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हनुमानगढ़ : भटनेर अश्वमेला का हुआ समापन, सलमान खान के स्टड फार्म से सबन्धित घोड़ा रहा आकर्षण का केंद्र - Marwari horse breed best

मेले में अश्वों की खरीद फरोख्त के अलावा अश्वों की विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं का भी आयोजन हुआ. घोड़े का डांस देख कर लोग खासा प्रभावित हुए. मारवाड़ी घोड़े के नृत्य ने हर किसी का मन मोहा तो काठियावाड़ी घोड़ा भी आकर्षण का केंद्र बना.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
मेले में अश्वों की खरीद फरोख्त
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Published : Feb 21, 2021, 7:44 PM IST

हनुमानगढ़. हनुमानगढ़ जंक्शन के अबोहर बाई पास पर अश्व मेले का आज समापन हो गया. मेले में घोड़ों के नृत्य ने हर किसी का मन मोह लिया. कई ऐसे घोड़े भी इस मेले में पहुंचे जिनकी कीमत किसी लग्जरी कार से कम नहीं थी.

भटनेर अश्व मेला का समापन हुआ

यहां मेले में मारवाड़ी चेतक घोड़ा भी पहुंचा जिसकी कीमत 70 से 80 लाख तक बताई जा रही है. राजस्थान के मारवाड़ी नस्ल के घोड़े तो अपने दामों के लिए हमेशा से चर्चा में रहते हैं. इनकी कद काठी और स्टेमिना अन्य घोड़ों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है. इसलिए देश विदेश में इस नस्ल के घोड़े हमेशा डिमांड में रहते हैं.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
सलमान के स्टड फार्म से जुड़ा घोड़ा आकर्षण का केंद्र

मेले में अश्वों की खरीद फरोख्त के अलावा अश्वों की विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं का भी आयोजन हुआ. घोड़े का डांस देख कर लोग खासा प्रभावित हुए. मारवाड़ी घोड़े के नृत्य हर किसी का मन मोहा तो काठियावाड़ी घोड़ा भी आकर्षण का केंद्र बना.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
कई प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन

समारोह के आखिरी दिन अश्व प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया. इस मेले में घोड़े के अलावा पशु प्रेमी अपने पालतू जानवरों की प्रदर्शनी भाी करते हैं. ऐसे में इस मेले में कई नस्ल के कुत्ते भी देखने को मिलते हैं. मेले में इनकी ब्रीडिंग और खरीद फरोख्त भी होती है. मेला फरवरी में इस वजह लगाया जाता है कि ब्रीडिंग के लिए फरवरी-मार्च माह उत्तम होता है.

राज घोड़े का पिता सलमान खान के पास

मेले में आए राज घोड़े की अलग ही शान है. इस काले रंग के घोडे का पिता सलमान खान के पास है. मारवाड़ी राज घोड़े के कुनबे का पिता फ़िल्म एक्टर सलमान खान के रॉयल्टी स्टड फार्म मुंबई में है. काले रंग के घोड़े चेतक के मालिक बताते हैं कि चेतक के पिता बुलंद घोड़ा 2013 में 30 लाख का बिका था. लेकिन उन्होंने अब चेतक को बेचना नहीं है. वैसे इसकी कीमत करीब 80 लाख लग चुकी है. चेतक की ऊंचाई-लंबाई 66 प्लस है.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
मेले में अश्वों ने दिखाए करतब

मेले में कुछ व्यवसायिक मंशा से तो कुछ इस मेले का लुत्फ़ उठाने पहुंचे हैं. हालांकि अब घोड़ों का प्रचलन कम हो चुका है. अच्छी और ऊँची नस्लों के घोड़ों को इस मेले में देख मेला देखने आने वाले अश्व प्रेमी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि यहां कई तो ऐसे घोड़े हैं जो कारों से भी मंहगे और अच्छे हैं. इनके करतब और सुंदरता देखते ही बनती है.

जिला अश्व पालक समिति की ओर से भटनेर अश्व मेले का आयोजन लगातार 15 साल से हो रहा है. मेले में प्रमुख रूप से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पूरे राजस्थान से अश्व पालक खरीद फरोख्त के लिए आये हुए हैं. 7 दिन चलने वाले इस मेले में 3 से 4 करोड़ रुपए की अश्वों की खरीद फरोख्त होती है.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
भटनेर अश्वमेला का हुआ समापन

वहीं आयोजकों और अश्व पलकों का कहना है कि मेले में देश-विदेश से सैलानी और देश भर से सैंकड़ों व्यापारी आते थे. लेकिन कोरोना की वजह से थोड़ा मेले पर असर पड़ा है. इस बार विदेशी भी नही पहुंचे. जबकि उत्तर भारत का ये सबसे बड़ा मेला है.

हनुमानगढ़. हनुमानगढ़ जंक्शन के अबोहर बाई पास पर अश्व मेले का आज समापन हो गया. मेले में घोड़ों के नृत्य ने हर किसी का मन मोह लिया. कई ऐसे घोड़े भी इस मेले में पहुंचे जिनकी कीमत किसी लग्जरी कार से कम नहीं थी.

भटनेर अश्व मेला का समापन हुआ

यहां मेले में मारवाड़ी चेतक घोड़ा भी पहुंचा जिसकी कीमत 70 से 80 लाख तक बताई जा रही है. राजस्थान के मारवाड़ी नस्ल के घोड़े तो अपने दामों के लिए हमेशा से चर्चा में रहते हैं. इनकी कद काठी और स्टेमिना अन्य घोड़ों के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है. इसलिए देश विदेश में इस नस्ल के घोड़े हमेशा डिमांड में रहते हैं.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
सलमान के स्टड फार्म से जुड़ा घोड़ा आकर्षण का केंद्र

मेले में अश्वों की खरीद फरोख्त के अलावा अश्वों की विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं का भी आयोजन हुआ. घोड़े का डांस देख कर लोग खासा प्रभावित हुए. मारवाड़ी घोड़े के नृत्य हर किसी का मन मोहा तो काठियावाड़ी घोड़ा भी आकर्षण का केंद्र बना.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
कई प्रतियोगिताओं का हुआ आयोजन

समारोह के आखिरी दिन अश्व प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया. इस मेले में घोड़े के अलावा पशु प्रेमी अपने पालतू जानवरों की प्रदर्शनी भाी करते हैं. ऐसे में इस मेले में कई नस्ल के कुत्ते भी देखने को मिलते हैं. मेले में इनकी ब्रीडिंग और खरीद फरोख्त भी होती है. मेला फरवरी में इस वजह लगाया जाता है कि ब्रीडिंग के लिए फरवरी-मार्च माह उत्तम होता है.

राज घोड़े का पिता सलमान खान के पास

मेले में आए राज घोड़े की अलग ही शान है. इस काले रंग के घोडे का पिता सलमान खान के पास है. मारवाड़ी राज घोड़े के कुनबे का पिता फ़िल्म एक्टर सलमान खान के रॉयल्टी स्टड फार्म मुंबई में है. काले रंग के घोड़े चेतक के मालिक बताते हैं कि चेतक के पिता बुलंद घोड़ा 2013 में 30 लाख का बिका था. लेकिन उन्होंने अब चेतक को बेचना नहीं है. वैसे इसकी कीमत करीब 80 लाख लग चुकी है. चेतक की ऊंचाई-लंबाई 66 प्लस है.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
मेले में अश्वों ने दिखाए करतब

मेले में कुछ व्यवसायिक मंशा से तो कुछ इस मेले का लुत्फ़ उठाने पहुंचे हैं. हालांकि अब घोड़ों का प्रचलन कम हो चुका है. अच्छी और ऊँची नस्लों के घोड़ों को इस मेले में देख मेला देखने आने वाले अश्व प्रेमी काफी खुश हैं. उनका कहना है कि यहां कई तो ऐसे घोड़े हैं जो कारों से भी मंहगे और अच्छे हैं. इनके करतब और सुंदरता देखते ही बनती है.

जिला अश्व पालक समिति की ओर से भटनेर अश्व मेले का आयोजन लगातार 15 साल से हो रहा है. मेले में प्रमुख रूप से हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पूरे राजस्थान से अश्व पालक खरीद फरोख्त के लिए आये हुए हैं. 7 दिन चलने वाले इस मेले में 3 से 4 करोड़ रुपए की अश्वों की खरीद फरोख्त होती है.

Hanumangarh Ashwa Mela, Bhatner's horse fair in Hanumangarh, Salman khan's horse in ashwa fair
भटनेर अश्वमेला का हुआ समापन

वहीं आयोजकों और अश्व पलकों का कहना है कि मेले में देश-विदेश से सैलानी और देश भर से सैंकड़ों व्यापारी आते थे. लेकिन कोरोना की वजह से थोड़ा मेले पर असर पड़ा है. इस बार विदेशी भी नही पहुंचे. जबकि उत्तर भारत का ये सबसे बड़ा मेला है.

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