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डूंगरपुरः ग्रामीणों ने सरपंच पर लगाया तालाब की पाल तोड़ने का आरोप - dungarpur news

डूंगरपुर में ग्राम पंचायत सुरपुर में ग्रामीणों ने सरपंच पर करीब 7 दशक से भी पुराने तालाब की पाल को तुड़वाने का आरोप लगाया है. वहीं ग्रामाणों ने इसकी शिकायत पंचायत समिति के बीडीओ से की.

Villagers accuse sarpanch of breaking pond, सरपंच पर तालाब तोड़ने का आरोप
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Published : Nov 1, 2019, 1:26 PM IST

डूंगरपुर. ग्राम पंचायत सुरपुर की लक्ष्मणपुरा बस्ती में स्थित करीब 7 दशक से भी पुराने तालाब के पाल को तोड़ने का मामला सामने आया है. वहीं इस मामले में ग्रामीणों ने सुरपुर सरपंच पर तालाब की पाल तुड़वाने का आरोप लगाया है. साथ ही ग्रामीणों ने प्रशासन से भी इसे लेकर शिकायत की है. जिस पर पंचायत समिति के बीडीओ ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की है.

तालाब की पाल तोड़ने के मामले में ग्रामीणों ने बीडीओ से की शिकायत

बता दें कि यह तालाब बहुत पुराना है और आसपास के गांवों के कई मवेशी इस तालाब में पानी पीते है. साथ ही यह तालाब इलाके में जल संरक्षण का प्रमुख स्रोत है. अचानक पानी का स्तर तेजी से कम होने से ग्रामीणों को शक हुआ. जिसके बाद घने जंगल के बीच स्थित तालाब की पाल को देखा तो वह टूटी हुई थी. जिससे पानी तेजी से निकल रहा था.

ये पढ़ेंः विश्व की सबसे बड़ी गौशाला में 53वीं शक्तिपीठ की स्थापना आज, विश्व की पहली कामधेनु शक्तिपीठ जालोर में

ग्रामीणों का कहना रहा कि पाल को तोड़ने पहुंचे लोगों की भनक ग्रामीणों को लगने पर उन्होंने इसका विरोध किया. वहीं पाल तोड़ने वाले लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि सरपंच उन्हें इस काम के लिए पैसे दे रहा है. जिसके बाद ग्रामीणों ने मामले की इसकी शिकायत डूंगरपुर पंचायत समिति के विकास अधिकारी बालकृष्ण से की. इसके बाद बीडीओ ने तालाब का निरीक्षण किया. लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं अधिकारी सरपंच के खिलाफ किसी तरह की लिखित शिकायत नहीं होने की बात कह रहे है.

डूंगरपुर. ग्राम पंचायत सुरपुर की लक्ष्मणपुरा बस्ती में स्थित करीब 7 दशक से भी पुराने तालाब के पाल को तोड़ने का मामला सामने आया है. वहीं इस मामले में ग्रामीणों ने सुरपुर सरपंच पर तालाब की पाल तुड़वाने का आरोप लगाया है. साथ ही ग्रामीणों ने प्रशासन से भी इसे लेकर शिकायत की है. जिस पर पंचायत समिति के बीडीओ ने मौके पर पहुंचकर मामले की जांच की है.

तालाब की पाल तोड़ने के मामले में ग्रामीणों ने बीडीओ से की शिकायत

बता दें कि यह तालाब बहुत पुराना है और आसपास के गांवों के कई मवेशी इस तालाब में पानी पीते है. साथ ही यह तालाब इलाके में जल संरक्षण का प्रमुख स्रोत है. अचानक पानी का स्तर तेजी से कम होने से ग्रामीणों को शक हुआ. जिसके बाद घने जंगल के बीच स्थित तालाब की पाल को देखा तो वह टूटी हुई थी. जिससे पानी तेजी से निकल रहा था.

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ग्रामीणों का कहना रहा कि पाल को तोड़ने पहुंचे लोगों की भनक ग्रामीणों को लगने पर उन्होंने इसका विरोध किया. वहीं पाल तोड़ने वाले लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि सरपंच उन्हें इस काम के लिए पैसे दे रहा है. जिसके बाद ग्रामीणों ने मामले की इसकी शिकायत डूंगरपुर पंचायत समिति के विकास अधिकारी बालकृष्ण से की. इसके बाद बीडीओ ने तालाब का निरीक्षण किया. लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं अधिकारी सरपंच के खिलाफ किसी तरह की लिखित शिकायत नहीं होने की बात कह रहे है.

Intro:डूंगरपुर। केंद्र और प्रदेश की सरकारें पानी और उसके स्त्रोत जीवित रखने और नए तैयार करने पर भारी बजट खर्च कर रही है, लेकिन डूंगरपुर जिले की ग्राम पंचायत सुरपुर का सरपंच भूमाफियाओं को फायदा देने के लिए 7 दशक से भी पुराने तालाब को तोड़ने में जुटा हुआ है। हालात यह है कि पंचायतीराज के अधिकारी भी इस पर मौन है।Body:डूंगरपुर पंचायत समिति के ग्राम पंचायत सुरपुर की लक्ष्मणपुरा बस्ती में 7 दशकों से भी पुराना एक तालाब है। जिसे ग्रामीण अलग-अलग नामो जैसे पिपलीवाला, नया तालाब से पहचानते है। जल संरक्षण के इस प्रमुख स्रोत को सरपंच गौतमलाल कोटेड ने तालाब की पाल को काफी तोड़ दिया है। इससे पानी का स्तर लगातार कम हो गया है।
बताया जा रहा है तालाब खाली होने से उसकी जमीन को भूमाफिया को बेचने की फिराक में है। अचानक पानी का स्तर तेजी से कम होने से ग्रामीणों को शक हुआ तो घने जंगल के बीच स्थित तालाब की पाल को देखा तो वह टूटी हुई थी और पानी तेजी से निकल रहा था।
पाल को तोड़ने के लिए सरपंच के लोग पहुँचे तो इसकी भनक ग्रामीणों को लग गई तो वे भी पंहुच गए और उसका विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है की पाल तोड़ने वाले लोगो ने उन्हें बताया था कि सरपंच उन्हें इस काम के पैसे दे रहा है। उन लोगो के जाने के बाद ग्रामीण मामले की शिकायत लेकर डूंगरपुर पंचायत समिति के विकास अधिकारी बालकृष्ण कोटेड से मिले। इसके बाद पिछले दिनों तालाब का निरीक्षण भी किया गया, लेकिन अब तक मामले में कोई कार्रवाई तक नहीं हुई है। वहीं अधिकारी सरपंच के खिलाफ किसी तरह की लिखित शिकायत नहीं होने की बात कहकर बचते हुए नजर आ रहे है।
बहरहाल सरकारे कितना भी बजट जल संरक्षण को सहेजने के लिए खर्च करती रहे, लेकिन पंचायतीराज से जुड़े जनप्रतिनिधियों और सरकारी अमला उसे जमीन पर लागू कराना तो दूर विरासत में मिले जल स्त्रोतो को बर्बाद करने पर आमादा है। अब देखना होगा की डूंगरपुर जिला प्रशासन और पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम करने का दम भरने वाली संस्थाएं मामले पर संज्ञान लेगी या सरपंच की दबंगई का खेल बदस्तूर चलता रहेगा।

बाईट 1- भंवरलाल, शिकायतकर्ता, सुरपुर।
बाईट-2, बालकृष्ण कोटेड, बीडीओ, पंचायत समिति, डूंगरपुर।Conclusion:
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