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हनुमानगढ़ः रोडवेज कार्यालय में 3 दिन से जारी आमरण अनशन समाप्त, कर्मचारियों की सभी मांगों पर रजामंदी

हनुमानगढ़ रोडवेज कार्यालय में पिछले 3 दिनों से चल रहा आमरण अनशन अब खत्म हो गया है. बता दें कि रोडवेज कार्यालय परिसर में कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत थे, महज 3 दिनों के अनशन के बाद रोडवेज प्रशासन को झुकना पड़ा और कर्मचारियों की सभी 9 मांगे मानी ली गई है.

हनुमानगढ़ न्यूज, hanumangarh news
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Published : Sep 14, 2019, 9:26 PM IST

हनुमानगढ़. जिले में भारतीय जनता मजदूर महासंघ की ओर से 3 दिनों से चल रहा आमरण अनशन प्रशासन के साथ वार्तालाप के बाद मुख्य प्रबंधक द्वारा जूस पिलाकर तुड़वाया गया. आमरण अनशन के बाद वार्ता में सीनियरिटी पूर्ण रुप से लागू करने तथा मेडिकल कर्मचारियों का जो प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो गई है, उन्हें भी रोड पर चलाने के आदेश दिए गए.

रोडवेज कर्मचारियों की आमरण अनशन समाप्त

कर्मचारियों का कहना है कि उनकी एकता की जीत हुई है. जो मांगे पिछले लंबे समय से नहीं मानी जा रही थी अब आमरण अनशन के बाद उन्हें मजबूरी में उन्हें मांगे माननी पड़ी. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आंदोलन पसंद है इसके बाद ही सरकार की आंखें खुलती है, और जो समस्याएं हैं उनका हल किया जाता है.

पढ़ें: पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष बना भाजपा ने खेला 'जाट कार्ड', बिगाड़े कांग्रेस के जातीय समीकरण

वहीं रोडवेज के मुख्य प्रबंधक बसन्त पंवार ने कहा कि कर्मचारी जो मांगे लेकर धरने पर बैठे थे उन सभी 9 मांगों को मान लिया गया है. लंबे समय से जो मांगे लंबित पड़ी थी उन्हें भी मान लिया गया है. बता दें कि पिछले 3 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे कर्मचारियों के आगे रोडवेज प्रशासन को झुकना पड़ा और उनकी सभी मांगों का स्वीकार करना पड़ा है.

हनुमानगढ़. जिले में भारतीय जनता मजदूर महासंघ की ओर से 3 दिनों से चल रहा आमरण अनशन प्रशासन के साथ वार्तालाप के बाद मुख्य प्रबंधक द्वारा जूस पिलाकर तुड़वाया गया. आमरण अनशन के बाद वार्ता में सीनियरिटी पूर्ण रुप से लागू करने तथा मेडिकल कर्मचारियों का जो प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो गई है, उन्हें भी रोड पर चलाने के आदेश दिए गए.

रोडवेज कर्मचारियों की आमरण अनशन समाप्त

कर्मचारियों का कहना है कि उनकी एकता की जीत हुई है. जो मांगे पिछले लंबे समय से नहीं मानी जा रही थी अब आमरण अनशन के बाद उन्हें मजबूरी में उन्हें मांगे माननी पड़ी. कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आंदोलन पसंद है इसके बाद ही सरकार की आंखें खुलती है, और जो समस्याएं हैं उनका हल किया जाता है.

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वहीं रोडवेज के मुख्य प्रबंधक बसन्त पंवार ने कहा कि कर्मचारी जो मांगे लेकर धरने पर बैठे थे उन सभी 9 मांगों को मान लिया गया है. लंबे समय से जो मांगे लंबित पड़ी थी उन्हें भी मान लिया गया है. बता दें कि पिछले 3 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे कर्मचारियों के आगे रोडवेज प्रशासन को झुकना पड़ा और उनकी सभी मांगों का स्वीकार करना पड़ा है.

Intro:हनुमानगढ़ रोडवेज कार्यालय में पिछले 3 दिनों से चल रहा आमरण अनशन मांगे माने जाने के बाद तुड़वा दिया गया गौरतलब है कि रोडवेज कार्यालय परिसर में कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत थे इसी कड़ी में आमरण अनशन शुरू किया गया और महज 3 दिनों के अनशन के बाद प्रशासन को झुकना पड़ा और कर्मचारियों की सभी 9 मांगे मानी गईBody:भारतीय जनता मजदूर महासंघ की ओर से 3 दिनों से चल रहा आमरण अनशन प्रशासन के साथ वार्तालाप के बाद मुख्य प्रबंधक द्वारा जूस पिलाकर आमरण अनशन तुड़वाया गया आमरण अनशन के बाद वार्ता में सीनियरिटी पूर्ण रुप से लागू करने तथा मेडिकल कर्मचारियों का जो प्रमाण पत्र की अवधि समाप्त हो गई है उन्हें भी रोड पर चलाने के आदेश दिए गए कर्मचारियों का कहना है कि उनकी एकता की जीत हुई है जो मांगे पिछले लंबे समय से नहीं मानी जा रही थी अब आमरण अनशन के बाद उन्हें मजबूरी में उन्हें मांगे मानी जानी पड़ी इससे साबित होता है कि सरकार को कोई ना कोई आंदोलन पसंद है जिसके बाद सरकार की आंखें खुलती है और जो समस्याएं हैं उनको हल किए जाते हैं
बाईट दुलीचंद कस्वां,कर्मचारी
वही रोडवेज के मुख्य प्रबंधक वसंत पवार ने कहा कि कर्मचारी जो मांगे लेकर धरने पर बैठे थे उन सभी 9 मांगों को मान लिया गया है और लंबे समय से जो इनकी मांगे लंबित पड़ी थी उन्हें भी मान लिया गया है और उनका आमरण अनशन जूस पिलाकर तुड़वाया गया है
बाईट: बसन्त पंवार, मुख्य प्रबंधक, रोडवेजConclusion:पिछले 3 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे कर्मचारियों के आगे रोडवेज के प्रशासन को झुकना पड़ा यहां हम यह कह सकते हैं कि अगर बिना अनशन के बिना आंदोलन के मांगे मान ली जाती तो प्रशासन और सरकार का क्या बिगड़ जाता शायद सरकार और प्रशासन को आंदोलन के बाद ही मांगे मानने की कोई जिद है
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