ञापन देते हुए कहा है कि सरकार उन्हें लिखित में दी की जो बैंकों का रिकवरी का सिस्टम है उसे बदला जाएगा बैंक अधिकारी तहसीलदार या अन्य किसी कलेक्ट्रेट के अधिकारी को लेकर जाए ना कि पुलिस को लेकर जाए पुलिस से किसानों पर दबाव पड़ता है मानसिक तौर में परेशान होते हैं और आत्महत्या का कारण बनते हैं अगर सिस्टम बदला नहीं गया तो वे अब सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे
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