हनुमानगढ़. खेतों में पराली जलाने पर राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में 9 किसानों पर पर्यावरण को क्षति पहुंचाने के मामले में एक लाख रूपए का जुर्माना वसूला है. हनुमानगढ़ प्रथम ऐसा जिला है, जहां पराली जलाने पर जुर्माना किसानो से जुर्माना वसूला गया है. हनुमागढ़ डीएम जाकिर हुसैन द्वारा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड के निर्देश पर हनुमानगढ़ तहसील के कुल 9 किसानों पर पराली जलाने पर जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की है. 9 में से 6 किसान ऐसे हैं, जिनके पास 5 एकड़ से ज्यादा जमीन होने पर 15 हजार का और 2 किसानों पर 2 एकड़ से कम जमीन होने पर ढाई-ढाई हजार और एक किसान पर 2 से 5 एकड़ के बीच जमीन होने पर पांच हजार का जुर्माना लगाया है.
इसी के साथ अधिकारियों ने ये जुर्माना राशी 7 दिन के भीतर राज कोष में जमा करवाने के निर्देश दिए गए हैं. सात दिन में जुर्माना राशि जमा नहीं कराने पर किसानों से जुर्माने पर जुर्माना वसूल भी किया जाएगा. जिले में पिछले साल 560 जगहों पर पराली जलाई गई थी, जिसका सैटेलाइट के जरिए पता लगाया गया. इस बार भी सैटेलाइट के जरिए जिले में पराली जलाने की घटनाओं पर निगरानी की जा रही है. साथ ही अधिकारियों को भी सख्त निर्देश दिए गए हैं कि, अगर कहीं भी पराली जलाने की घटनाएं होती हैं, तो संबंधित ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है.
जिले के सभी सभी एसडीएम अधिकारियों को भी जिला कलेक्टर ने निर्देश देते हुए कहा है कि वे अपनी तहसील में पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाते हुए पराली जलाने वाले खेत के मालिकों पर जुर्माना लगाएं. वहीं हनुमानगढ़ एसडीएम कपिल कुमार यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि 9 किसानों पर तो जुर्माना लगाया ही गया है. ये कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी.
खास बात ये है कि पराली जलाने के समाधान के लिए प्रशासन और कृषि विभाग द्वारा प्रयास करते हुए. जिले में 7 सुपर सीड इसे हैप्पी सीड के नाम से भी जाना जाता है, जिसको क्षेत्र के किसानों के लिए मंगवाई गई है, जो पराली को जड़ो तक तो काटती ही है. साथ ही जमीन को उर्वरक भी बनाती है. अन्य कई फायदे भी है, इन मशीनों के जिले में कुल 7 सुपर सीडर मशीनें, 80 प्रतिशत अनुदान से प्रस्तावित हुई है, जिसमें 5 मशीनें वितरित कर दी गई है. बाकी की जैसे-जैसे मांग होगी. वैसे-वैसे मशीनें किसानों को उपलब्ध करवाई जाएगी.
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वहीं किसानों में मशीनों के उपयोग सबंधी जागरूकता लाने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में संगोष्ठियों का आयोजन कर मशीनों का डेमो दिया जा रहा है. साथ ही विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र उपकरण जैसे हैप्पीसीडर के अलावा रोटावेटर, बैलर, चौपर, स्ट्रारीपर एवं मल्चर इत्यादि 75 से 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाए जा रहे हैं.
हलांकि इन मामले में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी हस्तक्षेप कर चुकी है क्योकि पर्यावरण के साथ-साथ साथ ही आमजन को भी सांस लेने में तकलीफ होती है. कोरोना महामारी के दौरान तो ये तकलीफ और बढ़ जाती है. किसान अगली फसल की बुवाई की जल्दी में चावल की खेती के तुरंत बाद पराली को खेत में ही जला देते है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है. चारों और धुएं की परत जमा जाती है और सांस के रोगियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता ह, जिसके चलते कारोना काल मे पराली जलाने पर ओर सख्ती की गई है.
हर सीजन में धान की कितनी बुवाई और जलाई
जिले में धान बुवाई की बात करे तो 35 हजार हैक्टर धान की बुवाई होती है. 20 से 22 लाख क्विंटल पराली का उत्पादन होता है. ऐसे में पराली जलाने के बाद प्रदूषण की बड़ी समस्या होती है. अब देखने वाली बात होगी की. सख्ती और सकरात्मक प्रयासों के बाद धरातल पर ये प्रयास कितने सफल होते हैं. हालांकि 3 कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली धरने पर बैठे किसान, कानून वापिसी सहित पराली जलाने के मामले में जुर्माना खत्म करने की मांग भी कर रहे हैं.