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Etv भारत का मिला साथ तो बहरूपिए पिता की बंधी आस, दिव्यांग बेटी के इलाज के लिए पिता ने प्रशासन व सरकार से लगाई गुहार - बहरूपिया पिता की गुहार

हनुमानगढ़ का पेशे से बहरूपिया पिता (Behrupiya Father) दिव्यांग बेटी के इलाज के लिए वर्षों से भटक रहा है. अब उस पिता ने "Etv भारत" पर विश्वास जताते हुए इस मंच से प्रशासन व सरकार से गुहार लगाई है.

Bhadu and his world
भादू और उसकी दुनिया
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Published : Aug 6, 2021, 12:35 PM IST

Updated : Aug 6, 2021, 2:30 PM IST

हनुमानगढ़। जिले के सुरेशिया इलाके के रहवासी भादू को सब जानते हैं. वो एक उम्दा कलाकार तो हैं ही इसके साथ ही वो एक बहुत काबिल पिता भी हैं. ऐसा पिता जो अपनी किरण की जिंदगी में उजाला भरना चाहता है. किरण उसकी 7 साल की बच्ची, जो पिछले 2 साल से दिव्यांग होने का दंश झेल रही है. इन दिनों भादू बहरूपिए का एक ही लक्ष्य है वो ये कि कुछ भी करके बिटिया की जिंदगी संवार दे. भादू सुबह सड़कों पर निकलता है, लोगो का मनोरंजन करता है ताकि बेटी के इलाज के लिए पाई-पाई जुटा सके. कड़ी धूप या हाड़ कंपाती सर्दी भी भादू का हौसला नही तोड़ पाई, क्योंकि लक्ष्य बस यही की हर हाल में बेटी का इलाज करवाना है. उसको उसके पैरों पर खड़ा करना है.

बहरूपिया भादू

चूंकि किरण के अलावा भी उसकी जिम्मेदारियां हैं, परिवार है सो भादू लोगो का मनोरंजन करने के साथ ही दिहाड़ी मजदूरी भी करता है. घर में पत्नी और तीन बच्चे हैं. मेहनतकश भादू की खासियत उसकी मुस्कुराहट है. हमेशा हर वक्त हर बात का जवाब वो हंस कर ही देता है. हालांकि, भादू बेटी का उपचार करवाने के लिए कई डॉक्टरों व अस्पतालों के चक्कर काट चुका है. डॉक्टरों ने इलाज के लिये भारी-भरकम राशि बताई है. जिसे जमा कर पाना उसके बूते की बात नहीं.

Kiran Joins her father
मासूम सी किरण भी देती है साथ

लोग बच्ची को साथ देखकर खाने-पीने की वस्तुएं तो दे देते है लेकिन 5-5 घण्टे सड़कों पर लोगो का मनोरंजन कर भादू मात्र 25 से 30 रुपये बड़ी मुश्किल से एकत्रित कर पाता है. अब भादू ने "Etv भारत" के जरिये, प्रशासन व सरकार से बेटी के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि किरण जब 5 वर्ष की थी तब अचानक से उसे बुखार हुआ. बुखार के दौरान ही पैरों से लाचार हो गई. आमदनी ज्यादा नहीं है फिर भी वो बेटी के इलाज के लिए अपना प्रयास जारी रखे है.

Meagre earning is not enough
कलाबाजी से होती है छोटी सी कमाई


मिसाल है भादू: एक तरफ जहां हम आये दिन देखते है कि बेटियों को बोझ या पाप समझ उन्हें मरने के लिए सड़कों पर फेंक दिया जाता है. वहीं ये पिता उन लोगों के लिए प्रेरणा और मिसाल है. सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों तक ETV ने जब भादू के जज्बात पहुंचाए तो उन्होंने भी उसकी हर संभव मदद का आश्वासन दिया. सामाजिक कार्यकर्ता विनित बिश्नोई भादू के जज्बे की सराहना करते हैं. कहते हैं कि भादू उन लोगो के लिए सबक व प्रेरणा है जो लोग थोड़ी सी मुसीबतों से घबराकर हार मान लेते हैं या फिर गलत राह अपना लेते हैं.

A joker with lot of pain
कहता है जोकर सारा जमाना
क्या है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना: इलाज के अभाव में कोई अकाल मौत न मरे इसी सोच के साथ सरकारों द्वारा आम आदमी के लिए कई स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जाती हैं. हनुमानगढ़ चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी नवनीत शर्मा से बात की तो उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. बताया कि सरकार ने ऐसे लोगो के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना चला रखी है. जिसके तहत कुछ शर्तों के साथ बच्ची का इलाज बिल्कुल निःशुल्क हो सकता है. अगर बच्चा 6 साल से कम उम्र का है तो उसका रजिस्ट्रेशन आंगनबाड़ी केंद्र में होना चाहिए और अगर उसकी उम्र 6 साल से अधिक की है तो स्कूल में एडमिशन होना चाहिए. जिसके बाद सर्वे व रेफरल कार्ड बनाकर उसको इलाज के लिए हायर सेंटर भेज दिया जाता है. नवनीत शर्मा ने ईटीवी को भरोसा दिलाया कि वो शीघ्र बच्ची किरण के परिजनों से मिलकर बच्ची के इलाज की प्रक्रिया शुरू करवाएंगे.

हनुमानगढ़। जिले के सुरेशिया इलाके के रहवासी भादू को सब जानते हैं. वो एक उम्दा कलाकार तो हैं ही इसके साथ ही वो एक बहुत काबिल पिता भी हैं. ऐसा पिता जो अपनी किरण की जिंदगी में उजाला भरना चाहता है. किरण उसकी 7 साल की बच्ची, जो पिछले 2 साल से दिव्यांग होने का दंश झेल रही है. इन दिनों भादू बहरूपिए का एक ही लक्ष्य है वो ये कि कुछ भी करके बिटिया की जिंदगी संवार दे. भादू सुबह सड़कों पर निकलता है, लोगो का मनोरंजन करता है ताकि बेटी के इलाज के लिए पाई-पाई जुटा सके. कड़ी धूप या हाड़ कंपाती सर्दी भी भादू का हौसला नही तोड़ पाई, क्योंकि लक्ष्य बस यही की हर हाल में बेटी का इलाज करवाना है. उसको उसके पैरों पर खड़ा करना है.

बहरूपिया भादू

चूंकि किरण के अलावा भी उसकी जिम्मेदारियां हैं, परिवार है सो भादू लोगो का मनोरंजन करने के साथ ही दिहाड़ी मजदूरी भी करता है. घर में पत्नी और तीन बच्चे हैं. मेहनतकश भादू की खासियत उसकी मुस्कुराहट है. हमेशा हर वक्त हर बात का जवाब वो हंस कर ही देता है. हालांकि, भादू बेटी का उपचार करवाने के लिए कई डॉक्टरों व अस्पतालों के चक्कर काट चुका है. डॉक्टरों ने इलाज के लिये भारी-भरकम राशि बताई है. जिसे जमा कर पाना उसके बूते की बात नहीं.

Kiran Joins her father
मासूम सी किरण भी देती है साथ

लोग बच्ची को साथ देखकर खाने-पीने की वस्तुएं तो दे देते है लेकिन 5-5 घण्टे सड़कों पर लोगो का मनोरंजन कर भादू मात्र 25 से 30 रुपये बड़ी मुश्किल से एकत्रित कर पाता है. अब भादू ने "Etv भारत" के जरिये, प्रशासन व सरकार से बेटी के इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है. उसका कहना है कि किरण जब 5 वर्ष की थी तब अचानक से उसे बुखार हुआ. बुखार के दौरान ही पैरों से लाचार हो गई. आमदनी ज्यादा नहीं है फिर भी वो बेटी के इलाज के लिए अपना प्रयास जारी रखे है.

Meagre earning is not enough
कलाबाजी से होती है छोटी सी कमाई


मिसाल है भादू: एक तरफ जहां हम आये दिन देखते है कि बेटियों को बोझ या पाप समझ उन्हें मरने के लिए सड़कों पर फेंक दिया जाता है. वहीं ये पिता उन लोगों के लिए प्रेरणा और मिसाल है. सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों तक ETV ने जब भादू के जज्बात पहुंचाए तो उन्होंने भी उसकी हर संभव मदद का आश्वासन दिया. सामाजिक कार्यकर्ता विनित बिश्नोई भादू के जज्बे की सराहना करते हैं. कहते हैं कि भादू उन लोगो के लिए सबक व प्रेरणा है जो लोग थोड़ी सी मुसीबतों से घबराकर हार मान लेते हैं या फिर गलत राह अपना लेते हैं.

A joker with lot of pain
कहता है जोकर सारा जमाना
क्या है राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना: इलाज के अभाव में कोई अकाल मौत न मरे इसी सोच के साथ सरकारों द्वारा आम आदमी के लिए कई स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जाती हैं. हनुमानगढ़ चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी नवनीत शर्मा से बात की तो उन्होंने इस बारे में विस्तार से जानकारी दी. बताया कि सरकार ने ऐसे लोगो के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम योजना चला रखी है. जिसके तहत कुछ शर्तों के साथ बच्ची का इलाज बिल्कुल निःशुल्क हो सकता है. अगर बच्चा 6 साल से कम उम्र का है तो उसका रजिस्ट्रेशन आंगनबाड़ी केंद्र में होना चाहिए और अगर उसकी उम्र 6 साल से अधिक की है तो स्कूल में एडमिशन होना चाहिए. जिसके बाद सर्वे व रेफरल कार्ड बनाकर उसको इलाज के लिए हायर सेंटर भेज दिया जाता है. नवनीत शर्मा ने ईटीवी को भरोसा दिलाया कि वो शीघ्र बच्ची किरण के परिजनों से मिलकर बच्ची के इलाज की प्रक्रिया शुरू करवाएंगे.
Last Updated : Aug 6, 2021, 2:30 PM IST
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